दिल्ली में राजस्थान का जलवा 
नई दिल्ली। केंद्र सरकार की ब्यूरोक्रेसी में सचिव के लिए तरस रहे राजस्थान कॉडर के अधिकारियों के दिन फिरने वाले हैं। आने वाले चार-छह माह के भीतर राजस्थान कॉडर के आधा दर्जन अधिकारी देश की सर्वोच्च ब्यूरोक्रेसी में सचिव स्तर के होंगे। वर्ष 1977 बैच की संगीता गैरोला ने दो दिन पहले ही केंद्रीय कला एवं संस्कृति मंत्रालय में सचिव का पद सम्भाला है। इसी बैच के पीके देव का भी केंद्र में सचिव स्तर का अधिकारी बनना तय हो गया है। 1978 बैच के आईएएस अरविन्द मायाराम, राजीव महर्षि और आशीष बहुगुणा का भी सचिव स्तर पर मनोनयन हो गया है। ये तीनों अधिकारी इन दिनों विभिन्न मंत्रालयों में दिल्ली में काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं 1979 बैच के अधिकारी रवि माथुर, मीरा महर्षि,सुधीर भार्गव और ललित के. पंवार का भी अगले साल के अन्त तक केंद्र में सचिव या सचिव स्तर का अधिकारी बनने की उम्मीद हैं।
मुख्यमंत्री ने भी लिखी थी चिnीराजस्थान कॉडर के अधिकारियों को केंद्र सरकार में सचिव नहीं बनाए जाने से नाराज मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पिछले साल राजीव शर्मा के मामले में पीएमओ को चिठ्ठी भी लिखी थी। जाहिर है राजस्थान कॉडर के अधिकारियों के केन्द्र में सचिव बनने पर राज्य के विकास एवं विकास से जुड़ी योजनाओं पर सीधा असर पड़ता है।
मिलते थे कम महत्व के पद
केंद्रीय नौकरशाही में अब तक केरल कॉडर के अधिकारियों का दबदबा था। जिससे राजस्थान कॉडर के अफसरों की दिल्ली में पूछ नहीं हो पा रही थी। केबिनेट सचिव और प्रधानमंत्री के सचिव बदले जाने से दिल्ली की हवा फिर से राज्य के अधिकारियों के पक्ष में बहने लगी है। राजस्थान कॉडर के 1973 बैच के गजेन्द्र हल्दिया, 1974 बैच के एमके खन्ना, 1976 बैच के अधिकारी के.एस मणि एवं राजीव शर्मा जैसे अधिकारी केंद्र सरकार में सचिव स्तर के अधिकारियों के रूप में चयनित हुए। लेकिन इन्हें सचिव बनाने के बजाए कम महत्व के पदों पर लगा दिया गया। इन्हीं सब हालातों को देखते हुए ही 1978 बैच के अधिकारी वीएस सिंह ने संयुक्त सचिव स्तर पर मनोनयन होने के बावजूद दिल्ली आना स्वीकार नहीं किया।

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