ई-धरती से मिलेगी खातेदारो  को अपनी जमीन की जानकारी
बाड़मेर।
ई-धरती सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रत्येक खातेदार को अपनी जमीन के बारे मंे जानकारी मिल सकेगी। राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र की ओर से तैयार किए गए ई-धरती सॉफ्टवेयर के माध्यम से एक ही खाते में शामिल सभी खातेदारों के नामों का पृथक्कीकरण (सेग्रिगेशन) किया जा रहा है। इसमें हरेक खातेदार का पृथक एवं संपूर्ण विवरण होगा। साथ ही उसके हिस्से की भूमि भी स्पष्ट दर्शायी जाएगी।
मौजूदा समय मंे उपलब्ध भू-अभिलेखों के खातों में सबके नाम शामिल होने की वजह से खाते से संबंधित लोगों को सीधे ही वैयक्तिक सूचना देना आसान नहीं है। कंप्यूटर से भी एक खाते में शामिल सभी की जानकारी पृथक-पृथक दे पाने की स्थिति नहीं होने के कारण खातेदारांे को कई दिक्कतांे का सामना करना पड़ता है। कुछ समय पूर्व ई-धरती सॉफ्टवेयर के माध्यम से प्रत्येक खातेदार की पृथक रूप से जमीन का ब्यौरा अपडेट करने का कार्य प्रारंभ किया गया था। अधिकारिक सूत्रांे के मुताबिक ई-धरती में यह सुविधा है कि वह जमाबंदी में दर्ज सभी खातों के खातेदारों का पृथक-पृथक इन्द्राज कर हर खाते में शामिल भूमिधारकों की व्यक्तिशः पूर्ण सूचना भी उपलब्ध करा देता है। इससें भूमि की स्थिति भी स्पष्ट होती है क्यांेकि यह कंप्यूटर की मदद से गणितीय आधार पर निकाली जाती है। प्रदेश मंे कुछ स्थानांे पर इसकी शुरूआत हो चुकी है। जिला कलक्टर मधुसूदन शर्मा के मुताबिक बाड़मेर जिले मंे ई-धरती सॉफ्टवेयर से संचालन के लिए समस्त तहसीलांे मंे संबंधित कार्मिकांे को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। सॉफ्टवेयर स्टालेशन का कार्य चल रहा है। इसके साथ आगामी एक-दो दिन मंे सॉफ्टवेयर मंे सूचनाआंे को अपडेशन एवं इन्द्राज करने का कार्य प्रारंभ होगा। जिला कलक्टर के मुताबिक ई-धरती के क्रियान्वयन के लिए नेशनल लेण्ड रिकार्ड मॉडर्नाइजेशन प्रोग्राम के तहत प्रत्येक तहसील में मॉडर्न रिकार्ड रूम स्थापित किया जा रहा है। इसमंें अत्याधुनिक एवं उपयुक्त फर्निचर सहित कम्यूटर, स्कैनर, प्रिन्टर, प्लॉटर, कॉम्पेक्टर, सर्वर आदि अत्याधुनिक उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। उनके अनुसार पटवारी के पास उपलब्ध गांव के नक्शों का भी अत्याधुनिक तरीके से डिजीटाईजेशन किया जाएगा। रिकार्ड रूम को हर तरह से संरक्षित और सुरक्षित बनाने के लिए इसमें अग्निशमन एवं फायर अलार्म की व्यवस्था होगी। सीसीटीवी कैमरे लगेंगे और बायोमैट्रिक डिवाईस के माध्यम से ही इसमें प्रवेश हो सकेगा। इसके लिए बहुद्देशीय मॉडर्न रिकार्ड रूम की स्थापना होगी। राजस्व मण्डल की ओर से प्रत्येक रूम के लिए दो व्यक्ति कम्प्यूटर सहित लगाए जाने की मंजूरी दी गई है। राजस्थान में ई-धरती को परीक्षण के तौर पर पहले पहल टोंक जिले की उनियारा तहसील में हाथ में लिया गया। जहां इसके बेहतर परिणाम आने के बाद अन्य स्थानांे पर क्रियान्वित किया जा रहा है।
हरेक खाते की राजस्व की स्थिति स्पष्टः इससे हर खाते में शामिल हिस्सेदारों एवं उनके हिस्से की भूमि का विवरण पृथक-पृथक उपलब्ध होगा। यह समस्त कार्य ऑनलाइन हो जाने पर सबकी व्यक्तिगत सूचनाएं उपलब्ध होंगी। इससे इन तक सीधी पहुंच स्थापित करने की जरूरत पडनेे पर आसानी के साथ ऑनलाइन उपयोग हो सकेगा। हरेक के खाते की राजस्व से संबंधित स्थिति भी स्पष्ट होगी।
ई-धरती से क्या होगा फायदाः 
यह संपूर्ण प्रक्रिया पूर्ण हो जाने पर ई-धरती को पंजीयन एवं मुद्रांक विभागीय ऑनलाइन डाटा से जोड़ दिया जाएगा। इससे कई नवाचार अपने आप हो जाएंगे। जैसे ही कोई किसी जमीन के खसरे की रजिस्ट्री कराएगा, उस खसरे के बारे में रजिस्ट्री होने का नोट सीधे ही स्वतऑन लाईन जमाबंदी में आकर अंकित हो जाएगा। इससे किसी भी जमीन के एक से अधिक बार बेचान, खरीद, रहन आदि पर अंकुश लग जाएगा। ई-धरती में विवरण अंकन करने का तरीका भी कम्प्यूटर के हिसाब से पूरी तरह वैज्ञानिक प्रक्रिया पर आधारित है इसलिए इसमंे प्रविष्टियों का अंकन एवं विन्यसन सुव्यवस्थित एवं सरल है।
नामांतरणकरण मंे नवाचारः 
इस नवाचार में नामांतरणकरण से संबंधित 21-सी फॉम्रेट लागू किया जा चुका है। अब तक यह व्यवस्था थी कि फॉर्म स्वीकृत होने के बाद व्यक्तिशः पटवारी तहसील कार्यालय ले जाते थे। इसके बाद आगे कार्यवाही की जाती थी। नवाचार में अब म्यूटेशन (नामान्तरण) का फॉम्रेट बदल दिया गया है. अब कम्यूटर में विशेष कॉलम बना दिया गया है। जैसे ही म्यूटेशन खुलता है, संदर्भ व्यक्ति अर्थात पटवारी इसकी अमल दरामद की स्थिति अंकित कर देता है जिससे कि 21-सी नामांतरण दर्ज करते ही यह कार्य हो जाता है, साथ ही इसे देखा भी जा सकता है, फिर चैसाला के अंतिम वर्ष के पश्चात खाते में अमल दरामद हो जाता है। ई-धरती में नामांतरण के मामलों में कम्यूटर खुद ही 21-सी जनरेट कर देता है।
बैंकांे के लिए होगी सहुलियतः 
सॉफ्टवेयर स्वयं गणना कर भूमि की हिस्सेदारी का विवरण स्वतः दर्ज कर लेगा। बराबरी के हिस्सेदारों की स्थिति भी अच्छी तरह स्पष्ट होगी। सरकारी संस्थाओं एवं बैंकों के लिए एवं उसकी भूमि की जानकारी जुटाना आसान रहेगा। 
एक जगह मिल सकेगी नकलः 
इससे उन खातेदारों को भी खासा लाभ होगा जिनकी एक ही गाँव में अलग-अलग जगह पृथक खसरा नंबरों वाली भूमि है। अब इस किस्म के खातेदार अपनी समस्त भूमि की एक साथ नकल ले सकेंगे अन्यथा अब तक हर भूमि एवं खसरे की नकल पाने के लिए अलग-अलग कोशिशें करनी पड़ती थी।
छह माह मंे पूर्ण होगा कार्यः 
ई-धरती के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए कार्यवाही आरंभ हो चुकी है। ई-धरती से जुड़ा यह कार्य छह माह की अवधि में पूर्ण कराया जाना है। इसके लिए प्रशासनिक स्तर पर व्यापक तैयारियां की जा रही हैं। ई-धरती के जरिए भू अभिलेखों के डिजीटलाइजेशन से सभी खातेदारों एवं उनकी भूमि की जानकारी ऑनलाईन होने के साथ ही कई फायदे सामने आएंगे.
नवाचार प्रकिया से प्रत्येक खातेदार के खाते की स्थिति स्पष्ट होगी। ई-धरती मंे पंजीयन के बाद स्वत ही म्यूटेशन खुल जाएगा। समस्त प्रकार की जानकारी, भू अभिलेख सीधे एवं स्वतः ऑनलाइन पंजीयन एवं मुद्रांक विभाग से जुड़ेंगे। इस नवीन प्रक्रिया मंे प्रत्येक खातेदार को एक यूनिक आईडी दी जाएगी।
-मधुसूदन शर्मा, जिला कलक्टर,बाड़मेर।

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