बाढ़ हो या सूखा, सबसे ज्यादा नुकसान गरीब का होता है : राज्यपाल
जयपुर/ कोटा

उन्होंने शुक्रवार को कोटा में खुला विश्वविद्यालय के दीक्षांत समारोह के बाद पत्रकारों से कहा कि सभी शहरों में अवैध बस्तियां होती हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब कहीं अवैध कॉलोनियां बनने लगती हंै तो प्रशासन की आंखें क्यों बंद रहती हैं? वे क्यों पांच-पांच आठ-आठ साल बाद एक्शन लेते हैं और गरीबों के घर उजाड़ते हैं। माफिया गरीबों से पैसे लेकर उन्हें सरकारी जमीन पर कब्जा दे देते हैं। इसे अफसर क्यों नहीं रोकते?
> सिविल सोसायटी आगे आए
राज्यपाल ने कहा कि राज्य में बाढ़ पीडि़तों की मदद के लिए केवल सरकार के भरोसे नहीं रहें। सिविल सोसायटी को भी आगे आए। मैंने उत्तराखंड की राज्यपाल रहते बाढ़ पीडि़तों के लिए अपील की तो राजभवन का बेसमेंट राहत सामग्री से अट गया। यहां भी लोग मदद कर सकते हैं। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रात में तीन बार खाना पहुंचा है। बस्ती वाले चाहते हैं कि उनके घरों से पानी निकलवा दें और उन्हें वापस वहीं जाने दें।
> मूवी के टिकट के बराबर है कॉलेजों की फीस
उन्होंने कहा कि अभी चांसलर के पास कोई पावर नहीं है। कुलपति की नियुक्ति भी राज्य सरकार की एक सर्च कमेटी करती है। ऐसे कई मुद्दे हैं, जिन पर बात की जाएगी। राज्य में गवर्नमेंट यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में टीचिंग स्टाफ की कमी है। जब तक टीचिंग स्टाफ पर्याप्त नहीं होगा, तब तक क्वालिटी एजुकेशन कैसे दे पाएंगे? अभी सरकारी कॉलेजों में मासिक फीस किसी मूवी केएक टिकट के बराबर है। फीस को भी समय के साथ बदलना पड़ेगा, तभी वित्तीय ऑटोनॉमी मिलेगी। अल्वा ने मुख्यमंत्री से कहा है कि वे संयुक्त बैठक बुलाकर चर्चा करें, जिससे सरकारी विश्वविद्यालयों को मजबूत बनाया जा सके।
> बीएपी कोर्स को मान्यता दिलाएंगे
उन्होंने बताया कि दूरस्थ शिक्षा से बीएपी जैसे कोर्स करने वालों को सरकारी नौकरियों के लिए पात्र नहीं माना जाता है। इस बारे में मुख्यमंत्री से बात करके सभी कोर्सेज को सरकारी भर्तियों के लिए मान्यता दिलाने का प्रयास करेंगी।
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