नाती ने दी मुखाग्नि,काका पंचतत्व में विलीन 
मुंबई। 
home newsबॉलीवुड के पहले सुपर स्टार राजेश खन्ना का गुरूवार सुबह 11.30 बजे अंतिम संस्कार किया गया। अक्षय कुमार के बेटे आरव ने अपने नाना की पार्थिक देह को मुखाग्नि दी। अंतिम संस्कार के वक्त अलग रह रही पत्नी डिंपल कपाडिया,बेटी रिंकी सहित अन्य रिश्तेदार मौजूद थे। गर्भवती होने के कारण टि्वंंकल अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हुई। अंतिम पलों की वीडियोग्राफी कराई गई ताकि टि्वंकल अपने पिता के आखिरी पलों को देख सके। मीडिया को अंतिम संस्कार की कवरेज से दूर रखा गया। 
अमिताभ को पैदल चलना पड़ा 
अंतिम संस्कार में बॉलीवुड की नामी गिरामी हस्तियां शामिल हुई। काका को अंतिम विदाई देने के लिए सदी के महानायक अमिताभ बच्चन और उनके बेटे अभिषेक बच्चन भी पहुंचे लेकिन उनको पैदल चलकर श्मशान घाट तक जाना पड़ा क्योंकि भीड़ में उनकी गाड़ी फंस गई थी। 
मानो थम गई मुंबई 
राजेश खन्ना की अंतिम यात्रा गुरूवार सुबह उनके घर आर्शीवाद से शुरू हुई। राजेश खन्ना की पार्थिव देह को एक ट्रक में कांच के बक्से में रखा गया। ट्रक पर अक्षयकुमार,नाती आरव,बेटी टि्वंकल और डिंपल कपाडिया सवार थे। अंतिम यात्रा के दौरान मानो पूरी मुंबई उमड़ पड़ी। भारी बारिश के बावजूद प्रशंसक बॉलीवुड के पहले सुपर स्टार को आखिरी बार देखने के लिए लोग ट्रक के पीछे पीछे चल रहे थे। ट्रक के आगे और पीछे पुलिस के जवान चल रहे थे। अपने चहेते सुपर स्टार को आखिरी बार देखने के लिए कोई गुजरात से आया है तो कोई पंजाब से। ये लोग रात भर राजेश खन्ना के घर के बाहर बैठे रहे। 
69 वर्षीय राजेश खन्ना का बुधवार दोपहर निधन हो गया था। राजेश खन्ना काफी समय से बीमार चल रहे थे। जिस वक्त राजेश खन्ना ने आखिरी सांस ली तो अलग रह रही पत्नी डिंपल कपाडिया,बेटी टि्वंकल,दामादा अक्षय कुमार सहित सभी रिश्तेदार मौजूद थे। राजेश खन्ना की तबीयत अप्रेल में ही बिगड़नी शुरू हो गई थी जब उन्होंने खाना खाना बंद कर दिया था और काफी कमजोर हो गए थे। 
29 दिसंबर 1942 को अमृतसर में जन्मे राजेश खन्ना का असली नाम जतिन खन्ना था। 1966 में उन्होंने पहली बार 24 साल की उम्र में आखिरी खत नामक फिल्म में काम किया था। इसके बाद राज,बहारों के सपने,औरत के रूप जैसी कई फिल्में की लेकिन उन्हें असली कामयाबी 1969 में आराधना से मिली। इसके बाद एक के बाद एक 14 सुपरहिट फिल्में देकर उन्होंने हिंदी फिल्मों के पहले सुपरस्टार का तमगा अपने नाम किया।

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