सरकार ने जाटों को आरक्षण देने का किया वादा, नरम पड़ा आंदोलन
नई दिल्ली।
केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह के घर हुई बैठक में सरकार ने जाट समुदाय को आरक्षण देना का फैसला किया है। बैठक में भाजपा के कई जाट नेता और खाप पंचायतों के प्रतिनिधि मौजूद थे। 
बैठक में सरकार ने भरोसा दिलाया कि हरियाणा विधानसभा में बजट सत्र के दौरान बिल पास कर हरियाणा में जाट समुदाय को स्पेशल बैकवर्ड क्लास के तहत आरक्षण दिया जाएगा। 
साथ ही केंद्र में जाट समुदाय को ओबीसी के तहत आरक्षण कैसे दिया जाए इस पर एक उच्च स्तरीय कमेटी विचार करेगी। बीजेपी के हरियाणा प्रभारी अनिल जैन ने बैठक से बाहर आने के बाद यह जानकारी दी। 

आश्वासन के बाद नरम पड़े आंदोलनकारी
इसके बाद जाट नेता जयपाल सिंह सांगवान ने कहा कि जाट समुदाय सरकार की पहल से संतुष्ट है।इस घोषणा के बाद आंदोलनकारी नरम पड़ने लगे और उन्होंने जगह-जगह सड़कों से बाधाएं हटानी शुरू कर दी। पानीपत और पानीपत और सोनीपत में नेशनल हाइवे से बैरिकेड हटा लिए गए हैं। जींद, कैथल, भिवानी में भी आंदोलनकारी हट गए हैं।

गृह सचिव ने माना, बिगड़े हालात के लिए सरकार जिम्मेदार
जाट आरक्षण आंदोलन को रोकने के लिए जहां सरकारी तंत्र अभी तक नाकाम रहे हैं, वहीं प्रदेश के अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह पी.के. दास ने बिगड़े हालात के लिए सरकार को ही जिम्मेदार ठहरा दिया। 

दास ने माना कि एक जाति विशेष के अफसरों व पुलिस कर्मियों को जिला प्रशासन के साथ सामंजस्य नहीं करने की सूचनाएं सरकार के पास पहुंची है। उनके मुताबिक ऐसी सूचनाओं के बाद उन्होंने स्वयं कई जिलों के उपायुक्तों व पुलिस अधीक्षकों से फोन पर बातचीत की, लेकिन इस बातचीत का भी कोई ठोस नतीजा निकलकर सामने नहीं आया है। 
इसका असर यह हो रहा कि हरियाणा आरक्षण के लिए शुरू हुई लड़ाई से जातीयता की आग में आगे बढ़ता जा रहा है। दास ने प्रदेश में मौजूदा स्थिति के लिए सरकार को जिम्मेदार मानते हुए कहा कि आर्मी को फ्रीहैंड नहीं दिया जा सकता। जिला प्रशासन तय करता है कि आर्मी का सहयोग कहां और कैसे लिया जा सकता है। पिछले कुछ दिनों की अपेक्षा स्थिति में सुधार हो रहा है। 
राज्य सरकार ने आदेश जारी कर दिए हैं कि यदि कोई भी अधिकारी या कर्मचारी क्षेत्र में तैनात होने के बाद मैदान छोड़कर भागता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। हालांकि दास ने इस बात से इंकार किया कि प्रदेश जातीय हिंसा की तरफ बढ़ चुका है, लेकिन उनके इस दावे में कतई सच्चाई नजर नहीं आ रही है। 
उन्होंने कहा कि आंदोलनकारियों पर शिकंजा कसा जा रहा है। संभावना जताई जा रही है कि अगले 2 दिनों में वह शांत हो जाएंगे और उनसे बातचीत की प्रक्रिया शुरू किया जाएगा। दास ने माना कि कुछ मामलों में पुलिस एक्शन लेने में देरी हुई होगी और कुछ पुलिसकर्मियों ने अपनी ड्यूटी में कोताही बरती होगी, लेकिन आगे ऐसा नहीं होने दिया जाएगा।

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