जज्बे को सलाम : जिस स्कूल की छात्रा, उसी स्कूल की सुरक्षाकर्मी सूरत।                                                                                             सपने उन्हीं के सच होते हैं, जिनके सपनों में जान होती है, पंखों से कुछ नहीं होता, हौसलों से उड़ान होती है.. इस बात को सच साबित करती हुई यह रुचिका राठौड नामक छात्रा है। 
रुचिका, वनिता विश्राम शाला में गुरुवार को बारहवीं का रिजल्ट लेने आई थी, लेकिन इस समय वह स्कूल की ड्रेस में नहीं, बल्कि इसी स्कूल की सुरक्षाकर्मी की वर्दी में थी। रुचिका को कॉमर्स में 61 प्रतिशत अंक मिले हैं और अब उसे अपने लिए कोई अच्छा कॉलेज देखना है। 
रुचिका के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, इसलिए उसने हाल ही में 12वीं कक्षा की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी करने का निश्चय किया। रुचिका को जैसे ही यह जानकारी मिली कि उसके स्कूल में महिला सुरक्षाकर्मी की जगह खाली है, उसने इस नौकरी के लिए एप्लाई किया और उसका सेलेक्शन हो गया। अब वह यहां पर दोपहर 12.00 से शाम 6.00 तक नौकरी करती है, जिसकी मासिक तनख्वाह 6 हजार रुपए है।रुचिका कहती है मुझे तो डांसर बनना है। मैं बहुत अच्छा डांस भी करती हूं। रुचिका नौकरी, कॉलेज की पढ़ाई के साथ डांसिंग भी चालू रखना चाहती है। रुचिका के पिता विनोदभाई राठौड़ मोरा भागल इलाके में स्थित एक फर्नीचर की दुकान में काम करते हैं और मां हेमाबेन टिफिन सेंटर चलाती हैं। एक छोटा भाई भी है, जिसने इस वर्ष 10वीं कक्षा का एग्जाम दिया है। रुचिका, भाई को इंजीनियर बनाना चाहती है और कहती है कि उससे जितना भी हो सकेगा, भाई की मदद करेगी, जिससे कि उसकी पढ़ाई जारी रहे।
स्कूल की छात्राएं जब बीते गुरुवार को अपना रिजल्ट लेने स्कूल आई थीं, तब रुचिका हाथ में डंडा लेकर स्कूल की पहरेदारी कर रही थी। जिन सहपाठियों के साथ वह यहां पढ़ाई किया करती थी, वहीं सुरक्षाकर्मी की वर्दी में देख उसे सहपाठी क्या कहेंगे, रुचिका को इसकी फिक्र नहीं थी, क्योंकि उसे अपने परिवार की जिम्मेदारी जो उठाना है।रुचिका के इस जज्बे को सलाम करते हुए हम यही कहना चाहेंगे कि पुत्र की लालसा पाले व्यक्तियों के लिए रुचिका से अच्छा उदाहरण शायद दूसरा नहीं हो सकता।


0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
HAFTE KI BAAT © 2013-14. All Rights Reserved.
Top