रामकथा ही जीवन हैं - बापू 
नित बह रही है प्रेम भक्ति की गंगधार
रामदेवरा, 9 नवम्बर। जैसलमेर 
षिश्य भाव में श्रद्धा से जुड़े हाथ, झूकी पलकों मे अनन्य आषीश का आग्रह, होंठो पर समुधर गुणगान और मन में अथाह प्रेम भक्ति की गंगधार। हजारों भक्तों की मौजूदगी, श्रोताओं के अनंत सैलाब में, मगर खुद से बेखबर। अलौकिक अनुराग में डूबे व्यासपीठ के केन्द्रीय भाव से मानस रामदेव पीर के एक एक षब्द संभालने, सहेजने और समां लेने को आतुर व स्वर लहरियों का सहगायन कर लेने की बेसब्री, अनुरोध प्रेम का, त्याग अविष्वास और क्रोध का। बाबा रामदेव की नगरी रामदेवरा में मुरारी बापू की रामकथा के पांचवे दिन यही भाव साकार हुआ। कथा के पांचवे दिन प्रातः आठ बजें से ही जन समुदाय का महारैला उमड़ पड़ा। जिसे देखों वही राममय नजर आया। अपार भीड क्या महिलायें, क्या पुरूश, क्या युवा, क्या बच्चें, क्या बुजुर्ग सभी रामकथा स्थल की ओर बढ़ते नजर आयें। 
रामकथा के पांचवे दिन व्यासपीठ से हजारों श्रोताओं को सत्य की महत्ता बताते हुए बापू ने कहा कि सत्य हमेषा हरा भरा होता है। प्रेम चल और अचल होता है। चल रूप में प्रेम हमेषा बढ़ता है लेकिन अचल रूप में कभी कभी मूर्छा आ जाती है। करूणा सदैव चल होती है और हमेषा बहती रहती है। सत्य के साथ जो जुड जाता है वह सच्चा होता है। इंसान क्या सोचता है और क्या करता है, इसके साक्षी भगवान सूर्य है। 
बापू ने कहा कि जीवन की रामकथा में सबसे बड़ा असुर मोह है। मोह विस्तारित षब्द है। रावण को जितना प्रभाव मिलता गया उसकी अपेक्षायें उतनी ही बढ़ती गई और वह रावण बन गया। दस मुंहों वाला रावण भले ही मर गया हो लेकिन षिवभक्त, साधक, विद्वान, कवि के रूप में रावण अजर व अमर है। 
बाबा रामदेव पीर के जीवन पर प्रकाष डालते हुए बापू ने कहा कि बाबा रामदेव भगवान कृश्ण के अवतार है। कृश्ण के साथ जो जो घटना घटी वही बाबा रामदेव के साथ भी घटित हुई। इस्लाम धर्म को मानने वालों ने बाबा को अलग रूप में देखा। बाबा रामदेव ने अछूतों का उद्धार इस रूप में किया कि श्रेश्ठों का भी कभी अपमान नही हो। फरेब को रामदेव पीर टिकने ही नही देते है। बापू ने रामकथा के दौरान नामकरण संस्कार, यज्ञोपवित संस्कार, गुरू विष्वामित्र और प्रभु राम, अहिल्या उद्दार प्रसंगों को दर्षाया। बापू ने कहा कि धर्म स्तम्भ जैसा महान स्तम्भ कोई नही है।
भक्ति रूपी भाव में असत्य भी भूशण है। अनुकूलता, आकर्शण और आत्मीयता जीवन की सत्य एवं काम प्रेरक वस्तु है। इच्छायें कामनाओं को जन्म देती है। आत्मीयता रस वृद्धि का कारण बनती है लेकिन यही आत्मीयता महारस की ओर ले जाये तो बेड़ा पार हो जाता है। दूसरों के प्रति द्वेश, ईर्श्या या निन्दा ना हो तो साधक को कोई साधना करने की जरूरत ही नही पड़ती है। निन्दा आज व्यसन नही ष्वसन हो गया है। दूसरों से ईर्श्या करना महा पाप है। 
भजन की तीन बाधाएं
कलियुग भजन का युग है और हरिनाम श्रेश्ठ भजन है। कलियुग में सार्वभूत भजन हरिनाम है। जीवन के रामायण के षत्रुओं का नाष करने के लिए भजन आवष्यक है। परमात्मा का भजन ही सार्थक है। जो राम दर्षन करा दे वही विद्या है बाकि सब अविद्या है। मार तो कई सकते है लेकिन आज किसी को तारना मुष्किल है। हमारे अन्दर के असुरों का अंत भजन से होता है। आध्यात्म में मानसिक पाप, पुण्य एवं प्रारब्ध को भजन की तीन बाधाएं बताई गई है।
समग्र राश्ट्र हिताय समग्र राश्ट्र सुखाय
केन्द्र सरकार की ओर से 500 और 1000 के निर्णय पर बापू ने कहा कि देषहित में जो भी निर्णय होते है वह सबकों स्वीकार्य होना चाहिए। सामान्यजन को नुकसान ना हो इसके लिए जो उपाय सरकार ने अपनायें है उनकों और सरल बनाया जाना चाहिए। सामान्यजन के पसीने की कमाई व्यर्थ ना जाए इसे विषेश ध्यान में रखा जाए। 
प्रभु प्रसाद में उमड़ा सैलाब
रामकथा के पांचवे दिन कथा के पष्चात हजारों श्रोताओं ने प्रभु प्रसाद के पाण्डाल में पहुंचकर प्रसाद का लाभ उठाया। ज्यादा संख्या आस पास के जिलों एवं देहाती क्षेत्र की रही।
विदेषी पर्यटकों ने किया श्रवण
मुरारी बापू की रामकथा के पांचवे दिन विदेषी पर्यटकों ने भी रामकथा का श्रवण किया। इंग्लैण्ड से आये पर्यटकों का एक दल कथा स्थल पहुंचा तथा कथा का श्रवण। 
दूर दूर से पहुंच रहे है श्रद्धालु
रामकथा में मारवाड से ही नही, मेवाड के साथ साथ गुजरात, मध्यप्रदेष एवं संपूर्ण राजस्थान से भक्त रामदेवरा पहुंच रामकथा का रसपान कर रहे है।
निःषुल्क बसों से मिल रही है सुविधा
रामकथा के श्रवण के लिए आने वाले लोगों को कथा स्थल के 50 किलोमीटर की परिधि में संत कृपा सेवा संस्थान की ओर से लगाई गई निःषुल्क बसों से भक्तों को सुविधा मिल रही है।
आज के कार्यक्रम
रामकथा के तहत आयोजित सांस्कृतिक संध्या में गुरूवार षाम को 6 बजें कथा स्थल प्रांगण में प्रसिद्ध गायिका अलका ठाकुर और राजस्थानी संगीत का जलवा बिखेरने वाले लंगा मणियार ग्रुप के हासन खां एवं पार्टी अपनी प्रस्तुति से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करेंगे।

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