कृष्णमय हुआ थार

बाड़मेर रेलवे स्टेशन के सामने वंृदावन धाम में सोमवार को कथा में प्रभु करूणा का ऐसा अमृत बरसा जिससे कुछ की आंखे नम थी तो कोई जार-जार रो रहा था। तो बाद में भजनों की धुन पर मगन होकर नाचते हुए खुद को कृष्ण की रासलीला का हिस्सा मान रहा था। सोमवार को बाड़मेर वासी करूणा व वात्सल्य की कथा सुन अपने को धन्य मान रहे थे। वहीं गोवत्स राधाकृष्ण महाराज की ओजस्वी वाणी से गाय की पूजा व उसकी उपयोगिता पर कहे प्रसंगों पर कथा में मौजूद हर भक्त मानो गाय के लिए समर्पित होने को आतुर नजर आया। मायरा कथा के दूसरे दिन वंृदावन धाम में कथा व्यास ने भक्&52द्भ;त तो को भगवान की करूणा की महता बताते हुए कहा कि अपनी सभी चिंताओं को छोड़ प्रभु की भक्ति करनी चाहिए। भक्त नरसिंग मेहता ने भी अपनी बेटी नैनी बाई के मायरा की जिम्मेदारी प्रभु पर छोड़ निश्चिंत होकर भगवान की भक्ति में डूब गए। उसी तरह मनुष्य को भी चाहिए कि वे सांसारिक दुखों की चिंता छोड़ भगवान की भक्ति में जुट जाएं। उन्होंने कहा भक्त नरसिंग मेहता टूटी फूटी बैलगाड़ी में बेटी का मायरा डाल गुजरात के अंजार नगर ले गए। उनका उद्देश्य अपनी बेटी के ससुराल पक्ष के लोगों को भगवान की भक्ति में लगाना था। इसलिए वे मायरा में कंठी माला और इकतारा, तुंबा अपने साथ ले गए। राधाकृष्ण महाराज ने करमाबाई प्रसंग का वाचन करते हुए कहा कि भगवान को अपने भावों की गहराई से खिचड़ा जिमाया जिसे भगवान ने बड़े ही चाव से खाया।आयोजन समिति के मीडिया संयोजक ओम जोशी ने कथा के प्रारंभ में यजमान मदनलाल, जयप्रकाश सिंहल और पथमेड़ा धाम के उपाध्यक्ष चंपालाल चौधरी ने ठाकुरजी की तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्जवलित किया। श्रीराम बजाज, अशोक, भगवती चौधरी, विष्णु प्रसाद, छगनलाल बाहेती ने भगवान की तस्वीर पर माल्यार्पण किया।

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