व्यक्ति को अपनी क्षमता से अधिक तप-जप नहीं करने चाहिए : संत सुखराम महाराज
बाडमेर। 
स्थानीय रामचौक स्थित रामस्नेही रामद्वारा के प्रांगण में चल रही संगीतमय श्रीराम कथा में रामस्नेही युवा संत सुखराम महाराज ने कथा के दूसरे दिन शनिवार को कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को अपनी क्षमता से अधिक तप, जप इत्यादि नहीं करने चाहिए क्यों कि ऐसा करने से आपकी प्रभु भक्ति पूर्ण नहीं होगी। हमेशा प्रभु का नाम सुमरिन चाहिए ताकि वह अपने जीवन में सफल हो सके। श्री रामस्नेही रामद्वारा सत्संग मण्डल के मीडिया प्रभारी राजाराम सर्राफ ने बताया कि संत श्री ने संगीतमय राम कथा में भगवान शिव-सती का आपसी संवाद का वर्णन करते हुए बताया कि भगवान शिव से सती ने कहा कि श्रीराम नाम में इतनी शक्ति है तो उनकी पत्नी को कोई हरण करके ले जाए ऐसा में नहीं सोच सकती, शिव ने उत्तर में कहा कि यह तो भगवान राम की नर लीला थी। इस पर भजन गायक जयंतीलाल व तबलावादक जयंतीलाल ने उलफतों की सुलझे नहीं, राम नाम ज ले घड़ी, यानि की सभी समस्याएं राम नाम के जपने से मिट जाती है। कथा में संत श्री ने राजा दक्ष का वर्णन करते बताया कि राजा दक्ष ने अपनी पुत्री सती जमाता का भगवान शिव को न्योता नहीं दिया, उसके बावजूद भी सती गई तो उसके अपने पति का उसके पिता द्वारा किया गया अपमान झेलना पड़ा और उसके प्रतिकार वंश सती हवन कुण्ड में जूम पड़ी। इसलिए किसी को बिना बुलाये किसी के यहां नहीं जाना चाहिए और किसी पर भी इतना विश्वास नहीं करना जिससे हमें बाद में पछताना पड़े। संत श्री ने कहा कि अपनी करनी का फल सबको मिलता है। रामकथा में भगवान शिव-पार्वती विवाह के प्रसंग का वर्णन करते हुए संत श्री ने शिव के गुणों का बखान किया। भगवान शिव की बरात पर भजन गायक ने नंदी पर होके सवार भोले जी चले दुल्हा बनने..पर कथा श्रवण करने वाले आनंदमय हो गये। राम कथा के विराम पर यजमान परिवार के नारायणदास, मनोहरलाल, ओमप्रकाश, दीपक, निखिल मूथा, सभी महिला मण्डलों की सदस्याएं, डॉ. बी.डी. सिंहल, शंकरलाल मोदी, प्रेम बंधु, राजाराम सर्राफ, मदन सोनी, कैलाश गुप्ता सहित सैकड़ों भक्त उपस्थित थे। सर्राफ ने बताया कि रविवार को रामकथा में भगवान श्रीराम के जन्मोत्सव का प्रसंग रहेगा।

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