मंदी का डर,नई नौकरियों पर लगी रोक
नई दिल्ली।
केन्द्र सरकार राज्यों,पब्लिक सेक्टर यूनिटों और स्वायत्तशासी निकायों को वित्तीय सहायता देने में भी अनुशासन बरतेगी। वित्त मंत्रालय का कहना है कि सरकार के संसाधनों पर काफी दबाव है। आर्थिक माहौल सुधारने के लिए खर्च को संतुलित करने की जरूरत है। इस बार खर्च कम करने के कदम में इकनॉमी क्लास में सफर करने जैसी बात नहीं है। 2009 में तत्कालीन विदेश राज्य मंत्री शशि थरूर ने इकनॉमी क्लास को कैटल क्लास करार दिया था। इसके चलते उन्हें मंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक केन्द्र सरकार से मिलने वाली ग्रांट-इन-ऎड के यूटिलाइजेशन का सर्टिफिकेट देने में नाकाम रहने पर किसी को भी(राज्य सरकारों)मंत्रालय की पूर्व अनुमति के बगैर कोई रकम जारी नहीं की जाएगी। गैर योजना मद में 10 फीसदी की कटौती के दायरे से ब्याज का भुगतान,रक्षा खरीदारी,वेतन,पेंशन और राज्यों को दी जाने वाली मदद बाहर होंगे। खर्च कम करने के उपायों को लागू करने के लिए प्रत्येक विभाग के सचिव जिम्मेदार होंगे।
वित्त मंत्रालय के ज्ञापन में कहा गया है कि विदेश यात्रा में प्रतिनिधिमण्डल की संख्या और समय को कम से कम रखा जाएगा। विदेश में एग्जिबिशन, सेमीनार और कांफ्रेंस करने को कड़ाई से हतोत्साहित किया जाएगा।
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