25वीं वर्षगांठ पर ध्वजारोहण कार्यक्रम सम्पन्न

बाड़मेर।
रेगिस्तान के मरूधरा में मालाणी क्षेत्र के अन्तर्गत भाड़खा नगर में पूज्य साध्वीवर्या श्री प्रियरंजनाश्री आदि ठाणा-2 की निश्रा में भाड़खा स्थित नेमिनाथ जिनालय की रजत जयंती के उपलक्ष में ध्वजारोहण कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
जैन श्री संघ भाड़खा के मेवाराम सिंघवी एवं मदन चैपड़ा ने बताया कि रजत जयंती के उपलक्ष में दूसरे दिन प्रातः भक्तांबर, सतरभेदी पूजा के बाद दोपहर 12.39 बजे ओम पुण्याहम् प्रियंताम् के मंत्रोच्चार के साथ पूज्य साध्वीवर्या के मंगलाचरण से एवं लाभार्थी नेमीचन्द करनमल पारख हरसाणी परिवार द्वारा ध्वजा चढ़ाई गई।
तत्पश्चात् पूज्य साध्वीवर्या ने धर्मसभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि परमात्मा की वाणी के पानी से ही आत्मशुद्धि संभव है। भगवान की वाणी में ऐसी शक्ति है कि वह भवोभव की परपरिणति को तोड़ देती है। तभी सच्चा आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है।
श्रावक का लक्षण है जिनवाणी श्रवण करना। साथ ही केवल श्रवण ही नहीं करना है बल्कि आत्मकल्याण का मार्ग प्रशस्त हो सकता है। गुरूवर स्व-पर के विवेक से आचरण में लाना है। जिसने इन कानों से भगवान की वाणी का पान नहीं किया। संतों के प्रवचन या उपदेश नहीं सुने। दर्शन कथा या नीति कथा का भी श्रवण नहीं किया। वो कान, नैत्र कभी पवित्र नहीं हो सकते।
हमें आज परमात्मा पर श्रद्धा पैदा होती ही नहीं है। परमात्मा के पास हमेशा जाते हैं, पूजा करते हैं। मस्तक नवाते हैं पर भगवान की बात या भगवान के वचन पर श्रद्धा नहीं है। इसलिये अपना भगवान के साथ तालमेल नहीं जमता है। इसलिये भगवान हमें किस प्रकार बचायेगा। हमें परिवार पुत्र प्राप्ति, पैसा आदि के प्रति प्रेम है, परमात्मा के प्रति नहीं। भगवान अच्छे लगेंगे तो उनकी आज्ञा भी पालेंगे और उनके प्रति बहुमान भी करेंगे।
जैन श्री संघ भाड़खा के सदस्य जगदीश मालू ने बताया कि धर्मसभा में आज के सम्पूर्ण कार्यक्रम के लाभार्थी नेमीचन्द करनमल पारख परिवार का भाड़खा जैन श्री संघ ने बहुमान किया। इस अवसर पर नाकोड़ा ट्रस्ट के अध्यक्ष अमृतलाल जैन, नाकोड़ा ट्रस्टी रतनलाल संखलेचा, वीरचन्द वडेरा, हंसराज कोटड़िया, खेतमल तातेड़ आदि का भाड़खा जैन श्री संघ ने बहुमान किया।
तत्पश्चात् दोपहर में दादा गुरूदेव की पूजा एवं 108 दीपक की आरती इत्यादि के कार्यक्रम के पश्चात् स्वामीवात्सल्य का आयोजन सम्पन्न हुआ तथा वार्षिक चढ़ावे बोले गये। इसके बाद विधिकारक उदयगुरूजी, संगीतकार पुखराज बी. सैन द्वारा पूजा एवं भक्ति संगीत की प्रस्तुतियां दी गई।
इस अवसर पर ओंकारचन्द मालू, बाबुलाल सिंघवी, बाबुलाल मालू, रतनलाल लालण, भैरचन्द सिंघवी, मोहनलाल मालू, गौतम लालण, राणामल चैपड़ा, मांगीलाल मालू, मोहनलाल मालू, भूरचन्द मालू, गौरव चैपड़ा, वेदमल बोहरा, मेवाराम घीया, जेठमल जैन, डाॅ. बंशीधर तातेड़, रतनलाल वडेरा, मांगीलाल बोहरा, पारसमल गोठी, पारसमल घीया, सम्पत लुणिया, मनसुखदास, भूरचन्द, सम्पतराज, कैलाश, महेन्द्र, प्रकाश सहित सैकड़ों की संख्या में जैन धर्मावलम्बी उपस्थित थे।
मंच का संचालन वीरचन्द वडेरा ने किया तथा अंत में अमृतलाल पारख ने सभी आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया।

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