हर रोज 9.5 करोड़ लीटर पानी बर्बाद 
जयपुर। पानी के उत्पादन में लगातार हो रही गिरावट के चलते जलदाय विभाग ने बनास जल की मात्रा बढ़ाने का फैसला तो लिया लेकिन विभागीय सिस्टम लॉस के चलते शहर मे रोजाना करीब साढ़े नौ करोड़ लीटर पानी बर्बाद हो रहा है। इस पानी का उपयोग हो, तो जयपुर के करीब छह लाख से अधिक लोगों की प्यास बुझ सकती है। पानी छीजत कम करने के लिए पिछले कुछ वर्षो में विभाग ने विदेशी कंपनियों का सहारा भी लिया लेकिन पैसा भी गया और समस्या जस की तस बनी हुई है। 
यह है मामला
जानकारी के अनुसार, शहर में रोजाना जितना पानी सप्लाई किया जाता है, उसमें से करीब 20 फीसदी यानी करीब 9.50 करोड़ लीटर पानी रोजाना बर्बाद हो रहा है। यदि पानी की इस बर्बादी को रोका जाए तो करीब छह लाख से ज्यादा लोगों की प्यास बुझाई जा सकती है। शहर की करीब 40 लाख आबादी को रोजाना 150 लीटर प्रति व्यक्ति के हिसाब से करीब 52.50 करोड़ लीटर पानी की दरकार है। जबकि विभाग शहर में रोजाना करीब 100 लीटर प्रतिव्यक्ति के हिसाब से पानी उपलब्ध करवा रहा है। बाकी छीजत में चला जाता है।
क्या है ये सिस्टम लॉस
विभाग द्वारा पानी के प्रोडक्शन से लेकर उपभोक्ताओं तक पेयजल सप्लाई करने के दौरान हजारों किलोमीटर बिछाई गई पाइप लाइनों में लीकेज, लाइन टूट जाने, अवैध जल कनेक्शन व उपभोक्ताओं द्वारा पानी भरने के दौरान व्यर्थ बहने वाला पानी "सिस्टम लॉस" कहलाता है। 
कच्ची बस्तियों में सबसे ज्यादा 
शहर की कच्ची बस्तियों में पाइप लाइनों से सीधे पानी कनेक्शन कर लिए जाते हैं। जहां जरूरत लायक पानी लेने के बाद पानी बेकार बहता रहता है। अनुमान के तौर पर कच्ची बस्तियों में विभाग के तय मानकों से ज्यादा प्रतिव्यक्ति पानी की खपत आंकी गई है। 
ठेके में लीकेज की घटिया रिपेयरिंग
विभाग ने पाइप लाइनों के फॉल्ट-लीकेज ठीक करने का काम ठेके पर दे रखा है। घटिया तरीके से लीकेज सुधार भी पानी छीजत का बड़ा कारण हैं। लीकेज रोकने के लिए रबर टयूब लपेट कर लीकेज वाले स्थान पर मिट्टी डाल दी जाती है। वाहनों का दबाव पड़ते ही स्थिति फिर जस की तस हो जाती है। 
डिफेक्ट लायबिलिटी से खींचे हाथ
बीते तीन साल में विभाग ने निजी फर्मो से करीब दस करोड़ रूपए लागत से सैंकड़ों किलोमीटर लंबी पाइप लाइन बिछवाई है जिसके मेंटिनेंस की जिम्मेदारी भी ठेकेदार की तय की गई और उसके भुगतान में से करीब बीस फीसदी राशि रोक ली गई। बावजूद इसके निजी फर्मो ने काम पूरा कर मेंटिनेंस से पल्ला झाड़ लिया और अब विभाग को दूसरी फर्मो को अतिरिक्त भुगतान कर लीकेज व अन्य मेंटिनेंस वर्क कराने पड़ रहे हैं। 
मेंटिनेंस पर ही सालाना दस करोड़
सिटी सर्कल के चार डिवीजन कार्यालय क्षेत्र में लीकेज व अन्य मेंटिनेंस पेटे करीब दस करोड़ रूपए से ज्यादा सालाना खर्च हो रहे हैं। सबसे ज्यादा लीकेज सुधार कार्य परकोटा क्षेत्र में किए जा रहे हैं जबकि निजी ओएंडएम वाले क्षेत्रों में यह खर्च कम आ रहा है। 
करोड़ों बह गए कनेक्शन में
बीते वष्ाü मलेशियाई कंपनी ने शहर के करीब आधा दर्जन से ज्यादा स्थानों पर करीब 22 हजार पेयजल कनेक्शनों का सर्वे कर सिस्टम लॉस रोकने के लिए जलदाय अधिकारियों को आवश्यक सुझाव दिए। इस कवायद में विभाग के खजाने से करीब पांच करोड़ रूपए खर्च हुए लेकिन सिस्टम लॉस नहीं सुधरा। सप्लाई में पानी छीजत की मात्रा कम करने के लिए वष्ाü 1996-2000 तक फ्रांस की सरेक्का व भारत की टाटा कंसलटिंग इंजीनियरिंग ने भी पेयजल कनेक्शनों का सर्वे कर विभाग को जरूरी सुझाव दिए लेकिन उन पर आज तक अमल नहीं हो सका।
हर संभव प्रयास कर रहे हैं
सप्लाई में पानी छीजत कम करने के हरसंभव प्रयास किए जा रहे हैं लीकेज सुधार की गुणवत्ता तय करने के निर्देश सिटी सर्कल अधिकारियों को दिए गए हैं। कार्य में लापरवाही पाए जाने पर संबंधित ठेका फर्म के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। अनिल भार्गव, मुख्य अभियंता, मुख्यालय, जलदाय विभाग
आनंद यादव

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