पवार की नाराजगी बरकरार,नहीं जाएंगे दफ्तर
नई दिल्ली।
यूपीए सरकार में छिड़ी जंग फिलहाल खत्म हो गई है। एनसीपी ने उन मीडिया रिपोर्टो का खंडन किया कि नंबर दो की हैसियत को लेकर पार्टी सुप्रीमो शरद पवार और प्रफुल्ल पटेल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। एनसीपी नेता प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि पार्टी यूपीए का महत्वपूर्ण घटक दल है। पिछले आठ साल से एनसीपी यूपीए का सबसे जिम्मेदार सहयोगी दल है। पार्टी यूपीए सरकार का साथ नहीं छोड़ेगी। इस बीच निजी चैनलों के हवाले से खबर है कि जब तक विवाद नहीं सुलझ जाता तब तक पवार और पार्टी के अन्य मंत्री दफ्तर नहीं जाएंगे। पहले खबर थी कि नंबर 2 की भूमिका को लेकर नाराज चल रहे पवार और पटेल ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है। कांग्रेस पर फोड़ा ठीकरा
प्रफुल्ल पटेल ने कहा कि शरद पवार की ओर से प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखे गए पत्र को लेकर बेवजह कयास लगाए जा रहे हैं। कैबिनेट में नंबर 2 के मुद्दे को जरूरत से ज्यादा तूल दिया जा रहा है। कुछ कांग्रेसी नेता ऎसी अफवाहें फैला रहे हैं। पवार बहुत वरिष्ठ नेता हैं। वे ऎसी बातों से ऊपर हैं। शरद पवार का कद इतना बड़ा है कि वे अपने आप ही सरकार के बड़े नेता हैं।
सोनिया ने संभाला मोर्चा
जब मीडिया में शरद पवार और पटेल के इस्तीफे की खबरें चलने लगी तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने मोर्चा संभाला। पवार सोनिया से मिलने उनके आवास पहुंचे। बताया गया कि पवार ने सोनिया के सामने अपनी नाराजगी का इजहार किया। इसके बाद खबर आई कि सोनिया ने पवार को मना लिया है। यूपीए पवार की कुछ मांगों को मानने को तैयार हो गई है। कांग्रेस के सूत्रों ने कहा कि नंबर-2 की हैसियत कोई मुद्दा नहीं है। पवार की कुछ मांगें हैं जिनको सरकार ने मान लिया है।
नहीं गए कैबिनेट की बैठक में
सूत्रों के मुताबिक मुखर्जी के मंत्री पद से इस्तीफा देने के बाद हुई कैबिनेट बैठक में प्रधानमंत्री ने अपने पास दूसरे नम्बर की कुर्सी पर शरद पवार को बिठाया था। इस पर कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं ने ऎतराज जताया तो अगली कैबिनेट की बैठक में प्रधानमंत्री के साथ पवार के बजाए रक्षा मंत्री एके एंटोनी को बिठाया गया। तब से पवार नाराज हैं। पवार इसलिए गुरूवार को कैबिनेट की बैठक में हिस्सा लेने नहीं गए। इससे पहले प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति चुनाव के लिए वोट डालने जाते वक्त भी ये भी थी नाराजगी की वजह राकांपा के महासचिव डी.पी.त्रिपाठी के गुरूवार शाम मामला वरिष्ठता क्रम का ही नहीं है बल्कि कई अन्य मसले भी हैं जिन्हें सुलझाने की जरूरत है। उन्होंने कांग्रेस पर अपने सहयोगियों के प्रति तंगदिली और संकुचित रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया है।
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