बजट का बहिष्कार, रोकी रेल
बोकारो : रेल बजट में यात्री किराये की वृद्धि व झारखंड की उपेक्षा को लेकर भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने बोकारो रेलवे स्टेशन पर बैद्यनाथधाम एक्सप्रेस व शताब्दी एक्सप्रेस को दस-दस मिनट तक स्टेशन के लिए रोककर विरोध दर्ज कराया। कार्यक्रम का आयोजन का भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित लाल सिंह के नेतृत्व में किया गया। रेल रोक रहे भाजपा नेताओं को एएसपी प्रशांत कर्ण ने समझाकर रेलवे पटरी से हटाया। इसके बाद भाजपाइयों ने स्टेशन के बाहर आकर रेल मंत्री व यूपीए सरकार के विरोध में नारेबाजी की।
जिलाध्यक्ष रोहित लाल सिंह ने कहा कि महंगाई से जनता परेशान है। लेकिन केन्द्र सरकार को इसकी फिक्र नहीं है। झारखंड से केवल राजस्व की प्राप्ति की जाती है। रेल प्रशासन प्रदेश व बोकारो की हमेशा उपेक्षा करता है। ऐसा नहीं चलेगा। भाजपा पूरे राज्य स्तर पर रेलवे बजट का बहिष्कार करते हुए रेल रोक रही है ताकि केन्द्र सरकार को इसका अंदाजा लगे।
सरकार रेल बजट में संशोधन करते हुए सामान्य श्रेणी के यात्री किराये में की गयी वृद्धि को वापस करे। अन्यथा पार्टी इससे भी बड़ा आंदोलन खड़ा करेगी। भारी उद्योग प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक एनके राय ने कहा कि बोकारो एक औद्योगिक शहर है पर रेलवे बजट में यहां के उद्यमियों का कोई ख्याल नहीं किया गया। अन्य नेताओं ने भी रेलवे बजट को झारखंड विरोधी बताया।
रेल रोकनेवालों में बासुदेव मिश्रा, कमलेश राय, प्रहलाद वर्णवाल, आरती राणा, शशि भूषण ओझा मुकुल, अंबिका खवास, श्ाकर रजक, दिलीप चौबे, खगेन महथा, वीरभद्र सिंह, लक्ष्मण नायक, देव नारायण प्रजापति, उपेन्द्र पाण्डेय, संजय सिंह, अभय कुमार मुन्ना, संजीव कुमार, कृष्ण कुमार मुन्ना, श्यामलिका दूबे, सूची कोठारी सहित अन्य शामिल थे।
पचास पर हुआ मुकदमा
रेलवे के परिचालन को प्रभावित करने एवं बिना अनुमति के रेलवे ट्रैक को जाम करने के मामले में रेलवे सुरक्षा बल थाने में भाजपा जिलाध्यक्ष रोहित लाल सिंह सहित पचास पर आरपीयूपी एक्ट की धारा 174 ए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया।
गिरफ्तारी को लेकर हुई नौटंकी
बोकारो: बोकारो रेलवे स्टेशन पर रेल रोकने पहुंचे भाजपा नेताओं को गिरफ्तार करने को लेकर स्टेशन पर खूब नौटंकी हुई। पहले आंदोलन कर रहे नेताओं को ट्रैक से हटाते हुए यह कहा गया कि पुलिस उन्हें गिरफ्तार कर रही है। बाद में बाहर आकर नेताओं ने मोहलत मांगकर लगभग आधे घंटे तक भाषण दिया। इस दौरान बालीडीह, जीआरपी व रेलवे सुरक्षा बल के जवान व अधिकारी भारी संख्या में उपस्थित थे। लेकिन यहां किसी ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया। इसके बाद उन्हें स्टेशन से हटाने के लिए बस पर बैठाकर बालीडीह थाने ले जाया गया। यहां पहुंचने के बाद पहले बालीडीह पुलिस ने नेताओं को कागजी तौर पर गिरफ्तार करने से मना कर दिया। बालीडीह पुलिस का कहना था कि उनके क्षेत्र का नहीं है। इसी प्रकार जीआरपी ने भी अपना पल्ला झाड़ लिया। जीआरपी प्रभारी का कहना था कि मामला आरपीएफ का है। लेकिन समस्या यह था कि आरपीएफ द्वारा गिरफ्तार किए जाने के बाद उन्हें धनबाद कोर्ट ले जाना होता। आरपीएफ के अधिकारियों का कहना था कि सभी नेताओं को लोकल पुलिस लेकर चली गयी है। इसलिए वे मुकदमा दर्ज कर रहे है। इसके बाद कोर्ट से वारंट प्राप्त कर सबकी गिरफ्तारी होगी।

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