"प्रेमदासा ने दी थी युद्ध की धमकी" 
नई दिल्ली।
श्रीलंका के तत्कालीन राष्ट्रपति राणासिंघे प्रेमदासा ने वर्ष 1989 में चेतावनी दी थी कि यदि भारत ने श्रीलंका से अपने सैनिकों को वापस नहीं बुलाया, तो वह युद्ध की घोषणा कर देंगे।यह खुलासा श्रीलंका में भारत के तत्कालीन उच्चायुक्त लखन लाल मेहरोत्रा ने किया है। मेहरोत्रा ने "इंडियन फॉरेन अफेयर्स" जर्नल से बातचीत में कहा कि प्रेमदासा ने यह धमकी उस वक्त दी थी जब वह श्रीलंका की राजधानी कोलम्बो स्थित राष्ट्रपति कार्याल में उनसे मिलने गए थे।
प्रेमदासा ने कहा था कि यदि भारत सेना हटाने पर सहमत नहीं होता तो वह सरकारी टेलीविजन पर इसकी घोषणा कर देंगे कि श्रीलंका की सेना ने देश के पूर्वोत्तर क्षेत्र को कब्जे में ले लिया है।
मेहरोत्रा ने कथित पर प्रेमदासा से कहा था कि मैं यहां आपके साथ शांति पर चर्चा करने के लिए आया हूं, लेकिन यदि आप युद्ध चाहते हैं तो ऎसा ही करें।
जर्नल के "ओरल हिस्ट्री" नामक स्तम्भ में उन्होंने कहा कि ये शब्द बेहद गम्भीरता के साथ कहे गए थे। मैं उन्हें देख रहा था। उन्होंने ऎसे जवाब की अपेक्षा नहीं की थी। विदेश मंत्री रंजन विजयरत्ने सहित श्रीलंका के अन्य नेताओं ने मेहरोत्रा से कहा कि वह शांत हो जाएं।
मेहरोत्रा के अनुसार, उन्होंने विजयरत्ने से कहा था कि वह शांति के पक्ष में हैं, लेकिन ऎसा लगता है कि राष्ट्रपति केवल युद्ध के बारे में सोचते हैं।
मेहरोत्रा ने कहा कि प्रेमदासा ने वर्ष 1987 के भारत-श्रीलंका समझौते को भी निरस्त करने की बात कही, जिसके तहत श्रीलंका के पूर्वोत्तर क्षेत्र में तमिल अलगाववाद समाप्त करने के लिए भारतीय सेना को तैनात किया गया था।

प्रेमदासा ने कथित तौर पर कहा था कि भारत और श्रीलंका के बीच कूटनीतिक सम्बंध खराब हो जाने से भी उन्हें कोई फर्क नहीं पड़ता।

मेहरोत्रा ने हालांकि यह भी कहा कि जब प्रेमदासा को लगा कि भारत अपनी सेना वापस बुला लेगा तो उन्होंने उन्हें गले लगा लिया और उनके कूटनीतिक कौशल की प्रशंसा की।

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