ब्रहमज्ञान से राम राज्य की स्थापना
बाड़मेर 
दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा वृद्वावनधाम में आयोजित कथा के सातवें दिन आषुतोष महाराज जी की षिष्या साधवी विदुषी सुश्री प्रवीणा भारतीजी ने कथा के समापन दिवस पर बताया कि प्रभु श्रीराम द्वारा राक्षसों एवं रावण का वध कर लंका के राजा के रूप में भक्त विभिषण का राज्यभिषेक कर अयोघ्या आते है तो अयोघ्या में प्रभु श्रीराम का बड़े ही धूम धाम से राज्यभिषेक होता है और चारो ओर आनंद की लहर दिखाई देती है।इस प्रकार असत्य पर सत्य की विजय,पाप पर पुष्य की विजय,अधर्म पर धर्म की विजय होने के साथ राम राज्य की स्थापना होती है। आज के समय में भी राम राज्य की स्थापना हो सकती है,कैसे ? ब्रहमज्ञान के द्वारा, ब्रहमज्ञान अर्थात् ईष्वर का साक्षात्कार क्योकि बुराईयां मनुष्य के भीतर है और भीतरी ज्ञान के द्वारा ही बुराईयां दुर हो सकती है। इसलिए ब्रहमज्ञान के द्वारा पहले भीतर श्री राम का अवतरण होगा तभी बाहर भी राम राज्य की स्थापना होगी । 
कथा का प्रारम्भ दीप प्रज्वलन कर किया गया जिसमें रमेष जी मंगल,रामसिंह जी,रूपसिंह लेगा कनिष सिंहल,अमृत जी,पदम्सिंह सियाग,जगदीष प्रसाद जोषी,किषनलाल वडेरा एवं महेन्द्रसिंह महेचा उपस्थित थे ।

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