एसपी सहित आठ दोषी, लेकिन रिपोर्ट दबी 
सवाईमाधोपुर।
बहुचर्चित सूरवाल प्रकरण की विभागीय जांच में भरतपुर रेंज के तत्कालीन पुलिस महानिरीक्षक मधुसूदन सिंह ने तत्कालीन एसपी. डॉ. विष्णुकांत सहित आठ पुलिस अघिकारियो को दोषी माना है। महानिरीक्षक ने 6 माह पहले ही जांच पूरी कर सरकार को रिपोर्ट पेश कर दी।
नहीं हुई कोई कार्रवाई
home newsविभाग ने जांच में दोषी अधिकारी-कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई तो दूर, इस रिपोर्ट का खुलासा तक नहीं किया। राज्य सरकार ने 17 मार्च 2011 को सूरवाल में सीआई फूल मोहम्मद को जिंदा जलाने की घटना के तत्काल बाद आईजी को प्रकरण में पुलिस की भूमिका पर उठे सवालों की जांच सौंपी थी।
इनके किए बयान दर्ज 
पुलिस महानिरीक्षक ने जांच में बीस लोगों के बयान दर्ज किए। इसमें 4 कांस्टेबल , 3 हेड कांस्टेबल, 5 चालक कांस्टेबल, 5 उपनिरीक्षक, 1 पुलिस निरीक्षक, 1 आरपीएस व एक आईपीएस शामिल हैं। जांच में मौके की फोटो तथा वीडियो क्लिपिंग का भी सहयोग लिया गया।
ये है रिपोर्ट का सार
एसपी के गलत निर्णय
सम्बन्धित पुलिस अघिकारियों ने मामले को हल्के तौर पर लिया। पुलिस अधीक्षक घटना का पुर्वानुमान करने में अक्षम रहे और ना ही उनके द्वारा समय रहते घटना स्थल पहुंचकर उचित निर्देश दिए गए। एसपी जिला कलक्टर से भी समय रहते समन्वय बनाते तो स्थिति का समाधान निकल जाता।
सीओ सिटी ने दिखाई कायरता
पुलिस उपाधीक्षक शहर महेन्द्र सिंह ने राजेश बाडोलास के टंकी से कूदने के बाद स्थिति पर काबू करने का प्रयास नहीं किया। तब वहां 10-15 ग्रामीण ही थे, मगर सीओ को भागने की इतनी जल्दी थी कि वे अपनी जिप्सी को छोड़ जबरन उपाधीक्षक एससीएसटी सेल का वाहन ले गए। ये सीओ सीटी की कायरता थी।
जाप्ता नहीं तैयार 
जाप्ते को सही ब्रीफ नहीं किया गया। उनके तैनातगी के पॉइंट भी निर्घारित नहीं किए। पर्याप्त हथियार भी नहीं थे। अफसरों में तालमेल का अभाव भी रहा। टंकी पर चढ़े युवकों के पास ज्वलनशील पदार्थ की जानकारी होने के बावजूद कार्रवाई नहीं की गई।
इनको माना है दोषी
एसपी डॉ. विष्णुकांत, सीओ शहर महेन्द्र सिंह, सीओ ग्रामीण मोतीलाल चौधरी, सीओ एससी-एसटी सतपाल सिंह, थानाघिकारी बहरावण्डा कलां श्रीचंद नेहरा, थानाघिकारी रवांजना डूंगर इफ्तेखारूद्दीन, थानाघिकारी मलारना डूंगर गोविन्द सिंह, उप निरीक्षक सुमेर सिंह।

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