जब विदा हुए तो छलक पड़े जुदाई के आंसू
बाड़मेर


संघ प्रमुख ने क्षत्रिय युवकों से आह्वान किया कि आंखों में आंसू नहीं बल्कि दृढ़ प्रतिज्ञा के लाल डोरे लेकर जाएं ओर कर्म क्षेत्र में धूम मचा दें।आलस्य, प्रमाद, ईष्र्या, घृणा, अंहकार जैसे शत्रुओं का संहार कर अपने अंदर बैठे परम तत्व को पुष्ट करें। पुरुषार्थ से प्रारब्ध को बदल डालें तथा त्रस्त संसार के कल्याण के लिए ब्रह्म मुहूर्त की नींद का परित्याग कर ईश्वर प्रदत्त इस मार्ग पर धैर्य पूर्वक कदम बढ़ाएं।
संघ का मातृ शक्ति शिविर संपन्न
चौहटन रोड स्थित विद्या पीठ उंडखा में संचालित संघ का बालिका शिविर रतनसिंह नगली के सान्निध्य में संपन्न हुआ। सरोज कंवर आगोरिया और सीमा कंवर भुरटिया ने विदाई गीत कैंया दे दूं रे थाने सीख.. सुनकर दस दिनों तक साथ रही खेली बालाएं परस्पर गले मिलकर विछोह के दुख में फफक पड़ी। शिविर सह संचालक रामसिंह माडपुरा ने संघ प्रमुख की और से विदाई संदेश दिया। शिविर प्रभारी रतनसिंह ने समापन समारोह में उपस्थित बालिकाओं ओर महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि शिविर में अर्जित संस्कारों को अपनाकर अपने परिवार को स्वर्ग सा सुंदर बना सकती हैं। नगर प्रमुख ने बताया कि मातृ शक्ति को शिविर के अंतिम दो दिनों में बाड़मेर-जैसलमेर के ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थलों का भ्रमण करवाया गया। जिसमें प्रथम दिन वैर थान, विरात्रा माता, बॉर्डर एवं दूसरे दिन जैसलमेर दुर्ग, गडीसर तालाब, तनोट माता, घंटियाली मां के दर्शन करवाए।
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