बाड़मेर आतंकवादी का कोई मजहब नहीं होता है-रिजवी 
मेरा बेड़ा पार कर दे या गौस अल मदद 
बाड़मेर 
जष्ने गौसे आजम का जलसा ईदगाह मैदान होथीयाणी बस्ती देरासर में बड़ी शान और शौकत के साथ मनाया गया। इस जलसे में सैकड़ों की तादाद में मुस्लिम भाई बहिनों ने षिरकत कर ईमान की राह पर चलने का विष्वास दिलाया। इस जलसे में अपनी तकरीर करते हुए मुफ्ती ए आजम राजस्थान मुफ्ती शेर मोहमद खां, आवाम से मुखातिब होते हुए कहा आतंकवाद कोई मजहब नहीं होता है जो इंसानीयत का खून करता है वो इस्लाम से उसका कोई तालूक नहीं। अल्लाह के नबी के पैगामों को अपने जेहन में उतारकर उनके बताये हुए रास्तो पर चलकर दीनी दुनियावीं खिदमत करें। मेरे रसूल पूरी दूनिया के लिये रहमत बनकर आये। मेरा इस्लाम कहता है गरीबों, मोहताजों, बेसहारा, वतन से मोहबत, पड़ौसी का हक अदा करना, यह मौमीन की पहचान है। यह मेरा मुल्क हिन्दुस्तान एक चमन है जहां रंग बिरंगे फूलों की तरह हर जाति और मजहब के लोगों को अपने मजहब पर रहने की आजादी है। चमन जब खुबसुरत लगता है जिसमें रंग बिरंगे फूल हो। खुषुसी वक्ता पीर सैयद आलम गीर असरफ असरफी ने अपनी तकरीर में कहा रूह और जिस्म में मोहबत थी तो जिदंगी दोनों में जुदाई हुई तो मौत बन गइ। मोहबत का नाम जिदंगी और नफरत का नाम मौत है। दुनिया मुसाफिर खाना है मरने के बाद न दौलत, न अजीज, न भाई, रिष्तेदार यहीं रह जायेगें साथ अच्छे काम चलेगें। जिदंगी में रहते हुए अच्छे काम करें दुनीया से जाने के बाद लोग याद करें। इस मौके पर पीर सैयद नुरूला साह बुखारी, सैयद गुलाम शाह बामणोर, मुस्लिम इंतजामिया कमेटी के पूर्व सदर असरफ अली खिलजी, मौलाना कासिम दिलकष, मौलाना अयूब असरफी, मौलाना युसुफ, जिलानी जमात के सदर हाजी इदरीष, चीफ खलीफा सखी मोहमद कादरी, नाथू खां समेजा गागरिया, सिद्धिक खां मंगलिया, सौकत खां, दरिया खां, उमर खां, साहेबना, मौलवी विलाल, सरीफ खां छछर, खलीफा रहीम बसरा, वकील मुनवर अली, वकील साकर खां,हाजी सरादीन, रमजान खां समेजा, मेहमूूद खां, सहित समाज के कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे। 
बाड़मेर कोई कौम तालीम के बिना तरक्की नहीं कर सकती - विष्नोई
बाड़मेर 
इस मौके पर तालीमी और कौमी एकता का कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि अतिरिक्त जिला कलेक्टर ओपी विष्नोई ने कहा कि कोई समाज तरक्की के षिक्षा के बिना संभव नहीं है और न ही कामयाबी हासिल कर सकती। अपने बच्चों बच्चीयों को तालीम दिलायें। किसी भी समाज की तरक्की तब तक संभव नही जब तक की उसमे वृहत रूप से एकता ओर संगठनात्मक रूप से मजबूती नहीं हो जाती। शिक्षा वह साधन है जो समाज को केवल शिक्षित ही नहीं करती वरन व्यक्ति के आत्मीय विकास में भी अहम योगदान निभाती है। कार्यक्रम में अध्यक्षता करते हुए युवा समाजसेवी जोगेन्द्रसिंह चैहान ने इलम ही एक ऐसी चीज है जो इंसान को बुलंदीयों तक पहुंचाती है। षिक्षा में कोई रंग रूप नहीं देखा जाता है काबीलीयत देखी जाती है। थानेदार जयसिंह ने कहा षिक्षा आज के युग में जरूरी है। षिक्षा के बिना मंजिल पाना मुष्किल है। 


इस मौके पर मुफ्ती आजम राजस्थान ने मुस्लिम कौम को षिक्षा के लिये अपने बच्चों व बच्चीयों को स्कूल भेजने का आह्वान किया। समाजसेवी लूणसिंह झाला, राजेन्द्रसिंह चैहान, उगमसिंह, मुस्लिम इंतजामिया कमेटी के पूर्व सदर असरफ अली खिलजी, जिलानी जमात के सदर हाजी इदरीष, सहित कई लोग मौजूद रहे। 

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