भारतीय संस्कृति पर हमला
एडिलेड: यूं तो अपनी किताब की बिक्री बढ़ाने के लिए भारतीय क्रिकेटरों की खिंचाई कोई नई बात नहीं है. पहले भी कई क्रिकेटर ऐसी हरकत कर चुके हैं. लेकिन भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कोच ग्रेग चैपल ने तो हद ही कर दी. उन्होंने न सिर्फ टीम इंडिया बल्कि भारतीय संस्कृति तक पर निशाना साध डाला. भारतीय क्रिकेट टीम और भारतीय खिलाड़ियों की आलोचना करके अपनी किताब की बिक्री बढ़ाने की करतूत नई नहीं है. शोएब अख्तर से लेकर हर्शल गिब्स तक ये हथकंडा आजमा चुके हैं. ग्रेग चैपल भी उससे अछूते नहीं हैं. ग्रेग चैपल ने कहा, "भारतीय संस्कृति बिल्कुल अलग है. यहां टीम में काम करने की संस्कृति नहीं है. टीम में लीडर की कमी इसलिए होती है क्योंकि उन्हें लीडर बनने की ट्रेनिंग नहीं दी जाती. बचपन में माता-पिता फैसले लेते हैं फिर उनके शिक्षक फिर उनके क्रिकेट कोच. भारत की संस्कृति ऐसी है कि अगर एक सीमा के बाद आप अपना सिर उठाएंगे तो कोई आपको गोली मार देगा. अंग्रेजों ने उन्हें अच्छी तरह सिखाया कि आप अपना सिर झुका कर रखें. ऐसा इसलिए क्योंकि जिसे जिम्मेदारी मिलती है उसे सजा भी. यही वजह है कि भारतीय जिम्मेदारी से दूर रहना चाहते हैं." हालांकि अपने बयान में उन्होंने टीम इंडिया के कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की तारीफ जरूर की है लेकिन उन्होंने जिस तरह का बयान दिया है जाहिर है उससे हर भारतीय खफा होगा. क्रिकेट के जानकार भी इसको लेकर बेहद गुस्से में हैं.हैरानी की बात ये है कि जो शख्स दो साल तक टीम इंडिया का कोच रहा वो महज चर्चा में बने रहने और चंद पैसों की खातिर ऐसी खुराफात रच रहा है.
ग्रेप चैपल ने अपने बयन में कहा की "भारतीय संस्कृति बिल्कुल अलग है. यहां टीम में काम करने की संस्कृति नहीं है. टीम में लीडर की कमी इसलिए होती है क्योंकि उन्हें लीडर बनने की ट्रेनिंग नहीं दी जाती. बचपन में माता-पिता फैसले लेते हैं फिर उनके शिक्षक फिर उनके क्रिकेट कोच. भारत की संस्कृति ऐसी है कि अगर एक सीमा के बाद आप अपना सिर उठाएंगे तो कोई आपको गोली मार देगा. अंग्रेजों ने उन्हें अच्छी तरह सिखाया कि आप अपना सिर झुका कर रखें. ऐसा इसलिए क्योंकि जिसे जिम्मेदारी मिलती है उसे सजा भी. यही वजह है कि भारतीय जिम्मेदारी से दूर रहना चाहते हैं."
सचिन पर हमला
अपनी किताब बेचने के लिए ग्रेग चैपल ने सचिन तेंडुलकर पर भी छींटाकशी करने से गुरेज नहीं किया. दुनिया जिस सचिन तेंडुलकर को क्रिकेट इतिहास का सर्वश्रेष्ठ बल्लेबाज मानती है उसी सचिन के बारे में चैपल ने अपनी किताब में ये तक लिखा कि वो मानसिक रूप से कमजोर थे. ग्रेग चैपल की सौरव गांगुली की तनातनी किसी से भी नहीं छिपी है. लेकिन अपनी किताब की बिक्री बढ़ाने के लिए चैपल ने गांगुली को लेकर मनगढ़ंत कहानी लिख डाली. चैपल के मुताबिक गांगुली से बड़ा सिरदर्द कोई नहीं है. किताब का प्रचार करने के लिए किसी भी हद तक जाने वाले ग्रेग चैपल यहां तक भूल गए कि उन्होंने टीम इंडिया को या भारत को क्या दिया? ना ही कोई ये भूला है कि चैपल के कोच रहते ही टीम इंडिया 2007 वर्ल्ड कप के पहले राउंड से ही बाहर हो गई थी जिसके बाद चैपल को कोच पद छोड़ना पड़ा था. कोच रहते हुए उन्होंने टीम इंडिया को गुटों में बांट देने की चालबाजी भी कम नहीं की थी . दरअसल ये चैपल की खीझ है जो वो भारतीय और भारतीय खिलाड़ियों पर ऊंगलियां उठाकर निकाल रहे हैं. दुनिया की बात छोड़ भी दें तो इस वक्त ग्रेग चैपल को खुद उनके देश का क्रिकेट बोर्ड तक नहीं पूछ रहा है. कुछ दिन पहले तक ऑस्ट्रेलियाई क्रिकेट टीम के कोचिंग स्टाफ में शामिल रहने वाले चैपल को उनके ही बोर्ड ने दरकिनार कर रखा है. ऐसी हालत में साफ है कि जानबूझकर अपनी अहमियत जताने, चर्चा में रहने और किताब बेचने के लिए ही उन्होंने ये हथकंडा आजमाया है. सवाल ये है कि वो अपनी हरकतों से कब बाज आएंगे?

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