सोने का मोह भंग, भारी गिरावट 

बेंगलूर। सोने की आसमान छूती कीमतों और लगातार बढ़ती महंगाई के कारण देश में इस पीली धातु के प्रति लोगों का मोह कुछ कम हुआ है। एक रिपोर्ट के अनुसार देश में सोने की खरीद में करीब चार प्रतिशत की कमी आई है। हालांकि सोने का उपयोग लोग अब साज सज्जा के लिए कम और निवेश की द्यष्टि से अधिक कर रहे हैं जिससे निवेश के तौर पर इसमें चार प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। एल्फ्वााइज संगठन के "इंडियन गोल्ड सर्वे-2012" के अनुसार शहरी भारत में सोने की मांग में 13 प्रतिशत की कमी आई है जबकि ग्रामीण भारत में यह चार प्रतिशत बढ़ी है।
निजी हाथों में 1 हजार अरब डॉलर का सोना
रिपोर्ट के अनुसार देश में मौजूद दस प्रतिशत सोना निजी हाथों में है जो करीब एक हजार अरब डालर के करीब है। सोने की खपत देश के सकल घरेलू उत्पाद(जीडीपी) की 2.3 प्रतिशत है तथा वर्ष 2011 में यह विश्व में कुल सोने की मांग का एक चौथाई थी। 
आयात पर निर्भरता
देश में लगातार सोने की मांग को पूरा करने के लिए सरकार को इसके आयात पर निर्भर होना पड़ रहा है ऎसे में सरकार नए कर लगाकर सोने की मांग में कटौती करने का प्रयास कर रही है।
निवेश और उपभोग दोनों में खपत
रिपोर्ट के अनुसार सोने की मांग इस समय निवेश और उपभोग दोनों वर्गो में हो रही है। शहरी भारत में जहां अब भी सोने की शादी ब्याह और दिखावे के प्रतीक के तौर पर मांग बनी हुई है वहीं लोग इसे निवेश और संपत्ति के तौर पर देख रहे हैं। 
जमा पूंजी के रूप में कमी
सर्वेक्षण के अनुसार देश में लोग एक तिहाई सोना जमा पूंजी के रूप में रखते हैं लेकिन वर्ष 2012 में इसमें कमी देखी गई है। इसका मुख्य कारण यह भी है कि लोग अब अच्छी ब्याज दर के मद्देनजर सोने की बजाय सावधी जमा योजना में निवेश कर रहे हैं।

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