होलिका दहन के दो मुहूर्त
जयपुर। शहर में इस बार होलिका दहन दो मुहूर्तो में होगा। होलिका दहन का भद्रा रहित मुहूर्त बुधवार अर्द्ध रात्रि बाद 4.33 बजे (गुरूवार तड़के) जबकि गोधूलि युक्त प्रदोष काल का मुहूर्त बुधवार शाम 6.27 से 6.39 बजे के बीच है।पहली बार होलिका दहन के दो मुहूर्त बताए गए हैं। इस मामले में मंगलवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के ज्योर्तिविज्ञान केंद्र में जुटे शहर के ज्योतिषविदों ने आम सहमति से दो मुहूर्तो की घोषणा की। यही नहीं अगली होली (26 मार्च 2013) को भी ऎसी ही स्थिति आएगी। वहीं, सिटी पैलेस में भद्रा रहित मुहूर्त (गुरूवार तड़के 4.33 बजे) ही होलिका दहन होगा। यहां सिटी पैलेस के बाद ही शहर के अन्य स्थानों पर होलिका दहन की परम्परा है।
अपना-अपना तर्क
कल्पद्रुम शास्त्र के मुतबिक यदि तीन प्रहर पूर्णिमा हो तो प्रतिपदा में प्रदोष काल में होलिका दहन हो सकता है। ऎसी स्थिति में 8 को होली व 9 मार्च को धुलण्डी होनी चाहिए, लेकिन यह निर्णय लागू नहीं किया जा सकता। इसलिए शास्त्रानुसार गोधूलि वेला में ही होलिका दहन हो।
बैठक में प्रो. कमल भारद्वाज , पं. राजकुमार चतुर्वेदी ने सिटी पैलेस की परम्परा का निर्वाह करते हुए बुधवार अर्द्घरात्रि बाद होलिका दहन करना बताया। उन्होंने 7 मार्च 1993 तथा 16 मार्च, 2003 में भी अर्द्घरात्रि बाद होलिका दहन होने की स्थिति बताई।
इसलिए बैठे एक जाजम पर
होलिका दहन मुहूर्त को लेकर असमंजस बना हुआ था। पूरे देश में गोधूलि वेला में ही होलिका दहन बताया गया। इसे देखते हुए ज्योर्तिविज्ञान केंद्र में देवर्षि कलानाथ शास्त्री की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें ज्योतिषविदों ने दोनों मुहूर्त में होलिका दहन का फैसला किया। जबकि, पहले इन्हीं ज्योतिषियों ने केवल तड़के 4.33 बजे ही मुहूर्त बताया था। बैठक में पं.दामोदर शर्मा, पं.विनोद शास्त्री, पं.चंद्रमोहन दाधीच, पं.राजकुमार चतुर्वेदी, प्रो.भास्कर शर्मा, प्रो. वसुधाकर गोस्वामी, प्रो. विनोद बिहारी शर्मा, प्रो. शालिनी सक्सेना, डॉ. महेन्द्र मिश्रा, प्रो. कमलकिशोर भारद्वाज, पं. जानकीवल्लभ शर्मा थे।
जयपुर। शहर में इस बार होलिका दहन दो मुहूर्तो में होगा। होलिका दहन का भद्रा रहित मुहूर्त बुधवार अर्द्ध रात्रि बाद 4.33 बजे (गुरूवार तड़के) जबकि गोधूलि युक्त प्रदोष काल का मुहूर्त बुधवार शाम 6.27 से 6.39 बजे के बीच है।पहली बार होलिका दहन के दो मुहूर्त बताए गए हैं। इस मामले में मंगलवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के ज्योर्तिविज्ञान केंद्र में जुटे शहर के ज्योतिषविदों ने आम सहमति से दो मुहूर्तो की घोषणा की। यही नहीं अगली होली (26 मार्च 2013) को भी ऎसी ही स्थिति आएगी। वहीं, सिटी पैलेस में भद्रा रहित मुहूर्त (गुरूवार तड़के 4.33 बजे) ही होलिका दहन होगा। यहां सिटी पैलेस के बाद ही शहर के अन्य स्थानों पर होलिका दहन की परम्परा है।
अपना-अपना तर्क
कल्पद्रुम शास्त्र के मुतबिक यदि तीन प्रहर पूर्णिमा हो तो प्रतिपदा में प्रदोष काल में होलिका दहन हो सकता है। ऎसी स्थिति में 8 को होली व 9 मार्च को धुलण्डी होनी चाहिए, लेकिन यह निर्णय लागू नहीं किया जा सकता। इसलिए शास्त्रानुसार गोधूलि वेला में ही होलिका दहन हो।
बैठक में प्रो. कमल भारद्वाज , पं. राजकुमार चतुर्वेदी ने सिटी पैलेस की परम्परा का निर्वाह करते हुए बुधवार अर्द्घरात्रि बाद होलिका दहन करना बताया। उन्होंने 7 मार्च 1993 तथा 16 मार्च, 2003 में भी अर्द्घरात्रि बाद होलिका दहन होने की स्थिति बताई।
इसलिए बैठे एक जाजम पर
होलिका दहन मुहूर्त को लेकर असमंजस बना हुआ था। पूरे देश में गोधूलि वेला में ही होलिका दहन बताया गया। इसे देखते हुए ज्योर्तिविज्ञान केंद्र में देवर्षि कलानाथ शास्त्री की अध्यक्षता में बैठक हुई। इसमें ज्योतिषविदों ने दोनों मुहूर्त में होलिका दहन का फैसला किया। जबकि, पहले इन्हीं ज्योतिषियों ने केवल तड़के 4.33 बजे ही मुहूर्त बताया था। बैठक में पं.दामोदर शर्मा, पं.विनोद शास्त्री, पं.चंद्रमोहन दाधीच, पं.राजकुमार चतुर्वेदी, प्रो.भास्कर शर्मा, प्रो. वसुधाकर गोस्वामी, प्रो. विनोद बिहारी शर्मा, प्रो. शालिनी सक्सेना, डॉ. महेन्द्र मिश्रा, प्रो. कमलकिशोर भारद्वाज, पं. जानकीवल्लभ शर्मा थे।
0 comments:
एक टिप्पणी भेजें