आज "लोकपाल" राज्यसभा में पास, कल लोकसभा में! 
नई दिल्ली। 
देश में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने के लिए राज्यसभा ने गत दो साल से लंबित ऎतिहासिक एवं बहुप्रतीक्षित लोकपाल विधेयक आखिरकार मंगलवार को ध्वनिमत से पारित कर दिया। बिल पास होने की खबर पर अनशन पर बैठे अन्ना हजारे ने पूरे देश को बधाई दी है। 
इससे पहले सदन ने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के संशोधनों को नामंजूर कर दिया। पार्टी ने पीपीपी माडल परियोजनाओं को लोकपाल दायरे में लाने की मांग करते हुए संशोधन प्रस्ताव पेश किया था जिस पर मतविभाजन हुआ और सदन ने इसे 19 के मुकाबले 151 मतों से खारिज कर दिया। करीब छह घंटे तक चली बहस के बाद इस विधेयक को कुछ सरकारी संशोधनों के साथ पारित किया गया। चर्चा शुरू होने से पहले समाजवादी पार्टी ने इसे देश हित के खिलाफ बताते हुए सदन से बहिर्गमन किया। 
लोकसभा ने इस विधेयक को दिसम्बर 2011 में पारित किया था लेकिन इसे राज्यसभा से प्रवर समिति में भेज दिया गया था। प्रवर समिति की लगभग सिफारिशों को शामिल करते हुए इसमें सरकार ने कुछ संशोधन किए हैं। इन संशोधनों के साथ राज्यसभा में पारित विधेयक को अब फिर से लोकसभा में भेजा जाएगा। 
बिल पारित होने से पहले राज्यसभा में दिनभर चर्चा और बहस का दौर चला। सदन में कानून मंत्री कपिल सिब्बल बिल की अच्छाईयों का बखान किया वहीं अन्य नेताओं ने भी सार्थक बहस में भाग लिया। उधर,समाजवादी पार्टी ने इस बिल का विरोध किया। लोकपाल बिल पर राज्यसभा में चर्चा शुरू होने के बीच समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। 
राज्यसभा में समाजवादी पार्टी के नेता रामगोपाल यादव ने कहा कि मौजूदा लोकपाल बिल के परिणाम खराब होंगे, इसलिए उनकी पार्टी इसका विरोध कर रही है।
इससे पहले मंगलवार सुबह चर्चा शुरू होने के साथ ही सपा ने इस बारे में हंगामा करना शुरू कर दिया था, जिसे देखते हुए राज्यसभा को दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित किया गया। सपा को छोड़कर लगभग सभी दलों ने बिल का समर्थन करने का आश्वासन दिया। 

समाजवादी पार्टी ने इस बिल का हर सूरत में विरोध करने की चेतावनी दी है। उधर, बीजेपी समेत तमाम पार्टियां भी विधेयक पास करवाने की वकालत कर रही हैं। 

संशोधनों पर हुआ समझौता

वैसे सरकार ने बीजेपी को मनाकर एक मोर्चा फतह किया है। विधेयक पर आए प्रवर समिति के सोलह में से दो संशोधनों को लेकर बीजेपी और सरकार में तनातनी थी। बीजेपी चाहती थी कि सभी 16 संशोधन स्वीकार किए जाएं जबकि सरकार दो संशोधनों को हटाना चाहती थी। अब दोनों पक्षों के बीच एक-एक का मैच फिक्स हो गया है। यानि एक संशोधन माना जाएगा और दूसरा नहीं।

बैठक में नहीं की शिरकत

उधर सरकार लोकपाल विधेयक को अपनी प्राथमिकता बता रही है। सोमवार को हुई कांग्रेस कोर ग्रुप की बैठक में सोनिया गांधी और प्रधानमंत्री की मौजूदगी में विधेयक पर चर्चा हुई। इसके बाद राज्यसभा के सभापति हामिद अंसारी ने तमाम पार्टियों का रूख जानने के लिए सर्वदलीय बैठक बुलाई। लेकिन समाजवादी पार्टी ने इस बैठक में शिरकत न करके अपने तीखे तेवरों का सबूत दे दिया। हालांकि सरकार का दावा है कि समाजवादी पार्टी को मनाने की कोशिश की जा रही है।

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