30 साल बाद पाक जेल से सुरजीत रिहा 
नई दिल्ली। 
surjeet free from pak jailपाकिस्तान की जेल से रिहा सुरजीत सिंह ने यह कहकर सनसनी फैला दी है कि वह सेना के लिए जासूसी करने पाकिस्तान गया था। सुरजीत के इस बयान से पाकिस्तान की जेल में कैद सरबजीत सिंह की रिहाई में रोड़ा अटक सकता है। सुरजीत को 30 साल बाद गुरूवार को लाहौर की कोट लखपत जेल से रिहा किया गया। इसी जेल में सरबजीत सिंह कैद है। सरबजीत का परिवार उनकी रिहाई के लिए दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरने पर बैठेगा। 
अब नहीं जाऊंगा पाकिस्तान
जेल से रिहाई के बाद सुरजीत पाकिस्तानी अधिकारियों के साथ वाघा बॉर्डर पहुंचे। उन्हें वहां भारतीय अधिकारियों के सुपुर्द किया गया। सुरजीत का स्वागत करने के लिए उनका पूरा परिवार और गांव के 300 लोग मौजूद थे। जब उनसे पूछा गया कि वे पाकिस्तान किसलिए गए थे तो उन्होंने कहा कि मैं आपको क्या बताऊं,मुझने ना पूछो। मैं जासूसी करने पाकिस्तान गया था। इसके बाद जब पत्रकारों ने सुरजीत से सवाल किए तो उन्होंने कहा कि सरकार के खिलाफ कुछ मत पूछो मैं कुछ नहीं बताऊंगा। सुरजीत ने कहा कि अब वह कभी पाकिस्तान नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि मैं जाऊंगा तो फिर शक होगा कि जासूसी के लिए आया हूं। 
जेल में अच्छा सलूक हुआ
सुरजीत सिंह ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार ने उनकी ही रिहाई का आदेश दिया था। सरबजीत और सुरजीत उर्दू में लिखने पर एक जैसा ही पढ़ा जाता है। सुरजीत ने कहा कि मैं सरबजीत को रिहा करवा के रहूंगा। सुरजीत ने बताया कि सरबजीत की हालत ठीक है। सरबजीत से उसकी रोज मुलाकात होती थी लेकिन गुरूवार को मुलाकात नहीं हो पाई। उन्होंने सरबजीत समेत दोनों देशों में कैद लोगों की रिहाई की अपील की। सुरजीत ने कहा कि पाकिस्तान की जेल में उनके साथ अच्छा सलूक किया गया। 
फांसी की सजा उम्र कैद में बदली थी 
पाक सरकार ने बुधवार तड़के सुरजीत की रिहाई की घोषणा की थी जबकि पूर्व में सरबजीत की रिहाई की बात कही गई थी। सुरजीत के बेटे कुलविंदर ने बताया कि उनके पिता 1982 में गलती से सीमा पार कर पाकिस्तान पहुंच गए थे और उन्हें वहां गिरफ्तार कर लिया गया। उन पर जासूसी का आरोप लगाया गया और उन्हें 
जेल में डाल दिया गया। जनरल जिया-उल-हक के शासनकाल के दौरान उन पर जासूसी का आरोप तय किया गया। 1989 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री बेनजीर भुट्टो की सिफारिश पर सुरजीत की मौत की सजा उम्रकैद में बदल दी गई थी।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
HAFTE KI BAAT © 2013-14. All Rights Reserved.
Top