प्रतिबन्ध के नाम पर गुटखे की सरेआम कालाबाजारी 
गुटखे पर बैन या झूठी वाहवाही!
बाड़मेर । सरकार ने तम्बाकू युक्त गुटखा पर प्रतिबंध लगाकर वाहवाही तो लूट ली। इधर, पान ठेलों के अलावा किराना दुकानों में भी धड़ल्ले से गुटखा बिक रहा है।पखवाड़े बाद भी प्रशासन या पुलिस ने कार्रवाई शुरू नहीं की है। विभागों को आदेश का इंतजार है।इतना जरूर हुआ की गुताल्हे के दाम दुकानदारों ने तीन से चार गुना कर दिए ,एक रूपरे का पाउच तीन में ,पांच का बारह में ,सात का पंद्रह रुपये में मिल रहा हें ,खुले आम गुटखा मिलने से प्रतिबन्ध का असर दिखाई नहीं दिया .मजे की बात हें खाद्य निरीक्षक ,तहसीलदार की टीम द्वारा खानापूर्ति कर कार्यवाही की .प्रशासन को बताया की बाज़ार में गुटखा नहीं हें ,गलत रिपोर्टो पर कलेक्टर ने आँख मुंड कर विशवास किया जबकि हकीकत हें की बाज़ार में गुटखा मांगो उतना मिल रहा हें ,व्यापारियों ने गुटखे की कालाबाजारी शुरू कर दी ,इस काला बाजारी को प्रशासनिक शह मिली हें ,



राज्य में एक जुलाई से तम्बाकू युक्त पान मसाला और गुटखा पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके बावजूद धड़ल्ले से बिक्री हो रही है। पान दुकान के अलावा किराना की दुकान में भी गुटखा आसानी से मिल रहा है। आदेश जारी होने के बाद थोक और चिल्हर विक्रेताओं ने गुटखे की कीमत बढ़ा दी है। मुनाफा कमाने के लिए गुटखे की कालाबाजारी शुरू कर दी गई है। गंभीर बात तो यह है कि सरकार ने आदेश लागू किया है, फिर भी जिम्मेदार विभागों को आदेश पहंुचने का इंतजार है। जिला प्रशासन, पुलिस या औषधि प्रशासन विभाग ने अब तक कार्रवाई शुरू नहीं की है। आदेश जारी होने के बाद विक्रेताओं को अघोषित रूप से छूट दे दी गई है।
व्यापारी नाराजइधर, तत्काल प्रभाव से आदेश लागू होने के बाद पान मसाला और गुटखा के थोक व्यापारी नाराज हैं। इसे लेकर बैठकें भी की जा रही हैं। उनका कहना है कि गुटखा पर प्रतिबंध लगाने से उन्हें कोई आपत्ति नहीं है, लेकिन तत्काल प्रभाव से लागू होने के कारण व्यापारियों के करोड़ों रूपए फंस गए हैं। इस पर उन्हें कुछ दिनों के लिए राहत दी जानी थी।


यह है आदेश
राज्य शासन ने जो आदेश जारी किया है, उसके मुताबिक तम्बाकू युक्त पान मसाला और गुटखा निर्माण, भंडारण, वितरण और विक्रय जुलाई से प्रतिबंधित कर दिया गया है।

यह कैसे रूकेगा : पान मसाला और गुटखा पर प्रतिबंध के बाद थोक या चिल्हर व्यापारियों तक ही कार्रवाई करती है। कहीं पर भी छापा मारकर उत्पादन बंद नहीं किया गया है।


कसा तगड़ा शिकंजा

हाईकोर्ट से व्यापारियों को राहत मिल गई थी। हालांकि, इस बार सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक गुटखा पर प्रतिबंध लगाया गया है, इसलिए राहत की कोई उम्मीद नहीं है।

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