रिफाइनरी पचपदरा में लगे तो सारी शर्तें मंजूर : गहलोत
बाड़मेर 
सरकार जो चाहे करे। तेल के दाम गिरे हैं, तो ब्याजमुक्त ऋण को घटा दें। मिनी रिफाइनरी मंजूर कर लें। अन्य शर्तें जोड़ दें, लेकिन रिफाइनरी पचपदरा में ही लगनी चाहिए। जो नुकसान होना था वो वसुंधरा सरकार दो साल की देरी कर कर चुकी। अब और देरी नहीं कर इसका निर्णय होना चाहिए। गहलोत ने रविवार को बाड़मेर में पत्रकार वार्ता के दौरान यह बात कही।
वे यह कहने से भी नहीं चूके कि अंबानी और एसआर जैसे ओद्यौगिक घरानों को लाभ पहुंचाने के लिए रिफाइनरी में देरी हुई है। गुजरात तेल जाने से 105 करोड़ रुपए प्रतिवर्ष सेलटैक्स जा रहा है। यह सीधा दर्शाता है कि राजस्थान को नुकसान हुआ है। बड़े घरानों को लाभ पहुंचाने का संदेह होना लाजमी है। उन्होंने कहा कि हमारे समय में 6 हजार करोड़ यहां का तेल राजस्व दे रहा था। उस समय 134 डॉलर प्रतिबैरल की कीमत थी जो अब 35 डॉलर पर आ गई है। फिर भी तेल की कीमतें नहीं गिर रही है। 3737 करोड़ का ब्याजमुक्त ऋण देने की बात हुई थी। उसे कम करने में हर्ज नहीं है। राज्य की 26 प्रतिशत की भागीदारी को बढ़ा दीजिए। रिफाइनरी को लेकर हम लगातार दबाव बना रहे हैं। जहां भी दो साल तक कार्यक्रम में गए हैं रिफाइनरी, मेट्रो और रतलाम रेल की बात पुरजोर रखी है। हमारी तो एक ही मांग है कि रिफाइनरी पचपदरा में ही लगे।
वो महिला है इसलिए वे चुप हैं
रिफाइनरी के मुद्दे पर अशोक गहलोत को घेरते रहे कर्नल सोनाराम के भाजपा में आने के बाद इस मुद्दे पर नहीं बोलने के सवाल पर गहलोत ने चुटकी लेते हुए कहा कि मैं सामान्य कार्यकर्ता था, लेकिन अब मुख्यमंत्री महिला है, इसलिए वे नहीं बोल पा रहे हैं।
वसुंधरा के कहने पर
गहलोत ने कहा कि रिफाइनरी जालोर में लगाने की मांग भी वसुंधराराजे के इशारे पर उठाई गई है, यह गलत है। रिफाइनरी तो पचपदरा में ही लगे। देरी दुर्भाग्यपूर्ण है।

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