आधुनिक सुविधाओ से लेस हुआ रामावत रिसर्च सेंटर

जन सेवा ही आत्मान्वेषण का आरंभ है। इस अन्वेषण का अंत भी उसी में है। गरीबों और पीडतों के प्रति करुणा व दया ही ईश्वर के प्रति हमारा कर्तव्य है। इस संसार में हमारा सबसे महत्वपूर्ण कर्तव्य सहप्राणियों की मदद, सेवा करना है। ईश्वर हमसे कुछ नहीं चाहते, हमसे कुछ पाना नहीं चाहते। वे सदा पूर्ण हैं। सूर्य को हमारे दीये के प्रकाश की आवश्यकता नहीं है। ईश्वर समस्त प्रपंच के रक्षक हैं। वे प्रेम व करुणा मूर्ति हैं। हम उस प्रेम व करुणा को आत्मसात कर सकें तो ही हम विकास कर पायेंगे। यब कहना है श्री ब्रम्ह कुमारी आश्रम बाड़मेर की बबिता बहन का . उन्होंने यह बात स्थानीय राय कोलोनी में डाक्टर डी के रामावत रिसर्च सेंटर के उद्घाटन के मोके पर कही .उन्होंने कहा की जनसेवा, समाजसेवा, राष्ट्रसेवा जैसे शब्दों का प्रचलन आजकल बढ़ा है, लेकिन वास्तविक सेवा तो सृष्टि सेवा और राष्ट्र की सेवा ही है। मां जब अपने बच्चे की बहती नाक साफ करती है तब वह यह नहीं मानती कि वह सिर्फ नाक की सफाई कर रही है। वह मानती है कि नाक बच्चे का अस्वस्थ भाग है, उसकी सफाई किये बिना बच्चे की सेवा नहीं हो सकती। आचार्य विनोबा भावे ने इस विषय को विस्तार से समझाते हुए सिखाया कि सृष्टि के अस्वस्थ भाग की सेवा करने से पूरी सृष्टि की सेवा होती है। सेवा की इच्छा करने वाले लोग हमेशा समाज में रहते हैं। वे सर्वजन की भक्ति कर सकते हैं, किन्तु प्रत्यक्ष सेवा अपनी क्षमता के अनुसार कुछ व्यक्तियों की ही कर सकते हैं। ऐसा करते समय वृत्ति सर्वभूतानुकूल रखने से सेवा सार्थक होती है। सेवा भले ही एक व्यक्ति या एक क्षेत्र की करें, लेकिन हैं हम विश्व के और विश्वेश्वर के ही सेवक। बाड़मेर में बीते कई सालो से ह्रदय रोगों पर काम करने के साथ कई लोगो को अपनी सेवाए दे रहे इस सेंटर में कई नये पडावो को जोड़ा गया है जिसका अनावरण मंगलवार की रोज हुआ. डाक्टर डी के रामवत ऩे बताया की ईन सेवाओ में संभाग की एक मात्र चोबीस घंटे होल्टर मोनेटरिंग, नई कम्पुटर तकनीक वाली टी एम पी , स्पैरोमिटर , ई सी जी , ई ई जी , पेथोलोजी लेब की सुविधा शुरू की गई है . साथ ही इस सेंटर को सेंटरलाइज एयरकुल्ड बनाया गया है . इस अवशर पर श्री ब्रम्ह कुमारी आश्रम बाड़मेर की शांति कुमारी , राधा रामावत, डाक्टर विक्रांत रामावत , निधि रामावत , अशोक राजपुरोहित सहित शहर के कई गणमान्य लोग मोजूद थे .
बाड़मेर
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