अक्षय तृतीया को लें अक्षय कर्मयोग का संकल्प
- डॉ. दीपक आचार्य
आज अक्षय तृतीया है। वह दिन जिनसे शुभ कर्मों का उदय हो सकता है। जीवन भर के लिए अक्षय बनाने लायक कर्मयोग का संकल्प ग्रहण करने का दिन। यह दिन आता ही इसलिए है कि कुछ ऐसा संकल्प लें कि जो साकार होने पर हमें अक्षय कीर्ति और यश प्रदान करे और समाज तथा राष्ट्र को अपनी ओर से हम कुछ ऐसा दे सकें कि जो पीढ़ियों तक आदर और सम्मान के साथ याद रखा जाए।
यों देखा जाए तो आने वाला समय उन सभी व्यक्तियों और कर्मयोग को याद रखता है जो भूतकाल की देन होती है। कुछ लोग और काम अच्छे अर्थों में याद किए जाते हैं और कुछ को नकारात्मक भावों के साथ स्मरण किया जाता है।
यह हम पर निर्भर है कि लोग हमें किस रूप में याद रखें। हमारे कर्मयोग का चिंतन करते हुए समाजोन्मुखी विकास धाराओं और मौलिकता भरी गतिविधियों को आनी वाली पीढ़ियां किस रूप में आगे बढ़ाएं और समाज को उनका कितना फायदा पहुंचे। यह देखने की बात है।
हर साल कई बार अनेक स्वरूपों में नव वर्ष का मौका आता है और इसी प्रकार का पर्व है अक्षय तृतीया, जो कि कुछ न कुछ नया करने और नवीन संकल्प ग्रहण करने का विश्वास पैदा करता है और यह याद दिलाता है कि हर वर्ष हमारे जीवन के लिए कुछ न कुछ नयापन लिए हुए हो तथा दिन-महीने और साल यों ही बीतते न चले जाएं बल्कि हर साल कुछ न कुछ नई उपलब्धि देकर जाएं।
अक्षय तृतीया का दिन उन संकल्पों को लेने का समय है जिन्हें धारण कर लिया जाए तो उनकी कर्म श्रृंखला और पुण्य का कभी क्षय नहीं होता। यह पुण्य किसी भी रूप में हो सकता है। यही कारण है कि इस दिन को स्वयंसिद्ध मूहूर्त या अबूझ सावा कहा जाता है।
इस दिन को यदि यादगार बनाना चाहें तो उन सभी प्रकार के कर्मों का त्याग कर दें जिनसे हमारी किसी न किसी ऊर्जा या शक्ति का क्षय होता है। आजकल मनुष्य के जीवन लक्ष्य और वृत्तियाँ सब बदलती जा रही हैं। हमने जीवन में शक्ति संचय और अक्षय ऊर्जा प्राप्त करने के तमाम संसाधनों और प्रवृत्तियों को भुला दिया है और हमारा पूरा जीवन उन सभी कर्म धाराओं की ओर गतिमान होने लगा है जहाँ से दिनों दिन हमारे क्षरण होते रहने के सारे रास्ते हमने खोल रखे हैं।
हमारी मानसिकता, विचारधारा और कर्म ही ऐसे हो चुके हैं जिनसे रोजाना हमारा क्षय होता जा रहा है। हैरत की बात यह है कि इस क्षरण के बावजूद हमें मजा आ रहा है। ब्रह्मचर्य और शक्ति संचय के सभी आयामों को हमने त्याग दिया है और उन्मुक्त व स्वच्छन्द भोग-विलास को ही जीवन का सर्वस्व समझ बैठे हैं।
हमारे मानवीय धरातल कमजोर हो गए हैं और हम पशुता से भी कहीं ज्यादा पाशविकता की ओर बढ़ते जा रहे हैं। हालात ये हो गए हैं कि पशु भी खान-पान और भोग की मर्यादा रखते हैं और एक हम हैं कि हमारे लिए कहीं कोई आत्म नियंत्रण नहीं है बल्कि पशुओं से भी गए बीते होकर उन सारे कामों में मस्त हैं जो हमारे लिए नहीं हैं।
जीवन निर्माण के लिए और जिन्दगी को लम्बी चलाने के लिए ऊर्जाओं का संरक्षण एवं संवर्द्धन मनुष्य की प्राथमिकताओं में शिखर पर होना चाहिए लेकिन हो रहा है ठीक इसका उलटा। हम वे सभी काम कर रहे हैं जिनसे हमारी शक्ति का ह्रास होता जा रहा है।
हमारी ज्ञानेन्द्रियां और कर्मेन्द्रियों में इतना दम रहा नहीं कि हमारे शरीर को पूर्ण आयु तक सहजता के साथ ले जा सकें। इन दसों इन्द्रियों का दम हम खोते जा रहे हैं। हर तरफ प्रदूषण और सड़ान्ध फैली है। हवाओं से लेकर पानी, खान-पान और वैचारिक आयामों, मन की वृत्तियों तक में प्रदूषण भरा पड़ा है। ऐसे में हम उस माहौल में जी रहे हैं जो मौलिकता और शुचिता से एकदम दूर है और जहां सिर्फ पशुता और आसुरी वृत्तियों का बोलबाला है।
हमारी उन्मुक्त भोग-विलासी और दूसरों की धन-सम्पत्ति को हड़प कर अपने दायरों में ले आने की मानसिकता के कारण ही आज हम दवाइयों, चश्मों और बीमारियों का बोझ लेकर चलने के आदी होते जा रहे हैं। हम सारी दुनिया की जमीन-जायदाद और धन-दौलत पर कब्जा करने की फिराक में रमे हुए हैं जिनका कभी न कभी क्षरण होगा ही।
शरीर भी मरणधर्मा है और उसे भी एक न एक दिन खाक होना ही है। साथ जाएंगी तो सिर्फ वे यादें और पुण्य जो समाज की सेवा और परोपकार के लिए किए होते हैं। खेत, फार्म हाउस, महल और आलीशान हवेलियां, पद-प्रतिष्ठा और प्रभाव सब कुछ यहीं की यहीं धरा रह जाने वाला हैं। ये सभी वे वस्तुएं हैं जिनका क्षय होगा और जिनका क्षय होना है उसके लिए पागलों की तरह भटकाव को छोड़ना ही श्रेयस्कर है।
अच्छा हो हम आज के दिन समाज के लिए जीने का संकल्प लें और निष्काम सेवा तथा परोपकार, पुण्यशाली कार्य करें ताकि हमें अक्षय कीर्ति प्राप्त हो सके और जीवन का उद्देश्य सफल हो सके। अक्षय कर्मयोग वही है जिससे समाज का भला हो। जिसका क्षय हो, निरन्तर क्षरण होता रहे वह तो चंद माहों और बरसों तक ही सीमित होकर रह जाता है। खूब लोग आए और चले गए, हम कितनों को याद कर पा रहे हैं?
अक्षय तृतीया की हार्दिक शुभकामनाएं.....

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