विश्व पर्यावरण सप्ताह की शुरुवात आज , कई प्रतियोगिताओ का होगा आयोेजन 
बाड़मेर 
तेजी से बदलते परिवेश और बढ़ते ओधोगिक माहोल के बीच दम तोड़ती कुदरत को सहेजना आज की सबसे बड़ी जरूरत है इस बात को अगले सप्ताह भर तक विभिन्न आयोजनो के माध्यम से मुखर किया जाएगा। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग ,सीसीडीयू ,मार्डन आर्ट थियेटर संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में स्थानीय रामूबाई विधालय में चल रहे अभिरुचि प्रशिक्षण शिविर में विश्व पर्यावरण सप्ताह का आयोजन किया जायेगा। जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधीक्षण अभियंता नेमाराम परिहार ने बताया कि पर्यावरण संरक्षण तथा इसे पहुंच रहे खतरों के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर वर्ष 5 जून के दिन को विश्व पर्यावरण दिवस के रूप में मनाया जाता है। उसी क्रम में शुक्रवार से विभाग विश्व पर्यावरण सप्ताह का आगाज करने जा रहा है जिसमे विभिन्न माध्यमो से इस बात को आगे बढ़ाया जायेगा की किस तरह पर्यावरण को पहुंच रहे नुकशान से उसे बचाया जा सकता है । सीसीडीयू के आईईसी कंसल्टेंट अशोक सिंह राजपुरोहित ने बताया कि रामूबाई विधालय में चल रहे अभिरुचि प्रशिक्षण शिविर में विश्व पर्यावरण सप्ताह में चित्र प्रदर्शनी , क्विज प्रतियोगिता ,पोस्टर प्रतियोगिता ,वाद विवाद प्रतियोगिता ,कविता लेखन प्रतियोगिता और निबन्ध प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा।सप्ताह का समापन एक समारोह में किया जायेगा जिसमे इन सभी प्रतियोगिताओ में पहली दूसरी और तीसरी पायदान पर रहने वाले प्रतियोगियों को पुरष्कारो से नवाजा जाएगा। मार्डन आर्ट थियेटर संस्थान के निदेशक औरअभिरुचि प्रशिक्षण शिविर के प्रभारी गोपी किशन शर्मा ने बताया कि इन प्रतियोगिताओ के आलावा बचाये कुदरत कल के लिए नामक नुक्क्ड़ नाटक का आयोजन भी किया जायेगा साथ की सेव एनवारमेंट नामक नृत्य नाटिका का मंचन भी इसी सप्ताह के दौरान किया जाएगा। शर्मा ने बताया कि सप्ताह के विभिन्न आयोजनो के दौरान विषय विशेषज्ञों के अनुभवों और विचारो से भी बच्चो को रूबरू करवाया जाएगा। 

यह है पर्यावरण दिवश का इतिहास 

पर्यावरण प्रदूषण की समस्या पर सन् 1972 में संयुक्त राष्ट्र संघ ने स्टॉकहोम (स्वीडन) में विश्व भर के देशों का पहला पर्यावरण सम्मेलन आयोजित किया। इसमें 119 देशों ने भाग लिया और पहली बार एक ही पृथ्वी का सिद्धांत मान्य किया। इसी सम्मेलन में संयुक्त राष्ट्र पर्यावरण कार्यक्रम का जन्म हुआ तथा प्रति वर्ष 5 जून को पर्यावरण दिवस आयोजित करके नागरिकों को प्रदूषण की समस्या से अवगत कराने का निश्चय किया गया। तथा इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण के प्रति जागरूकता लाते हुए राजनीतिक चेतना जागृत करना और आम जनता को प्रेरित करना था। उक्त गोष्ठी में तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने 'पर्यावरण की बिगड़ती स्थिति एवं उसका विश्व के भविष्य पर प्रभाव' विषय पर व्याख्यान दिया था। पर्यावरण-सुरक्षा की दिशा में यह भारत का प्रारंभिक कदम था। तभी से हम प्रति वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाते आ रहे हैं।

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
HAFTE KI BAAT © 2013-14. All Rights Reserved.
Top