इंटरनेट पर फिदा युवा 
सोशल नेटवर्किंग साइट पर दोस्तों को खोज-खोज कर अपनी फ्रेंड लिस्ट में शामिल करने की बात हो या देश-दुनिया से जुड़े रहने की कवायद। सीएमआर का सर्वे मेट्रो सिटी के युवाओं के इंटरनेट प्रेम को बताने के लिए काफी हैं। इस पर इक नजर
रिलीज से पहले साऊथ के एक्टर व रजनीकांत के दामाद धनुष की फिल्म थ्री के गीत कोलावरी डी.. की जबरदस्त लोकप्रियता हो या फिर निर्मल बाबा की पोल खोलने की कवायद, सब इंटरनेट के प्रति युवा पीढ़ी के लगाव का नतीजा कहा जाए तो गलत न होगा। लगभग एक महीने पहले प्रकाशित सीएमआर के अध्ययन में पाया गया कि भारत के 90 प्रतिशत से अधिक बिजनेस एग्जीक्यूटिव्स सोशल मीडिया के संपर्क में रहते हैं। खास बात ये है उनमें से ज्यादातर युवा हैं। अपने नोटबुक पीसी, स्मार्ट फोन्स और टैबलेट्स के जरिए लिंकेडइन, ट्विटर, स्काइपे व गूगल प्लस जैसी साइट्स से प्रतिदिन वे लगभग आधे घंटे से लेकर 6 घंटे तक जुड़े रहते हैं। देश में आज करीब 12 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करते हैं, वहीं गूगल सर्च इंजन की एक रिपोर्ट की मानें तो 2015 तक भारत में तीस करोड़ से ज्यादा लोग इंटरनेट का इस्तेमाल करेंगे। अध्ययन में पाया गया कि देश के 88 प्रतिशत एग्जीक्यूटिव्स सोशल मीडिया को विशेषतौर पर बेहतर प्रोफेशनल नेटवर्किंग के तौर पर प्रयोग में लाते हैं, जबकि 75 प्रतिशत मुख्य रूप से इसे सोशल नेटवर्किंग का जरिया मानते हैं। वहीं, 15 प्रतिशत लोग इसे नए कॅरियर की तलाश या रोजगार के अवसरों के रूप में देखने की कोशिश करते हैं।
रिसर्च एंड एडवाइजरी सर्विसेज, सीएमआर के एसोसिएट वाइस प्रेसिडेंट अनिर्बन बनर्जी के मुताबिक, शोध में पाया गया कि इसकी वजह से काम पर काफी असर पड़ता है। हालांकि, इससे प्रोफेशनल्स मल्टीटास्किंग और बेहतर टाइम मैनेजमेंट कर पाते हैं। सर्वे बताता है कि सोशल नेटवर्किग टूल्स उन्हें कम समय में ज्यादा लोगों से तेजी से जोड़ने में मदद करता है।
फेसबुक और गूगल+
प्रोफेशनल बातचीत के लिए भारत के 90 प्रतिशत से ज्यादा बिजनेस एग्जीक्यूटिव्स लिंकेडइन का इस्तेमाल करते हैं, जबकि 80 प्रतिशत लोग ट्विटर और 70 प्रतिशत स्काइपे का।
दिल्ली के साथ ही देश के तमाम मेट्रो शहरों में फेसबुक का इस्तेमाल बिजनेस व कम्युनिकेशन के अन्य सोशल कम्युनिकेशन रूपों के लिए प्रयोग किया जा रहा है। पर्सनल और सोशल नेटवर्किग फेसबुक, गूगल+, ट्विटर, मायस्पेस और ऑकरुट टॉप फाइव प्रयोग होने वाले सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के तौर पर उभरकर आए हैं।
गूगल+ (गूगल प्लस) का प्रयोग तकरीबन 65 प्रतिशत बिजनेस एग्जीक्यूटिव्स करते हैं जबकि 64 प्रतिशत ट्विटर का। जहां लिंकेडइन का प्रयोग प्रोफेशनल नेटवर्किंग के लिए किया जाता है, वहीं फेसबुक का प्रयोग सोशल नेटवर्किंग के लिए किया जा रहा है। सर्वे के परिणाम के अनुसार, कुछ ही समय पहले शुरू किए गए नई पीढ़ी के टूल जैसे गूगल+ का प्रयोग प्रोफेशनल और पर्सनल दोनों ही रूपों में किया जा रहा है। जबकि एक अन्य सर्वे में बताया गया है कि दिल्ली में गूगल प्लस को स्टूडेंट अभी ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे हैं।
पीसी से स्मार्ट फोन तक
यूथ के बढ़ते इंटरनेट प्रेम को कौन सा जरिया सबसे ज्यादा रास आ रहा है, उसमें सोशल प्लेटफॉर्म्स को एक्सेस करने के लिए सबसे प्रमुख पीसी यानी कि पर्सनल कंप्यूटर हैं। हालांकि, सोशल नेटवर्क को एक्सेस करने के लिए स्मार्ट फोन्स का इस्तेमाल डेस्कटॉप पीसी से कहीं ज्यादा किया जा रहा है। जनकपुरी में रहने वाले पेशे से आईटी इंजीनियर सुनील अग्रवाल बताते हैं, ‘इसकी सबसे बड़ी वजह यह है कि इनका प्रयोग घर या ऑफिस में भी आसानी से किया जा रहा है।’ एक विशेष बात यह है कि अब तक टैबलेट्स के जरिए 15 प्रतिशत सोशल नेटवर्किग साइट्स के प्रयोग का पता चला है। स्मार्ट फोन के जरिए लोगों को ईमेल से जुड़े रहते हुए भी देखा जा रहा है। हालांकि सोशल मीडिया ने ईमेल कम्युनिकेशन की संख्या में कमी की है।
क्यों चिपके रहते हैं 24 घंटे नेट से
अध्ययन के मुताबिक 93 प्रतिशत युवा सस्ते पैकेज लेकर इंटरनेट सर्फिग करते हैं जबकि अन्य कम से कम मंथली चार्ज में 24 घंटे फ्री सर्फिग का पैकेज तलाशते हैं। सीएमआर सोशल मीडिया सर्वे 2012 ने खुलासा किया है कि 93 प्रतिशत लोग अपने सोशल नेटवर्क को बनाए रखने के लिए कोई फी नहीं देना चाहते। ज्यादातर यूजर्स सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म्स को फ्री एक्सेस करना पसंद करते हैं जबकि प्रोफेशनल्स यूजर्स ही इसके लिए फीस चुकाना चाहते हैं।
सबसे ज्यादा देखी जाने वाली साइट्स
युवा पीढ़ी फेसबुक, ट्विटर, लिंकेडइन, ब्लॉगर, गूगल+, माइस्पेस, जीमेल, ऑर्कुट, यूटय़ूब, माइक्रोब्लॉगिंग, रेडियो, गाने डाउनलोडिंग, गेमिंग साइट्स जैसे कई साइट्स पर भी खूब समय बिता रहे हैं। हां, सेक्स संबंधी वीडियो, तस्वीरों और लेखों को देखने में भी युवाओं का काफी समय गुजरता है। नई फिल्म के डायलॉग्स, गाने, म्यूजिक डाउनलोड भी युवाओं को खासतौर से लुभाते हैं। किसी भी क्षेत्र में जानकारी देने के मामले में गूगल एशियाई लोगों में सबसे लोकप्रिय सर्च इंजन है। इससे बेहतर विकल्प उन्हें नहीं मिल सका है।
दिमाग तेज करता है इंटरनेट
इंटरनेट का सही इस्तेमाल इंसानी दिमाग को और तेज बना सकता है। अमेरिका के उत्तरी कैरोलीना के एलान विश्वविद्यालय के इमेजिनिंग इंटरनेट सेंटर और प्यू इंटरनेट तथा अमेरिकन लाइफ प्रोजेक्ट की ओर से कराए गए हालिया सर्वे में यह बात सामने आई है।
सर्वे में शामिल 395 इंटरनेट यूजर्स और एक्सपर्ट्स में से तीन चौथाई से ज्यादा ने माना कि इंटरनेट के इस्तेमाल से लोगों के दिमाग को तेज किया जा सकता है। इमेजिंग इंटरनेट सेंटर की निदेशक जेना एंडरसन के मुताबिक सर्वे में शामिल ज्यादातर युवाओं ने माना कि इंटरनेट 2020 तक पढ़ने और लिखने की इंसानी क्षमता को बढ़ा देगा।
नेट प्रेम और अन्य शोध
एक अध्ययन के मुताबिक इंटरनेट से दूर रहने पर नेट प्रेमी खुद को अकेला महसूस करने लगते हैं। अध्ययन में पाया गया कि इंटरनेट प्रेमियों को ऑफलाइन होना सिगरेट या शराब की लत छोड़ने जैसा ही मुश्किल लगता है। इस सर्वेक्षण में लोगों से इंटरनेट, स्मार्ट फोन और अन्य तकनीकी उपकरणों के इस्तेमाल को लेकर उनके रवैये के बारे में सवाल पूछे गए थे।
शोध बताते हैं कि इंटरनेट का प्रयोग करने के मामले में भारत एशिया का तीसरा और विश्व का चौथा देश बन गया है। यहां 60 प्रतिशत युवा सोशल नेटवर्किंग साइट और ऑनलाइन गेम्स पर दिन के पांच घंटे से ज्यादा समय बिता रहे हैं। 25 प्रतिशत युवा दिन में आठ घंटे ऑनलाइन रहते हैं और फेसबुक, ऑर्कुट, ट्विटर, गेमिंग साइट्स पर सबसे ज्यादा हिट्स करते हैं।
कंप्यूटर एंटीवायरस बनाने वाली प्रमुख कंपनी नॉरटन के एक सर्वे के मुताबिक भारत में नेट उपभोक्ता रोजाना आठ घंटे इंटरनेट पर व्यतीत कर रहे हैं। इतना ही नहीं, इंटरनेट का नियमित इस्तेमाल करने वाले उपभोक्ता 24 घंटे भी इससे दूर नहीं रह सकते। इस सर्वे में शामिल 83 प्रतिशत लोगों ने कहा कि नेट से 24 घंटे की दूरी तो बहुत लंबा वक्त है, वे तीन घंटे बाद ही खुद को कटा महसूस करने लगते हैं।

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