अंग्रेजों के राज में बना संसद भवन खतरे में 
नई दिल्ली।
तब्दीलियों के कारण 1927 में बने संसद भवन की ऎतिहासिक इमारत का ढांचा खतरे में पड़ गया है। लोकसभा और राज्यसभा के लिए वैकल्पिक परिसर बनाने पर सुझाव देने के लिए एक उच्चाधिकार प्राप्त समिति का गठन किया जा रहा है। लोकसभा के महासचिव टीके विश्वनाथ के मुताबिक समिति तय करेगी कि नए परिसर के लिए जगह कौन सी हो और उसका आकार कैसा हो। समिति का गठन जल्द ही लोकसभा अध्यक्ष मीरा कुमार करेंगी ।
विश्वनाथन ने कहा कि समिति इस इरादे से गठित की जा रही है कि मौजूदा ढांचा 85 साल पुराना है। इसके अलावा अगले 50 सालों में महिलाओं एवं समाज के अन्य कमजोर वर्गो को अधिक से अधिक प्रतिनिधित्व देने से दोनों सदनों की संख्या में काफी बढोतरी होने की संभावना है । साथ ही संसद भवन में बहुत बड़ी संख्या में सुरक्षाबल तैनात रहते हैं। यह देश की सबसे अधिक किलाबंद इमारतो में से एक है ।लोकसभा अध्यक्ष के हवाले से उन्होंने कहा कि इमारत पर बहुत अधिक बोझ है। नए एयरकंडीशन और अन्य साजो सामान लगने से इस पर दबाव बढ़ा है। इसके अलावा भारी मात्रा में तार भी इस इमारत में मौजूद हैं जिसकी इमारत निर्माण के समय मूल रूप से कोई योजना नहीं थी।लोकसभा सचिवालय ने रूडकी के एक प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थान से संपर्क किया है ताकि मौजूदा इमारत का अध्ययन किया जा सके । राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण से भी कहा गया है कि वह ऎसे उपाय सुझाए जो भूकंप की स्थिति में अपनाए जाने चाहिए।

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