जरूरी नहीं रहेगा राजपत्रित अधिकारी से सत्यापन कराना
बाडमेर 
जिले में दस्तावेजों के प्रमाणीकरण के लिए अब राजपत्रित अधिकारियों के सत्यापन की आवश्यकता नहीं होगी। राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर आम जन को राहत प्रदान करते हुए दस्तावेजों के स्व प्रमाणीकरण की व्यवस्था को लागू किया है। यह व्यवस्था एक जनवरी, 2015 से लागू की जाएगी।

जिला कलक्टर मधुसूदन शर्मा ने बताया कि शिक्षण संस्थाओं में प्रवेश चाहने वाले प्रार्थी, राजकीय विभागों स्थानीय निकायों, पंचायतीराज संस्थाओं, निगमों, मण्डलों से सेवाएं चाहने वाले प्रार्थी, नागरिकगण एवं राजकीय विभागों, निगमों, मण्डलों में रोजगार के लिए आवेदन प्रस्तुत करने वाले अभ्यर्थी संबंधित दस्तावेजों की प्रतियां स्वयं प्रमाणित कर प्रस्तुत कर सकेंगे। आदेश के अनुसार शिक्षा विभाग द्वारा सभी शिक्षण संस्थाओं को निर्देश जारी किए जा रहे है कि वे स्व-प्रमाणित दस्तावेजों को स्वीकार करें, शिक्षण संस्थाओं द्वारा सफल व चयनित अभ्यर्थियों के ही मूल दस्तावेजों का सत्यापन किया जाएगा। इसके अनुरूप शिक्षण सत्र 2015-16 से वितरण पुस्तिका, प्रवेश पत्रादि संशोधित किये जाएगें। इस संबंध में राजस्थान लोक सेवा आयोग एवं अधीनस्थ सेवा चयन बोर्ड के अध्यक्षों को इन निर्देशों की अनुपालना के लिए भविष्य में होने वाली भर्तियों के लिए वांछित कार्यवाही करने के लिए संबंधित शासन सचिव एवं प्राधिकारियों द्वारा निर्देश प्रदान किये जा रहे है।

जिला कलेक्टर ने बताया कि अब किसी भी संस्था, विभाग एवं निकाय द्वारा शैक्षणिक संस्थाओं में प्रवेश, सेवाओं अथवा रोजगार पाने के लिए प्रस्तुत किये जाने वाले आवेदन पत्रों के साथ नोटेरी अथवा मजिस्टेªेट अथवा अन्य प्राधिकारी से प्रमाणित शपथ पत्र प्रस्तुत करने के लिए नहीं कहा जायेगा तथा प्रार्थी एवं अभिभावक स्वयं द्वारा प्रमाणित घोषणा पत्र प्रस्तुत कर सकेंगे।

शर्मा ने बताया कि राजकीय विभाग, स्थानीय निकाय, बोर्ड, पंचायती राज संस्थान एवं शिक्षा संस्थान प्रार्थना पत्रों के साथ प्रेषित स्वयं के घोषणा पत्र को स्वीकार करेंगे जिसका मानक प्रारूप तैयार किया गया है एवं जिस पर आवेदक का फोटो भी लगाया जायेगा तथा उक्त संस्थान अपनी वेबसाइट एवं नोटिस बोर्ड पर ऐसे शपथ पत्र जिसकों स्वयं के घोषणा पत्र के रूप में स्वीकार किए जाने के लिए स्थानापन्न किया गया है, की सूची उपलब्ध कराई जाएगी ताकि आम जन को पूर्ण सूचना उपलब्ध रहें। शपथ पत्र केवल उन्ही मामलों में लिए जाएगें जहां कानूनी अनिवार्यता हो।

उन्होने बताया कि राज्य सरकार की इस व्यवस्था से लाखों विद्यार्थियों को निश्चिय रूप से लाभ होगा एवं साथ ही सरकारी नौकरियों के लिए आवेदन करने वालों तथा सरकारी विभागों व निकायों से आवास पट्टे प्राप्त करना, नगर निगम, नगर पालिका, नगर विकास न्यास, जेडीए, पंचायती राज संस्थाएं, विद्युत कम्पनियों, रीकों, सहकारी समितियों आदि से विभिन्न प्रकार की सेवाएं प्राप्त करने, भवन निर्माण आदि की अनुमति प्राप्त करने के लिए शपथ पत्र एवं दस्तावेजों के प्रमाणीकरण की अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। इसी प्रकार राशन कार्ड बनाने, भूमि रूपान्तरण कराने, आवासन मण्डल से मकान आवंटित कराने, बिजली-पानी का कनेक्शन लेने, जाति प्रमाण पत्र प्राप्त करने, ड्राईविंग लाइसेन्स बनवाने, सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लिए आवेदन पत्र आदि रोजमर्रा के अनेकों कार्यो के लिए शपथ पत्र एवं दस्तावेजों के प्रमाणीकरण की आवश्यकता एवं अनिवार्यता समाप्त कर दी गई है। इस नई व्यवस्था से विद्यार्थियों एवं आम नागरिकों को दस्तावेजों के प्रमाणीकरण के लिए राजपत्रित अधिकारी एवं शपथ पत्र के लिए नोटेरी पब्लिक आदि के चक्कर काटने से मुक्ति मिलेगी, न स्टाम्प पेपर खरीदने पडेंगे और न ही अन्य व्यय करने पडेंगे।

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