एडवोकेट भारत के नागरिक नहीं!
एडवोकेट भारत के नागरिक नहीं हैं। यह नायाब निष्कर्ष जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय जोधपुर के लोक सूचना अधिकारी ने आरटीआई कानून के हवाले से निकाला है। यही नहीं इस कानून की धारा तीन को आधार बनाते हुए उन्होंने आवेदक एडवोकेट को कोई भी सूचना देने से इंकार कर दिया। आवेदक एडवोकेट डा. धर्मेश जैन ने बताया कि आरटीआई के तहत मांगी गई सूचना देने में अधिकारियों की बहानेबाजी से तो लोग जब-तब रूबरू होते रहते हैं, मगर इस जवाब ने तो एडवोकेट्स के वजूद पर ही सवालिया निशान लगा दिया। वे कहते हैं कि अब सूचना पाने से बड़ी लड़ाई एडवोकेट्स को भारतीय नागरिक मनवाने की है। आरटीआई एक्टिविस्ट एडवोकेट डा. धर्मेश जैन ने गत माह यूनिवर्सिटी के लोक सूचना अधिकारी के समक्ष प्रार्थना पत्र दायर कर पीटीईटी परीक्षा से संबंधित जानकारी मांगी गई थी। एक माह बाद यूनिवर्सिटी की ओर से भेजे गए जवाब में बताया कि सूचना के अधिकार अधिनियम की धारा तीन के प्रावधानों के अनुसार सभी नागरिकों के पास सूचना का अधिकार है, लेकिन प्रार्थना पत्र में डा. धर्मेश जैन ने एडवोकेट की हैसियत से जानकारी मांगी है जो नागरिक की परिभाषा में नहीं आता है। सूचना के अधिकार के अधिनियम 2005 की धारा 3 के अनुसार केवल नागरिक ही सूचना पाने के अधिकारी हैं। नागरिक की श्रेणी में नहीं आने के कारण आपको सूचना उपलब्ध करवाया जाना संभव नहीं है।
आरटीआई में सूचना व्यक्ति को
'जिस जानकारी की आप बात कर रहे हैं, वह एक एडवोकेट की ओर से मांगी गई थी जबकि सूचना के अधिकार के तहत जानकारी व्यक्तिगत रूप से दी जाती है। हमने इस मामले का अध्ययन करवा लिया था। पूर्व में भी ऐसा मामला आ चुका है। व्यक्तिगत रूप से जानकारी मांगने पर वांछित सूचना उपलब्ध करवा दी जाएगी।'
निर्मला मीणा, रजिस्ट्रार जेएनवीयू, जोधपुर

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