बदली तस्वीर पोहड़ा की
जैसलमेर
किसी जमाने में पिछड़ेपन के अभिशापों से त्रस्त पोहड़ा गाँव आज लोकजीवन में उजालों के विश्वास का इन्द्रधनुष दिखा रहा है। राजस्थान की ठेठ पश्चिमी सरहद पर मीलों तक पसरे सबसेे बड़े जैसलमेर जिले का यह गाँव जिला मुख्यालय से रामगढ़ मार्ग पर मात्र 25 किलोमीटर की दूरी पर अवस्थित है।
दूर हुए अभिशाप
पोहड़ा ऐतिहासिक दृष्टि से रोचकता लिए हुए है। पुराने समय की बात है उन दिनों गाँव में लोग अकाल मौत के मुँह में समा जाते, जनसंख्या धीरे-धीरे कम होने लगी। ऐसे में इस भूमि को छोड़ कर नई जगह गाँव बसाया गया। भाटी राजपूत पोड़ सिंह द्वारा बसाये जाने की वजह से गाँव का नाम पोहड़ा पड़ा। पुराना व अभिशप्त गाँव जूना पोहड़ा के नाम से पास ही है।
अशिक्षा, गरीबी और जाने कितनी ही समस्याओं और बुनियादी जरूरतों के अभाव से जूझ रहे इस गांव के लिए पवन ऊर्जा के क्षेत्र कार्यरत प्रतिष्ठित कंपनी ’’सुजलॉन ’’ वरदान बनकर आयी। कंपनी अपने सामाजिक सरोकारों भरे उत्तरदायित्वों का जिस ढंग से निर्वाह कर रही है वे अनुकरणीय प्रेरणा जगाने वाले हैं।
खुशहाली की डगर पर ग्राम्य समुदाय
क्षेत्रीय विकास और ग्राम्य स्वावलम्बन के साथ ही ग्रामीणों के उत्थान की दिशा में पोहड़ा गांव में हो रहे कार्यो ने ग्राम्य जीवन को वो सुदृढ़ आधार दिया है जहां से शुरू होते हैं खुशहाली के कई-कई रास्ते। मूल पोहड़ा गांव में लगभग 60 परिवार तथा गांव में बेलदारों की ढाणी में 40 परिवार निवास करते हैं। गांव वालों की आजीविका का मुख्य साधन कृषि, पशुपालन और मजदूरी है। जल स्रोतों की बात करें तो गांव में 2 नाडी, 50 टाँके, 2 हैण्डपम्प और 1 सरकारी ट्यूबवैल हैं। यहाँ 400 गायें, 5 भैंसें, 2000 भेडे़ं, 1200 बकरियां तथा 15 ऊँट हैं, जिनके सहारे लोग अपना जीवनयापन कर रहे हैं।
सुजलॉन की सहभागिता से आया बदलाव
यदि वर्षा अच्छी हो जाए तो यहाँ खड़ीन में अच्छी पैदावार होती है। जिससे लगभग 60 प्रतिशत लोग लाभान्वित होते हैं। सन 2008 में वर्षा के समय तो पूरे गाँव को चारों और से घेरा हुआ नाला साँसें फूला देता था। कभी-कभी घरों तक मंे पानी भर जाता, गाँव से थोड़ी ही दूर पर एक झील है, उसमें पानी बहुत, पर पीने योग्य नहीं, वर्षा के कुछ ही दिनों बाद उसका पानी तो जैसे नमक ही बन जाता है। ऐसे में टाँके ही एक मात्र जीने का सहारा हुआ करते हैं। गांव में 35 परिवारों के पास बिजली कनेक्शन नहीं था। इन समस्याओं से राहत देने में काफी हद तक सुजलॉन कंपनी ने सहभागिता निभायी है।
ग्राम्य विकास में स्थानीय भागीदारी
तीन साल से सुजलॉन कम्पनी के सामाजिक उत्तरदायित्व कार्यक्रम के तहत तेज सिंह, अमृत सिंह, महेन्द्र सिंह, तथा औंकार सिंह, सोड़ीदेवी, पूनम सिंह, गोप सिंह, हुकम सिंह, पदम सिंह, तुलछी कँवर, कँवरा कँवर, गोपी कँवर, चौथी देवी, पदम सिंह आदि लोगों ने मिलकर ग्राम विकास समिति का गठन किया। गांव के सभी सामुदायिक निर्णय ग्राम विकास समिति के माध्यम से ही लिये जाते हैं। ग्राम विकास समिति सदस्य सोढ़ी देवी व हेमाराम ग्राम पंचायत में वार्ड पंच के रूप में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। पुरुषों को संगठित और योजनाबद्ध तरीके से कार्य करते देख महिलाओं ने भी अपना संगठन खड़ा किया है।
आधा आसमाँ जुटा है तरक्की पाने
जिसे तन्नोटराय महिला स्वयं सहायता समूह नाम दिया तथा कँवरा कँवर को अध्यक्ष, नैनू कॅवर को कोषाध्यक्ष, चौथी देवी को सचिव तथा तुलसी कंवर, सोड़ी देवी, कस्तुरी देवी, पारू देवी, सुवा कॅवर, लक्ष्मी कॅवर व मीना कॅवर ने सदस्या के रूप में हैं। इस डगर में सामाजिक रीति रिवाज, पर्दा प्रथा आदि ने काँटे बनकर रोकने का प्रयास भी किया लेकिन इन्होंने हार नहीं मानी। मात्र 50 रुपये मासिक अपने घर खर्चे में से बचाकर समूह में बचत कराने का एक छोटा सा प्रयास क्या किया कि आज 20 हजार से ज्यादा की धनराशि इनके पास जमा हो गयी है। माह मई-जून 2011 में समूह सदस्यों ने एक माह की सिलाई प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित किया था। ग्राम्य महिलाओं, जिन्होंने कभी बैंक का मुँह तक नहीं देखा था, अब ये महिलाएं स्वयं ही बैंक से लेन-देन करने लगी हैं।
यों जानी अपनी क्षमताएँ
कभी घर से बाहर नहीं निकलने वाली महिलाओं ने जयपुर भ्रमण के दौरान ‘आपणी सहकारी सेवा समिति लिमिटेड, माधोराजपुरा जयपुर’ में महिलाओं द्वारा सहकारी बैंक का संचालन करते हुए देखने के बाद से तो अपनी पूरी क्षमताओं को समझ चुकी हैं।
पोहड़ा के विकास में भागीदारी निभा रही ये महिलाएं कहती हैं कि हम भी वैसा बैंक चला सकती हैं। ग्राम विकास समिति के माध्यम से महिलाएँ गांव के विकास कार्यो में भी अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा रही हैं। शुरू में तो अपनी बात रखने में तक में इन्हें काफी हिचकिचाहट होती थी परन्तु अब आसानी से अपना पक्ष ग्राम विकास समिति के सामने रखने लगी हैं।सामाजिक उत्तरदायित्व कार्यक्रम के तहत कम्पनी द्वार पशुधन विकास, अनाज भण्डारण, सौर ऊर्जा, वृक्षारोपण, टेंट, स्वास्थ्य व महिला विकास संबधित कार्यक्रम संचालित किये जाते रहे हैं।
घर-घर पहुंची रोशनी
गांव में बिजली कनेक्शन हीन 35 परिवार थे। इन सभी को सुजलॉन फाउण्डेशन ने सोलर उर्जा का सहयोग किया है। सोलर ऊर्जा प्राप्त परिवारों का कहना है कि यह उजाला हमारे बच्चों के भविष्य में उजाला करने में मदद करेगा। अब हमारे बच्चे दिन में हमारे काम में भी हाथ बँटा लेते हैं और रात मंे पढ़ भी लेते हैं। गाँव वालों को अनाज भण्डारण में आ रही असुविधाओं को दूर करने के लिये लगभग शत-प्रतिशत परिवारो को अनाज भण्डारण हेतु मदद की गई है जिससे चूहे, दीमक आदि से अनाज का नुकसान बचा है।
सामुदायिक गतिविधियों ने दिया नवजीवन
सुजलॉन फाउण्डेशन के सहयोग से ग्राम विकास समिति ने गांव के सतत् विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है। पहले गांव वालों को छोटे-छोटे सामाजिक प्रयोजनों के लिए काफी धनराशि व्यय कर शहर से टेण्ट का सामान लाना पड़ता था। आज सुजलॉन के 75 हजार के आर्थिक सहयोग से गांव में टेण्ट की उपलब्धता ने गांव वालों को अनावश्यक खर्चों से बचा लिया है। गांव वाले टेण्ट से होने वाली आय से टेंट के आकार को और अधिक बड़ा करने में लगा रहे हैं। सुजलॉन की ओर से ऐसे दस परिवारों के लिए तीन टांके बनवाए हैं जो बहुत दूर से पानी लाने को विवश थे।
गुंजा पैगाम हरित राजस्थान का
हरित राजस्थान योजना को साकार करने की दिशा में ग्रामीणों के सहयोग से गाँव के पश्चिम-दक्षिण की तरफ बहते पानी का उपयोग कर नीम, शीशम व गोंदा के 240 पौधे लगाये थे जिनमें से 210 पौधे अब पेड़ बनने की ओर अग्रसर हैं। ग्रामीणों को खेती-बाड़ी के क्षेत्र में उन्नत नस्ल के प्रामाणिक बीज दिए गए हैं। गत वर्ष कृषि प्रदर्शन के रूप में 5 परिवारों को ग्वार व बाजरा के प्रमाणित बीज दिये थे। प्रदर्शन वाले खेतों से 30 प्रतिशत पैदावार बढ़ी है। अब गांव वाले प्रमाणित बीज बोने के महत्त्व को अच्छी तरह आत्मसात कर आधुनिक वैज्ञानिक विधियों को अपनाने लगे हैं।
स्वास्थ्य रक्षा के कारगर प्रयास
क्षेत्र के पशुओं की स्वास्थ्य रक्षा की दिशा में कइ्र गतिविधियों का संचालन किया जाता रहा है। पशुपालकों को पशुओं के रखरखाव और सेहत आदि के बारे में जानकारी संवहित किए जाने के साथ ही गांव के लगभग सभी 3 हजार से अधिक पशुओं को टीकाकरण एवं कृमिनाशक दवाइयां मुहैया कराने से पशुओं की बीमारियों पर रोक लगी है तथा पशुओं की अभिवृद्धि दर भी 30 फीसदी बढ़ी है। ग्रामीणों की सेहत रक्षा को सुजलॉन कंपनी ने सामाजिक सरोकारों में सबसे ऊपर रखा है। इसके लिए गांव में स्वास्थ्य शिविरों के आयोजन के साथ ही घर बैठे प्रशिक्षित चिकित्सक की निःशुल्क सेवाएं और औषधियों का लाभ ग्रामीणों द्वारा लिया जाता रहा है। इसी तरह पोषण वाटिका के सहयोग में गांव वालों को अच्छी और ताजी सब्जियों की पैदावार करके उपयोग में लाने को प्रोत्साहित किया जाता रहा है। अब गॉव में हर छोटा-बड़ा परिवार पोषण वाटिका अपनाने में रुचि लेने लगा है।
आदर्श गांव बनाने की तमन्ना
गांव के लोगों में हाल के वर्षो में हुए जागरुकता संचार की वजह से ग्रामीणजनों में नए जमाने के अनुरुप विकास व समग्र उत्थान की भूख जगी हैं। ग्रामीणों का मानना हैं कि गांव में उन्नत नस्ल के पशुओं की उपलब्धता, स्कूल में पर्याप्त स्टाफ, प्राकृतिक नस्ल सुव्यवस्थित होने और बालिका शिक्षा विस्तार जैसी गतिविधियों की आवश्यकता पूरी हो जाने पर पोहड़ा आदर्श गांव की पहचान बना सकता है।
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