बाड़मेर कथाओं के साथ भजनों ने श्रोताओं का मन मोह लिया 
बाड़मेर 
कथा वाचक लक्ष्मण्दास महाराज ने तीसरे दिन की कथा का प्रारम्भ षिव धुन के साथ किया। कथा षिव पुराण में हिमाचल के यहां पुत्री के जन्म माता पार्वजी का विस्तार पूर्वक वर्णन करते समय कई अच्छी घटनाओं का उल्लेख किया हिमाचल राजा ने नारद को बुलाकर पार्वती के जन्म के बारे में पुछकर पुरे जीवन का वतृतान्त नारद ने अच्छी तरह समझाया। कथा को सुनकर हिमाचल बड़े खुष हुए। मन ही मन प्रसन्न हुए कि मेरी पुत्री के रूप में जगत जननी मां ने पार्वती के रूप में जन्म लिया है। पार्वती की तपस्या करना नारद के भविष्यवाणी अनुसार पार्वती का भगवान शंकर से विवाह क हठ करना, कामदेव का भगवान शंकर को तपस्या भंग करना आदि कथाओं के साथ भजनों ने श्रोताओं का मन मोह लिया है। 
कथा में षिव विवाह का उत्सव बड़े धूम धाम से मनाया। झांकीयों को देखकर श्रोतागण झूम उठे। महाराज ने भगवान शंकर विवाह को सविस्तार पूर्वक चरित्र करके पांडाल को हिमाचाल नगरी में परिर्वतन कर दिया। शंकर भगवान की बारात मंे भगवान विष्णु, ब्रह्मा, इंदुदेव, भूत पिचाच भी पधारे षिव विवाह में भगवान ने पार्वती को जयमाला पहनाई। माने स्वर्ग धरती पर उतर आया हो। 
आरती का लाभ मुकेष शर्मा व हनुमानदास सोनी ने लिया। कथा संयोजक दुर्गाषंकर ने श्रोताओं को समय पर कथा में आने के लिये निवेदन किया। कथा संयोजक बाबूलाल माली ने आरती में शांति बनाकर रहने का अनुरोध किया। प्रसादी का लाभ भूरसिंह माधोसिंह दोहट ने लिया। 

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