एफआईआर लिखने से इनकार पर होगी जेल
जयपुर।
केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से कहा है कि अपराधों के मामले में किसी भी व्यक्ति की शिकायत को पुलिस तत्काल दर्ज करे। थाना के सीमा क्षेत्र से बाहर के मामलों में जीरो एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करना अनिवार्य है। ऎसा करने से इनकार करने वाले पुलिस अफसरों को आपराघिक दंड प्रक्रिया संहिता के नए प्रावधानों के तहत जेल जाना पड़ सकता है। पुलिस मुख्यालय को गृह मंत्रालय का यह पत्र सोमवार को ही मिला है।
गृह मंत्रालय ने पत्र में नए कानूनी प्रावधानों का हवाला देते सुझाव दिया है कि पुलिस जवानों और अफसरों को इस संबंध में जागरूक और संवेदनशील बनाने के लिए कार्यक्रम चलाए जाएं। अदालती निर्णयों में देरी और एफआईआर में लेटलतीफी से पीडित को जहां कष्ट उठाना पड़ता है, वहीं अपराधी कानून के शिकंजे से बच निकलता है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्ष दिल्ली में एक छात्रा से गैंगरेप की घटना के बाद सरकार ने नए आपराघिक कानून (संशोधन) अघिनियम 2013 में कड़े प्रावधान किए हैं। इसके तहत थाना क्षेत्र के विवाद में पड़े बिना पुलिस को जीरो पर एफआईआर दर्ज कर कार्रवाई करनी होगी। बाद में समुचित थाना क्षेत्र को कार्रवाई सौंपी जा सकती है।
कठोर सजा का प्रावधान
अपराधिक दंड प्रक्रिया संहिता के तहत हाल ही में धारा 166-ए जोड़ी गई है। केंद्रीय गृह मंत्रालय ने कहा है कि पीडित की शिकायत या अन्य स्त्रोत से पुख्ता सूचना होने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं करने पर इसके तहत पुलिस अफसर को कम से कम छह माह या अघिकतम दो वष्ाü का कठोर कारावास की सजा हो सकती है। विभागीय कार्रवाई भी होगी।
एडवोकेट भंवर सिंह चौहान ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज नहीं करने वाले पुलिस अधिकारी के खिलाफ पीडित या उच्चाधिकारी अदालत में इस्तगासा पेश करेंगे। अदालत उस पर सुनवाई कर सजा का निर्णय करेगी।
कराएंगे पालना
पत्र मिला है। निर्देशानुसार सभी जिलों को पत्र लिखकर पालना कराई जाएगी।
कपिल गर्ग, एडीजी (क्राइम)
विभागीय कार्रवाई का प्रावधान तो पहले भी था। अब कानूनी कार्रवाई से पुलिस अधिकारी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी होगी। इससे रिपोर्ट दर्ज न करने के मामलों में कमी आने की पूरी सम्भावना है।
राजेन्द्र शेखर, पूर्व निदेशक सीबीआई
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