सरकार के लिए मुश्किलों भरा होगा बजट सत्र
संसद के सोमवार से शुरू हो रहे बजट सत्र में सरकार के लिए मुश्किलों के आसार नज़र आ रहे हैं.हाल में हुए कुछ राज्यों के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के निराशाजनक प्रदर्शन और संघवाद जैसे मुद्दों पर परस्पर विरोधी ताकतों के एकजुट होने की संभावनाओं की पृष्ठभूमि में सरकार के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं.संप्रग का नेतृत्व कर रही कांग्रेस संभवत: ऐसी स्थिति में न हो जब वह अपने सहयोगी दलों को हल्के में ले सके. गठबंधन की एक महत्वपूर्ण घटक तृणमूल कांग्रेस पहले ही यह स्पष्ट कर चुका है कि वह उर्वरक सब्सिडी में कटौती और पेट्रोलियम मूल्यों में वृद्धि का विरोध करेगा.तृणमूल प्रमुख ममता बनर्जी ने गैर कांग्रेसी सांसदों के साथ सुर मिलाते हुए प्रस्तावित राष्ट्रीय आतंकवाद निरोधक केन्द्र का विरोध किया था.विधानसभा चुनावों में निराशाजनक प्रदर्शन के कारण कांग्रेस के दबाव में आने के चलते विपक्ष के नेताओं ने संकेत दिया है कि संघवाद के मुद्दे पर विपक्ष तथा कांग्रेस के घटक दलों और सहयोगियों के साथ तालमेल हो सकता है.प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी का तीन माह तक चलने वाले इस सत्र में कई अनचाही परिस्थितियों से जूझना पड़ सकता है.
राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल का संसद में अंतिम अभिभाषण
सत्र की शुरुआत संसद के दोनों सदनों की संयुक्त बैठक में राष्ट्रपति के अभिभाषण से शुरू होगी. राष्ट्रपति प्रतिभा सिंह पाटिल का कार्यकाल जुलाई में समाप्त हो रहा है और यह संसद में उनका अंतिम अभिभाषण होगा.बजट सत्र शुरू होने के चार दिन बाद 16 मार्च को वित्त वर्ष 2012-13 का आम बजट पेश किया जायेगा.
रेल बजट 14 मार्च को और आर्थिक समीक्षा 15 मार्च को पेश की जायेगी.
तृणमूल कांग्रेस नेता एवं रेल मंत्री दिनेश त्रिवेदी द्वारा मध्यावधि चुनाव की संभावना के बयान की गूंज भी बजट सत्र में सुनायी दे सकती है. हालांकि बाद में त्रिवेदी ने कहा कि उनकी पार्टी का संप्रग का साथ छोड़ने का कोई इरादा नहीं है.

0 comments:

एक टिप्पणी भेजें

 
HAFTE KI BAAT © 2013-14. All Rights Reserved.
Top