2010 से टीम इण्डिया में फूट
नई दिल्ली। टीम इण्डिया मे फूट 2010 में बांग्लादेश दौरे के पड़ गई थी। सूत्रों के मुताबिक टीम इण्डिया के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी और सलामी बल्लेबाज वीरेन्द्र सहवाग के बीच की दुश्मनी काफी पुरानी है। सहवाग के एक करीबी सूत्र ने बताया कि बांग्लादेश दौरे के वक्त सहवाग और धोनी ने तो दोस्त थे और न दुश्मन है। सहवाग के बांग्लादेश टीम को "बेकार" करार दिए जाने के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के एक बड़े खिलाड़ी ने एक दो दिन बाद सहवाग के बयान पर नाखुशी जाहिर की। उस खिलाड़ी ने कहा, मैं कभी ऎसा बयान नहीं देता। ऎसी बात करने का मतलब क्या है। बिना बात विवाद पैदा करना? मैं ऎसा कभी नहीं करता।
इसके बाद बात जून 2011 के वेस्ट इंडीज दौरे की है। डोमिनिका में खेले जा रहे तीसरे टेस्ट मैच के अंतिम दिन भारत ने लक्ष्य का पीछा नहीं करने का मन बनाया। टेस्ट को ड्रॉ कराने के कप्तान और कोच के फैसले के खिलाफ एक दो आवाजें उठीं। इसी मूड में टीम इंग्लैंड के दौरे पर रवाना हुई।
कप्तान और चयनकर्ताओं के बीच भी खींचतान
सूत्रों के मुताबिक खींचतान केवल कप्तान और टीम के एक-दो खिलाडियों के बीच ही नहीं है बल्कि कप्तान और चयनकर्ताओं के बीच भी है। अब यह खींचतान एडिलेड में लक्ष्मण जैसे वरिष्ठ खिलाड़ी को टीम में शामिल नहीं करने तक बढ़ गई।
कप्तान और कोच लक्ष्मण को बाहर कर रोहित शर्मा को टीम में लेने की जिम्मेदारी उठाने को तैयार नहीं थे। सूत्रों की मानें तो कप्तान और कोच इसके लिए चयनकर्ताओं को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं, लेकिन निश्चित रूप से चयनकर्ता सीरीज के बीच में ऎसा निर्णय नहीं कर सकते क्योंकि अंतिम ग्यारह का फैसला वे नहीं करते।

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