मित्रता एवं सखा भाव सिखाती है भागवत - रामकिषोराचार्य 
बाड़मेर 
भागवत एवं भगवान श्री कृण का जीवन चरित्र हमें एक ओर सद्मार्ग एवं मौक्ष प्रदान करता हैं वहीं मित्रता किस तरह निभाई जाती है यह सिखाता है ये उद्गार मरूधर पीठाधीष्वर महामण्डलेष्वर 1008 श्री राम किषोराचार्य जी महाराज द्वारा स्व. चतुर्भज जी पारीक की स्मृति में षिव कुटिया के सामने, सुमेर गौषाला मैदान में आयोजित भागवत कथा के अंतिम दिवस की भागवत कथा के अपने प्रवचन में सुदामा चरित्र की कथा का वर्णन करते हुए कही।
इससे पूर्व मुख्य यजमान श्रीमती अयोध्या देवी एवं उनके परिवार द्वारा भागवत जी, व्यास पीठ एवं महाराज जी का पूजन किया गया। कथा में सीताराम आश्रम के सिया राम जी महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। आज की कथा में सुदामा चरित्र, फूलों की होली तथा राजा परिक्षित मोक्ष के प्रसंग प्रमुख रहे। कथा की पूर्णाहुति पर सभी गाजे बाजे के साथ भागवत जी को श्री हनुमान मंदिर तक पहुचाने गये वहा से कथा के इस आयोजन का विसर्जन हुआ।
कथा के दौरान विभिन्न झांकियां एवं मंच सज्जा का कार्य पवन आसेरी द्वारा एवं कार्यक्रम का संचालन आनन्द गुप्ता द्वारा किया गया। इन्द्र प्रकाष पुरोहित, धनवन्ति एवं विनोद ने इस आयोजन मे सहयोग हेतु सभी का धन्यवाद ज्ञापित किया। रात्री में कथा की पूर्णाहुति पर यजमान परिवार के निवास पर श्री बजरंग सत्संग समिति द्वारा सुंदर काण्ड पाठ किया गया तथा रविवार को ग्रहषांति यज्ञ एवं प्रसाद का कार्यक्रम होगा।

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