जैन के निधन पर सर्वधर्म सभा का आयोजन
बाड़मेर। 
समाजसेवी पदमश्री मगराज जैन के निधन पर उनके महावीर नगर स्थित आवास पर श्रद्धांजलि सभा एवं सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन किया गया।
इस मौके पर विभिन्न धर्मो एवं सम्प्रदायों के लोगों ने श्री जैन को श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर रामधुन, नमोकार मंत्र, शबद कीर्तन और विभिन्न धार्मिक भजनों के जरिए जैन को श्रद्धासूमन अर्पित किए गए। श्रद्धांजलि सभा एवं सर्वधर्म प्रार्थना सभा का आयोजन श्योग, मरूधर लोक कला मण्डल, मंथन, जिला युवक कल्याण कोष समिति सहित विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के संयुक्त तत्वाधान में किया गया था।
इस मौके पर भाजपा जिलाध्यक्ष जालमसिंह रावलोत ने स्व. जैन को श्रद्धांजलि देेते हुए कहा कि उनके सार्वजनिक जीवन में जनै सदैव ही उनके लिए प्रेरणा का स्त्रोत रहे है और भविष्य में भी रहेगें। स्वामी प्रतापपुरी ने स्व. श्री जैन को महान् कर्मयोगी बताया। विनोद विठठ्ल ने कहा कि जब किसी व्यक्ति से उसके शहर की पहचान होने लगे, ऐसे में उस व्यक्ति के व्यक्तित्व को शब्दों में बंया करना मुश्किल है। समाजसेवी तेजदान चारण ने कहा कि ऐसे लोग बिरले ही होते है जिनका पूरा जीवन और सर्वस्व समाजसेवा के लिए समर्पित हो। चारण ने कहा कि उनके बताए मार्ग पर चलना ही उनको सच्ची श्रद्धाजंलि होगी।
जैन को श्रद्धांजलि देने मौजूदा सांसद कर्नल सोनाराम चैधरी, भाजपा जिलाध्यक्ष जालमसिंह रावलोत, पूर्व सांसद हरीश चैधरी, विधायक मेवाराम जैन, स्वामी प्रतापपुरी, जिलाप्रमुख श्रीमती मदनकौर, पालिकाध्यक्षा
श्रीमती उषा जैन, डाॅ. बंशीधर तातेड़, अधिवक्ता धनराज जोशी, अधिवक्ता मदनलाल सिंहल, अधिवक्ता जेठमल जैन, समाजसेवी भुरचंद जैन, ब्रह्मकुमारी आश्रम की बहन बबीता और श्रीमती रामावत, असरफ अली, तेजदान चारण, प्रभुसिंह राठौड़, रंगकर्मी गोपीकिशन, ओमजोशी, नरसिंग बाकोलिया सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।
राजस्थान के शिक्षक समाज के लिऐ आदर्श रहे पद्मश्री जैन
सदियों तक याद रखेगें शिक्षक समाज

बाड़मेर। राजस्थान के शिक्षक समाज के लिऐ गौरव और आदर्श पुंज बने रहे पदमश्री मगराज जैन अपनी सेवाओं के लिऐ याद किए जाते रहेगें। यह बात सेवानिवृत शिक्षक एवं वरिष्ठ लोक कर्मी मुरली मनोहर दवे ने पदमश्री मगराज जैन के निधन पर शोक व्यक्त करते हुऐ कही। श्री जैन ने दसवीं कक्षा उतीर्ण कर ही शिक्षक बन गये और 1973 तक आदर्श एवं वरिष्ठ शिक्षक के रूप में सेवाएं देनपे पर राज्य सरकार ने राज्य स्तरीय शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया था। बाद मंे वर्ष 1989 में पदमश्री से सम्मानित हुए राजस्थान शिक्षकों में पहले व्यक्ति थे जिन्हें पदमश्री से नवाजा गया। शिक्षा से जुडे़ हुए विभिन्न शिक्षकों ने आज बाड़मेर में श्रद्धाजंली दी।

वरिष्ठ अधिवक्ता मदनलाल सिंहल ने कहा कि शिव परगने में गूंगा की स्कूल में पढने के लिऐ कक्षा एक से चैथी तक शिव से प्रतिदिन पैदल चलकर गूंगा पहुंचते थे और कभी कभी गूंगा रूक जाते थे। उनकी पढाई दसवीं तक फिर बाड़मेर के गांधी चैक में हुई और गौशाला का कमरा किाएं पर लेकर रहते, खुद खाना पकाते और पढाई करते। चार वर्ष की उम्र में मां के देहावसान हो गया और पिता की अकेली संतान होने से भी समस्याओं का सामना करना पड़ा। अकालों के कारण आर्थिक समस्याओं से वास्ता हुआ। औपचारिक पढाई के छुट गई
लेकिन प्राईवेट पढाई जारी कर स्नातकोतर पढाई, बीएड एमएड किया। उन्होनें कहा कि जैन गरीबी और अकाल से संघर्ष करते जीवन को सार्थक बनाया और सभी के लिऐ प्रेरणादायी शख्सियत बन गए।
सेवानिवृत शिक्षा अधिकारी राधेश्याम बसु ने कहा कि शिक्षक पदमश्री जैन एवं पीताम्बर दास कोटवानी की जोड़ी हुआ करती थी और उस जमाने के शाईनिंग स्टार शिक्षक के रूप के लोकप्रिय थे। श्री जैन रातभर पढते थे, आगे की पढाई करते और अपने विद्यार्थियों को पढने के लिऐ प्रेरित करते थे। शुरूआती दौर में पीटी भी कराते थे। सफेद शर्ट प्रिय था। जैन विज्ञान और कोटवानी अग्रेंजी के बेमिसाल अध्यापक थे। इनकेा कक्षा के विद्यार्थी भी उनके अनुशासित, समर्पित, सक्रिय, ईमानदारी के रास्ते पर चलने के लिए सेवानिवृत पुस्तकालयाध्यक्ष हकीमा खान ने कहा कि जैन आदर्श शिक्षक थे और हमारे जैसे विद्यार्थियों को सामुदायिक सेवा से जोड़ते थे। विद्यार्थियों में प्रिय, प्रेरक एवं मार्गदर्शक थे। जैन के विद्यार्थी कहे एस.आर. बोथरा एडवोकेट ने कहा कि जैन शिक्षा एवं सांस्कृति की अलख जगाने वाले मिशन की व्यक्ति थे। उन्होनें कहा कि शिक्षक के रूप में उनकी पहचान माडसा के रूप में थी। उन्होनें कहा कि शिक्षक समुदाय के लिए व गौरव और आदर्श है।
पुरस्कृत शिक्षक फोरम के जिलाध्यक्ष एवं शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित 
सालगाराम परिहार ने कहा कि मरू भूमि के सपूत ने जीवन पर्यन्त सेवा का जज्बा बनाये रखा। आमजन की पीड़ा को समझने वाले कर्मयोगी जैन भावी पीढी को सदियों तक प्रेरणा मिलती रहेगी।  
भूतपूर्व शिक्षा सेवा कार्यकर्ता दाउलाल 
जोशी ने कहा कि दलित वर्ग को शिक्षा से जोड़ने और प्रेरित करने में उनकी भूमिका अहम रही।
वरिष्ठ पत्रकार चैपड़ा साप्ताहिक के पूर्व संपादक मीठालाल चैपड़ा ने कहा कि उनका एवं उन जैसे हजारों अबोध बालकों के जैन पथप्ररदर्शक रहे। वे युगों-युगों तक याद रखंे जाएगें। हांजी अब्दुल रहमान ने कहा कि वे अजीज अध्यापक थे।

जैन के प्रयासों से गेर मेलों को मिली पहचानः कोटड़ी
बाड़मेर। 
थार के लोक मेलों को पुनः जीवित करते, विश्वस्तरीय ख्याति दिलाने में पदमश्री मगराज जैन ने अहम भूमिका निभाई। जैन के प्रयासों से बाड़मेर जिले की पहचान विश्व स्तर पर बनी और बाड़मेर के गेर मेंलों से
राजस्थान को भी भव्यता मिली। यह बात पूर्व विधायक कानसिंह कोटड़ी ने आज जैन के निधन पर उन्हें श्रद्धाजंली देते हुए कही। लोक मेलों के आयोजकों की ओर से बालोतरा के लोककर्मी श्रद्धाजंली देने आज बाड़मेर पहुंचे।
कोटड़ी ने कहा कि लाखेटा का गेर मेला ने पदमश्री मगराज जैन की बदौलत राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति अर्जित की और गेर मेलों में जान फूंकी। धरोहर के प्र्रति आस्था और निष्ठा जैन में कूट-कूट कर भरी हुई थी। उन्होनें कहा
कि जैन के निधन से लोक संगीत तला के ़क्षेत्र को बेहद अपूरणीय क्षति हुई है।
राज्यस्तरीय थूथ भीवाडी एवं घनाना गेर मेले के आयोजक जेपी देव ने कहा कि कनाना गांव का डांडिया गेरमेला को विश्वस्तरीय ख्याति जैन ने ही दिलवाई। उन्होनें कहा कि कनाना मेेले को ही नहीं पुरे क्षेत्र की कला संस्कृति को विश्व स्तरीय पहचान दिलाने के लिये जैन को याद किया जाता रहेगा। जैन के निधन से कला संस्कृति को बेहद आघात पहुंचाा। लोक संस्कृति कर्मी मुरली मनोहर दवे ने कहा कि वे स्वंय कनाना गांव के
थे। गांवा से नाता टूट गया था। जैन ने उन्हें मेले के विकास का साथी बनाकर मुझे अपने गांव से जुड़वाया, गांव के मेले को गौरव प्रदान किया।
राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के पूर्व सचिव सुधा राजहंस ने जैन के निधन को अपूरणीय क्षति बताया। उन्होनें कहा कि उनके सच्चे साथी चले गए। राजस्थान विश्ववि़द्य़ालय को संगीत विभाग की अध्यक्ष प्रेरणा सुमन यादव ने कला संस्कृति जगत के लिये जैन के निधन को अपूरणीय क्षति बताया।

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