वीके सिंह ने सेना को कहा अलविदा
पुणे।
सेना प्रमुख जनरल वी.के. सिंह गुरूवार को अपने पद से सेवानिवृत्त हो गए। उनके स्थान पर जनरल बिक्रम सिंह नए सेना प्रमुख बनाए गए हैं। लगभग 26 माह के वीकेसिंह के कार्यकाल में कई ऎसे विवाद उभरे, जिसने जनरल सिंह को मीडिया की सुर्खियां बना दिया।
कोई गलतफहमी नहीं
जनरल सिंह ने उपरोक्त विवादों को यह कहते हुए कमतर करने का प्रयास किया कि उनके और रक्षा मंत्रालय के बीच "कोई गलतफहमी" नहीं है। साथ ही यह भी कहा कि रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी का सशस्त्र बलों को समर्थन को लेकर बहुत ही "स्पष्ट रूख" है। उन्होंने कहा कि सेना सरकार का हिस्सा है। हम एक हैं।
तेजिंदर पर नहीं बोले
पूर्व ले. जनरल तेेजिंदर सिंह की ओर से खुद पर लगाए गए आरोपों को जनरल सिंह ने सिरे से नकार दिया। उन्होंने कहा कि मैं इस बात को लेकर आश्वस्त हूं कि जो व्यक्ति उस तरह के प्रयास करता है उसे स्वत: ही अपनी गलतियों का एहसास होगा।
पहली अप्रैल, 2010 को सेनाध्यक्ष के रूप में पदभार ग्रहण करने वाले वी.के. सिंह के कार्यकाल को जिस बात ने आशाजनक बनाया था, वह थी सेना की आंतरिक सेहत में सुधार को लेकर उनकी मुखरता। लेकिन उनकी यह मुखरता अब अप्रिय अध्याय बन चुकी है, जिसे विवादों की प्रकृति के कारण भुला पाना कठिन होगा। कार्यकाल के अंतिम सप्ताहांत को वी.के. सिंह द्वारा टेलीविजन पर दिए गए साक्षात्कार के बाद उठे विवादों से नाराज रक्षा मंत्री ए.के. एंटनी ने रक्षा मंत्रालय के कुछ अधिकारियों से सम्भवत: कहा है कि उन्हें शांतिपूर्वक सेवानिवृत्त होने दिया जाए।
सेना में अपनी ईमानदारी के लिए लोकप्रिय रहे वी.के. सिंह ने रक्षा मंत्रालय के कुछ वर्ग पर आरोप लगाया है कि वह उनके खिलाफ मीडिया में झूठी कहानियां गढ़ रहा है। सिंह के सेवानिवृत्त होने का इंतजार 31 मई को पूर्वाह्न में समाप्त हो जाएगा, जब वह चीन के बाद दुनिया की दूसरी बड़ी सेना की बागडोर लेफ्टिनेंट जनरल बिक्रम सिंह को सौंप देंगे। वी.के. सिंह के उम्र विवाद में, सेना के बाहर के किसी भी व्यक्ति को शायद ही कोई रूचि रही होती। लेकिन यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया, जिसका अंत रक्षा मंत्रालय के 1950 के निर्णय को बरकरार रखने के साथ हुआ।
घूस प्रकरण से नया विवाद
उसके बाद सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल तेजिंदर सिंह पर इस तरह के आरोप का मामला सामने आया कि उन्होंने घटिया वाहनों के एक आर्डर को मंजूरी देने के लिए सेना प्रमुख को 14 करोड़ रूपये रिश्वत की पेशकश की थी। रिश्वत का मामला उस समय एक समाचार पत्र में प्रकाशित हुआ, जब संसद का बजट सत्र चल रहा था। रक्षा मंत्री एंटनी को अपना बचाव करते हुए भावुक मुद्रा में देश ने देखा। उन्हें इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का आदेश देना पड़ा।
विवादों का सिलसिला अभी भी जारी रहा। वी.के. सिंह द्वारा सैन्य तैयारियों में कमी के बारे में प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखा गया एक पत्र लीक हो गया। जनता में यह संदेश गया कि इस पत्र को सेना प्रमुख ने लीक किया।लेकिन पत्र लीक करने वाले व्यक्ति की पहचान करने के लिए गुप्तचर ब्यूरो की जांच अभी जारी है।अपने हालिया कदम के तहत वी.के. सिंह ने तीसरे कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल दलबीर सिंह सुहग को कारण बताओ नोटिस जारी कर दिया है। उनपर असम के जोरहट में एक अधकचरे खुफिया अभियान का आरोप है।
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