त्रिवेदी ने  प्रधानमंत्री को भेजा इस्तीफा  
नई दिल्ली। रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी ने आखिरकार रविवार देर शाम प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा भेज दिया। सूत्रों के अनुसार अब सोमवार को रेल बजट पर जवाब वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी देंगे।
दीदी के दबाव के आगे झुके त्रिवेदी
इस्तीफा भेजे जाने से पहले दिन में भी त्रिवेदी के सुर बगावत वाले लग रहे थे। लेकिन शाम को ममता बनर्जी के कोलकाता से दिल्ली रवाना होने से पहले दिए गए बयान कि त्रिवेदी पार्टी की बात मानेंगे और इस्तीफा दे देंगे के बाद साफ हो गया था कि त्रिवेदी दबाव में आ गए हैं। इस्तीफा देने से पहले त्रिवेदी ने पार्टी सुप्रीमो ममता से बात की तथा बाद में उन्होंने कहा कि पार्टी का निर्णय था कि मैं रेल मंत्री के पद से इस्तीफा दे दूं। मैं पार्टी का एक सैनिक हूं और इसलिए मैंने पार्टी के फैसले का सम्मान करते हुए पद से इस्तीफा दे दिया।
समर्थन वापसी की धमकी
तृणमूल कांग्रेस ने त्रिवेदी को नहीं हटाने पर यूपीए सरकार से समर्थन वापस लेने की धमकी दी है। ममता बनर्जी रविवार रात दिल्ली पहुंच रही है। ममता बनर्जी ने त्रिवेदी को हटाने के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया है। ममता ने प्रधानमंत्री से मिलने का समय मांगा है। ममता जल्द से जल्द त्रिवेदी को हटाना चाहती है क्योंकि उन्हें लग रहा है कि त्रिवेदी कांग्रेस के साथ हो गए हैं। ममता ने शनिवार को भी कहा था कि त्रिवेदी को हटाने पर फैसला अब प्रधानमंत्री को लेना है। हमारी ओर से मुकुल रॉय अगले रेल मंत्री होंगे।
दोनों तरफ से शब्द बाणों की बौछार
त्रिवेदी ने इस्तीफा भेजे जाने पहले तक कहा था रेलवे किसी की निजी संपत्ति नहीं है। त्रिवेदी ने तृणमूल कांग्रेस की अध्यक्ष ममता बनर्जी को खरा खरा जबाव देते हुए कहा कि वह अब भी रेल मंत्री हैं। शनिवार को ममता बनर्जी ने कहा था कि वह त्रिवेदी के बारे में कोई बात नहीं करना चाहती क्योंकि उनके लिए त्रिवेदी रेल मंत्री नहीं है। त्रिवेदी ने आरोप लगाया कि सुदीप बंदोपाध्याय ने रेल बजट पर पार्टी के भीतर राजनीतिक गड़बड़ी करवाई है। उन्होंने कहा कि बंदोपाध्याय ने ही रेल बजट को लेकर भ्रम पैदा किया। मैं अभी अभी रेल मंत्री हूं। ममता से बातचीत पर त्रिवेदी ने कहा कि किसी से कोई बात नहीं हुई है। हमें राजनीति की बजाय देश के बारे में सोचना चाहिए। मैं ममता बनर्जी का बहुत सम्मान करता हूं। मेरे दिल में उनके लिए काफी सम्मान है। वह महान नेता है। मुझे उनसे कोई परेशानी नहीं है। उन्हें अपनी राय रखने का हक है। मैं उनकी राय का सम्मान करता हूं।

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