बागियों-असंतुष्टों से हिली भाजपा
बेंगलूरू। 
प्रदेश में सत्तारूढ़ भाजपा में चल रही अंदरूनी लड़ाई अब सतह पर आ गई है और राज्य में नेतृत्व परिवर्तन की मांग को ठुकराए जाने से नाराज पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस.येडि्डयूरप्पा गुट के आठ मंत्रियों ने शुक्रवार शाम मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा से भेंट कर अपने त्यागपत्र सौंप दिए। बहरहाल, मुख्यमंत्री ने ऊर्जा मंत्री शोभा करंदलाजे व लघु उद्योग मंत्री राजू गौड़ा के व्यक्तिगत रूप से पेश नहीं होने के कारण उनके इस्तीफा पत्रों को लौटा दिया है। मुख्यमंत्री ने इन मंत्रियों के इस्तीफे अभी राज्यपाल को नहीं भेजे हैं, इस बीच खबर है कि पार्टी आलाकमान ने मुख्यमंत्री को इन मंत्रियों के इस्तीफे स्वीकार नहीं करने का निर्देश दिया है।
विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग की अनसुनी करने व प्रदेश में नेतृत्व परिवर्तन की येडि्ड समर्थकों की मांग को आलाकमान द्वारा ठुकरा दिए जाने से नाराज येडि्डयूरप्पा समर्थक मंत्री जगदीश शेट्टर की अगुवाई में शाम सात बजे मुख्यमंत्री निवास अनुग्रह पहुंचे और उन्होंने दस मंत्रियों के इस्तीफे गौड़ा को सौंप दिए।
लेकिन शोभा करंदलाजे व राजू गौड़ा के इस्तीफा पत्रों को सीएम ने लेने से इनकार कर दिया क्योंकि वे इस्तीफा देने वाले मंत्रियों के साथ मुख्यमंत्री निवास पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित नहीं थे। मालूम हो कि येडि्डयूरप्पा गुट मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा को पद से हटाने व उनके स्थान पर मंत्री जगदीश शेट्टर को मुख्यमंत्री बनाने की पुरजोर मांग कर रहा है। येडिड् गुट ने विधायक दल की बैठक बुलाने के लिए शुक्रवार शाम सात बजे तक की समय सीमा तय की थी। 
सीएम ने की हमारी अनसुनी
मुख्यमंत्री को सामूहिक इस्तीफे सौंपने के बाद जल संसाधन मंत्री बसवराज बोम्मई व लोक निर्माण मंत्री सी.एम. उदासी ने कहा कि विधायकों की अपनी क्षेत्र की अनेक समस्याएं हैं और वे सीएम से कई बार विधायक दल की बैठक बुलाने की मांग कर चुके हैं लेकिन उनकी निरंतर अनसुनी की जा रही है। इससे तंग आकर हमने त्यागपत्र सौंप दिए हैं। हमें आशा है कि पार्टी आलाकमान संकट के सर्वसम्मत समाधान की पहल करेगा। आवास मंत्री वी. सोमण्णा ने कहा कि हमने मात्र दबाव बनाने के लिए नहीं बल्कि स्वीकार करने के लिए अपने अपने पदों से इस्तीफे दिए हैं। 
आज राज्यपाल से मिलेंगे सीएम
सत्तारूढ़ दल में चल रही इस उठापटक पर राजभवन की कड़ी नजर है और मुख्यमंत्री डी.वी. सदानंद गौड़ा शनिवार सुबह 9.30 बजे राजभवन जाकर राज्यपाल हंसराज भारद्वाज से मुलाकात करके आठ मंत्रियों के पद से त्यागपत्र देने के बाद उत्पन्न राजनीतिक हालात की जानकारी देंगे। 
आज आएंगे प्रधान
उधर, भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव व प्रदेश भाजपा के प्रभारी धर्मेन्द्र प्रधान ने पत्रिका को फोन पर बताया कि उन्होंने आठ मंत्रियों के इस्तीफे देने के बाद की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्री सदानंद गौड़ा से बातचीत की है और उन्हें किसी भी मंत्री का त्यागपत्र मंजूर नहीं करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने बताया कि राज्य के मौजूदा राजनीतिक संकट के बारे में वे वरिष्ठ नेताओं से बातचीत करने के बाद शनिवार को बेंगलूरू के लिए रवाना हो सकते हैं। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस मसले को बातचीत के जरिए हल कर लिया जाएगा। उधर, सूत्रों का कहना है कि मंत्रियों के इस्तीफे देने के बाद भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी ने भी मुख्यमंत्री गौड़ा से बातचीत की और उनके प्रति विश्वास जताते हुए कहा कि वे कोई भी निर्णय करने के लिए स्वतंत्र हैं। लेकिन पार्टी के अंदरूनी सूत्र बताते हैं कि गडकरी ने मंत्रियों के इस्तीफे फिलहाल स्वीकार नहीं करने की गौड़ा को सलाह दी है। उधर, पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव अनंत कुमार का मानना है कि धर्मेन्द्र प्रधान शनिवार को आएंगे और बातचीत के जरिए मौजूदा संकट को सुलझा लिया जाएगा।
दिन भर जारी रही राजनीतिक सरगर्मियां 
इससे पहले गौड़ा को पद से हटाने के मसले पर भाजपा आलाकमान की अनिर्णय की स्थिति से नाराज येडि्ड समर्थकों ने ग्रामीण विकास व पंचायत राज मंत्री जगदीश शेट्टर के निवास पर बैठक की और इस बैठक में नेतृत्व परिवर्तन के मसले सहित तमाम मसलों पर चर्चा के लिए भाजपा विधायक दल की बैठक बुलाने की घोषणा करने के लिए शुक्रवार शाम सात बजे तक की समय सीमा तय की गई।
बैठक के बाद असंतुष्टों में से एक विधायक बी. पी.हरीश ने कहा था कि समय सीमा समाप्त हो जाने के बाद दस मंत्री मुख्यमंत्री को अपने अपने इस्तीफे सौंप देंगे। इसके बाद भी समस्या नहीं सुलझी तो हमारा गुट विधानसभा अध्यक्ष से मिलकर अलग आसन व्यवस्था करने की मांग करेगा। उधर, दिल्ली में डेरा डाले प्रदेश भाजपा अध्यक्ष के.एस.ईश्वरप्पा ने संवाददाताओं से कहा कि पार्टी के कई विधायक नेतृत्व परिवर्तन नहीं चाहते हैं जबकि कुछ विधायक नेतृत्व परिवर्तन हर हाल में किए जाने की जिद पर अड़े हैं। उन्होंने कहा कि वे शनिवार को पार्टी के दोनों गुटों के नेताओं के साथ बातचीत करके इस संकट को सुलझाने के हर संभव प्रयास किए जाएंगे। राजनीतिक प्रक्ष्ेाकों का मानना है कि आठ मंत्रियों के इस्तीफों के बाद हालात अब विस्फोटक स्थिति में पहुंच गए हैं और यदि जल्द ही इस संकट का समाधान नहीं हुआ तो चार साल पुरानी भाजपा सरकार का अस्तित्व ही संकट में पड़ सकता है।

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