जेल ले जाने में पुलिस के छूटे पसीने
नई दिल्ली।
बाबा बस की छत पर ही डटे
बीते पांच घंटे से बाबा को जेल तक पहुंचा पाने में असफल रही पुलिस उन्हें छत से नीचे उतारने की कोशिश की पर वे नहीं माने। बाबा ने नीचे उतरने से पहले शर्तें रखी है कि या तो पुलिस समर्थकों के लिए भी बसों की व्यवस्था करे अथवा बवाना जेल कि बजाय समीप ही कोटला मैदान को जेल का रूप देकर सभी को वहां रखा जाए। बाबा ने आरोप लगाया कि सरकार ही चाहती है कि सड़क पर समर्थक जमे रहें नहीं तो वह गिरफ्तार करने के लिए पर्याप्त पुलिस लगाती। बाबा ने कहा है कि जब तक उनके समर्थकों के लिए भी समीप ही जेल की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक वे बस पर ही रहेंगे तथा उनके भी समर्थक डटे रहेंगे।
काली पट्टी बांधकर बाबा और उनके समर्थक संसद के बाहर धरने के लिए सोमवार दोपहर करीब 1 बजे रामलीला मैदान से निकलेे। रंजीत सिंह फ्लाई ओवर पर बाबा का काफिला रोक दिया गया। बाबा जिस खुली जीप में सवार थे उस पर एसपी राजा राम चढ़ गए। उन्होंने बाबा का हाथ पकड़ लिया। इस पर बाबा ने कहा कि कांग्रेस का हाथ तो हमारे साथ नहीं है अब ये भी हमारा हाथ पकड़ रहे हैं।
योग गुरू ने कहा कि दिल्ली पुलिस केन्द्र के अधीन है। दिल्ली पुलिस केन्द्र के इशारे पर काम कर रही है। बाबा के काफिले को रोकने के लिए रंजीत सिंह फ्लाई ओवर पर बैरीकेट्स लगाए गए थे। यहां भारी संख्या में पुलिस के जवान तैनात थे। पुलिस के जवान लाठियों और हथियारों से लैस थे। आंसू गैस का भी इंतजाम किया गया था। समर्थकों की गिरफ्तारी के लिए 90 बसों की व्यवस्था की गई थी।
पुलिस कानून को अपने हाथ में न लें
बाबा ने कहा कि उनका धरना शांतिपूर्वक चलेगा। समर्थक कोई हिंसा नहीं करेंगे। वे किसी निजी और सरकारी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाएंगे। वे कानून को अपने हाथ में नहीं लेंगे। अगर कोई असामाजिक तत्व कानून व्यवस्था बिगाड़ता है तो उसकी जिम्मेदारी पुलिस पर होगी। बाबा ने कहा कि आंदोलन की ताकत सरकार नहीं होती है। आंदोलन की ताकत देश की जनता होती है। उन्होंने कहा कि लड़ाई खत्म नहीं हुई है बड़ी लड़ाई की शुरूआत हो रहा है।
गूंगी बहरी हो गई है सरकार
बाबा ने कहा कि 13 तारीख से इस यूपीए सरकार की तेरहवीं शुरू हो गई है। योग गुरू ने कहा कि संसद में भी ईमानदार लोग हैं लेकिन जो लोग देश बचाने के लिए साथ नहीं है। जो लोग देश को लूटने में लगे हैं उनका सामाजिक और राजनीतिक बहिष्कार होगा। अब बैठने का वक्त बीत गया है। जिस सरकार ने देश की पुकार नहीं सुनी। गरीब और भूखी जनता की आवाज नहीं सुनी। हमने उनकी आवाज को उठाने की कोशिश की लेकिन सरकार ने हमारी आवाज भी नहीं सुनी। इसलिए उस गूंगी बहरी सरकार को आवाज सुनाने के लिए संसद के बाहर धरना दिया जाएगा।
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