अब बढ़ेंगे डीजल-एलपीजी के दाम!
नई दिल्ली।
तीनों सरकारी कंपनियों को इसकी वजह से इस वर्ष एक लाख 60 हजार करोड़ रूपए का नुकसान होने की संभावना है। हालांकि इस नुकसान की भरपाई सरकार सब्सिडी के रूप में तेल कंपनियों को करती है। डीजल पर अंडर रिकवरी 2011-12 के 81 हजार करोड़ रूपए के मुकाबले बढ़कर चालू वित्त वर्ष में एक लाख करोड़ रूपए पर पहुंच जाने की संभावना है। सरकार ने जून 2010 में पेट्रोल को प्रशासनिक मूल्य प्रणाली से अलग करते हुए डीजल को भी सिद्धांत रूप से धीरे-धीरे नियंत्रणमुक्त करने का फैसला कर लिया था, किंतु इस पर अभी तक अमल नहीं हो पाया है।
डीजल की कीमतें तय करने के लिए सरकार ने प्रणब मुखर्जी की अध्यक्षता में एक उच्चाधिकार प्राप्त मंत्रियों का समूह गठित किया हुआ था, किंतु मुखर्जी के देश के राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के लिए वित्त मंत्री के पद से इस्तीफा देने के बाद समूह का फिर से गठन किया जाना है। सूत्रों ने बताया यदि मंत्री समूह का जल्द ही पुर्नगठन नहीं किया जाता उस स्थिति में सीसीईए को इस मामले पर विचार करेगा। गैस आवंटन के लिए मंत्रियों के उच्चाधिकार समूह का गठन मंगलवार को किया गया है और रक्षा मंत्री एके एंटनी को इसका प्रमुख बनाया गया है। सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार कौशिक बसु और प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद के मुख्यिा सी. रंगराजन डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी के लिए लगातार सुझाव देते आ रहे हैं। बसु ने हाल ही में डीजल पर सबसिडी एक सीमा तक निर्धारित किए जाने का सुझाव भी दिया था।
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