मिच्छामि दुक्कड़म-मिच्छामि दुक्कड़म: साध्वी सौम्यगुणाश्री

पर्वाधिराज पर्युषण पर्व का आठवां दिन

बाड़मेर, 29 अगस्त। स्थानीय जिन कांतिसागरसूरि आराधना भवन में साध्वी सौम्यगुणाश्री के मुखारविंद से मूल कल्पसूत्र अर्थात् बारसा सूत्र की वांचना निष्कंठ अविरल गति से पूज्याश्री के द्वारा की गई। इस मूल सूत्र में महावीर स्वामी, पाश्र्वनाथ, नेमिनाथ, आदिनाथ आदि भगवानों के जीवन चरित्र व साधु-साध्वी समाचारी का उल्लेख किया गया। यह प्राकृत भाषा मंे लिखित है।
सूत्र वांचना के बाद पूज्याश्री ने संवत्सरी क्षमापना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आज का दिन अपने आप में महत्वपूर्ण दिवस है, आज के दिन हमारे द्वारा किसी भी मनुष्य का जाने-अनजाने में दिल दुखाया हो तो उससे क्षमा मांगनी चाहिए और जो हमसे क्षमा मांगता है उसे सहृदय से क्षमा देनी चाहिए।
पूज्याश्री ने कहा कि हमें क्षमा उन व्यक्तियों से मांगनी चाहिए जिनसे हमारी अनबन है या हम जिनका मुंह देखना भी पसंद नहीं करते, तब ही हमारा क्षमापना दिवस सार्थक होगा। ‘क्षमा वीरस्य भूषणम्’ अर्थात् क्षमा वीर पुरूषों का आभूषण है।

चैत्य परिपाटी का हुआ आयोजन

जिनकांतिसागरसूरि आराधना भवन से साध्वी सौम्यगुणाश्री की पावन निश्रा में सकल संघ के साथ चैत्य परिपाटी (जिन मंदिर व गुरू दर्शन) का आयोजन हुआ।

चातुर्मास लाभार्थी शांतिलाल छाजेड़ ने बताया कि पूज्याश्री आराधना भवन से सकल संघ के साथ पाधर मौहल्ला स्थित शांतिनाथ मंदिर, आदिनाथ मंदिर, पाश्र्वनाथ मंदिर, महावीर स्वामी मंदिर एवं दादावाड़ी के दर्शन वंदन कर साधना भवन पहुंचे जहां अचलगच्छीय साधु भगवंत मुनिराज मुक्तिरत्नसागर आदि ठाणा के दर्शन वंदन कर तेरापंथ भवन में विराजित साध्वीवर्या कनकरेखाश्री आदि ठाणा के दर्शन वंदन कर सुख साता पूछकर उनसे मिच्छामि दुक्कड़म से क्षमापना कर आराधना भवन पधारे।

चैत्य परिपाटी में सबसे आगे ढोल वादक चल रहे थे, उनके पीछे जैन ध्वज लिए श्रावक वर्ग व बड़ी संख्या में पौषध (साधु जीवन) व्रत धारण किए पुरूष वर्ग, इसके ठीक बाद पूज्य साध्वी सौम्यगुणाश्री आदि ठाणा व पीछे पौषध धारण किए महिलाएं चल रही थी।

छाजेड़ ने बताया कि आज चार बजे वसी कोटड़ा भवन में सैकड़ों पुरूषों का व आराधना भवन में सैकड़ों की संख्या मंे महिलाओं का संवत्सरी प्रतिक्रमण का आयोजन हुआ।

108 दीपक आरती का भव्य आयोजन

जिनकांतिसागरसूरि आराधना भवन में गुरूवार रात्रि 9 बजे कुमारपाल महाराजा के द्वारा 108 दीपक की भव्य आरती का आयोजन सकल संघ के साथ सम्पन्न हुआ।

खरतरगच्छ संघ के सदस्य जगदीश बोथरा ने बताया कि कुमारपाल महाराजा बनने का लाभ भूरचन्द पारसमल वीरचन्द छाजेड़ परिवार सियाणी वालों ने लिया। लाभार्थी परिवार अपने निवास स्थान हमीरपुरा से सकल संघ के साथ कुमारपाल महाराजा बनकर घोड़े पर व उनका परिवार रथ पर सवार होकर शिवकर रोड़, हमीरपुरा से नाचते-गाते, बैण्ड व ढोल-नगाड़ों के साथ आराधना भवन पहुंचे, जहां श्रावक रत्न शांतिलाल छाजेड़ के द्वारा भक्तिमय वातावरण में भव्य 108 दीपक आरती का आयोजन हुआ। समस्त श्रद्धालुओं के हाथों में एक-एक दीपक लिया हुआ था। कहते हैं कि कुमारपाल महाराजा के समय में घोड़ों व गायों को पानी छानकर पिलाया जाता था, वे जीवदया प्रेमी के नाम से विख्यात थे और भगवान महावीर के परम भक्त थे। ऐसी आरती का आयोजन खरतरगच्छ के इतिहास में पहली बार देखने को मिला।

खरतरगच्छ संघ के सदस्य बाबुलाल तातेड़ ने बताया कि आरती के बाद फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता व एकल गीत प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। जिसमें काफी संख्या में प्रतियोगियों ने भाग लिया। प्रथम, द्वितीय व तृतीय विजेताओं को पुरस्कार व अन्य प्रतियोगियों को लाभार्थी छाजेड़ परिवार की ओर से सांत्वना पुरस्कार दिया गया।

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