योजना आयोग को खत्म करने के पक्ष में नहीं है कुछ राज्यों के CM
नई दिल्ली
योजना आयोग को खत्म करने पर प्रधानमंत्री और राज्यों में तकरार है. बैठक में कई राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने मोदी से योजना आयोग को खत्म नहीं करने की बात कही है. अरुणाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री नबाम ने कहा है कि योजना आयोग को खत्म करना राष्ट्रहित में नहीं होगा. जबकि कांग्रेस नेता आनंद शर्मा ने कहा है कि एकतरफा फैसला करना मोदी की कार्यशैली है. यूपी के सीएम अखिलेश यादव ने कहा कि राज्यों पर केंद्र की नीति ना थोपी जाए.

केंद्र में बीजेपी की सरकार बनी तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले योजना आयोग की जगह नई संस्था की बात की. रविवार को पीएम आवास पर इस बाबत मुख्यमंत्रियों की बैठक भी हुई. यानी कुल मिलाकर नई संस्था के गठन की कवायद तेज कर दी गई है. वहीं योजना आयोग ने पीएम मोदी की अध्यक्षता में आयोजित समूह को सुझाव दिया कि नई संस्था का ढांचा बदलती आर्थिक जरूरतों को पूरा करने वाला होना चाहिए.

प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों के समूह के सामने अपने प्रजेंटेशन में योजना आयोग की सचिव सिंधूश्री खुल्लर ने कहा कि नए संस्थान में 8 से 10 नियमित सदस्य या कार्यकारी सदस्य हो सकते हैं, जिनमें से आधे राज्यों के प्रतिनिधि हों. उन्होंने सुझाव दिया कि शेष सदस्य पर्यावरण, वित्त या अन्य क्षेत्रों के विशेषज्ञ और इंजीनियर या वैज्ञानिक हो सकते हैं.


सिर्फ आठ मुख्यमंत्रियों ने लिया हिस्सा
आयोग का सुझाव है कि नए निकाय के अध्यक्ष का पद पदेन हो सकता है और प्रधानमंत्री निकाय के प्रमुख हो सकते हैं. पीएम मोदी ने यह बैठक योजना आयोग के स्थान पर बनने वाले संस्थान पर विचार विमर्श के लिए आयोजित की. बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव (उत्तर प्रदेश), मनोहर लाल खट्टर (हरियाणा), देवेंद्र फड़नवीस (महाराष्ट्र), वसुंधरा राजे (राजस्थान), शिवराज सिंह चौहान (मध्य प्रदेश), रमन सिंह (छत्तीसगढ़), हरीश रावत (उत्तराखंड) और ओमान चांडी (केरल) शामिल हुए.

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी बैठक में शामिल नहीं हुईं. राज्य के वित्त मंत्री अमित मित्रा ने बैठक में राज्य सरकार का प्रनिधित्व किया. जबकि जम्मू-कश्मीर के सीएम उमर अब्दुल्ला और झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने भी बैठक में हिस्सा नहीं लिया.

आकलन ही नहीं, निगरानी भी
खुल्लर ने अपने प्रजेंटेशन में सुझाव दिया कि प्रस्तावित नई संस्था परियोजनाओं की निगरानी और आकलन, विभिन्न क्षेत्रों और मंत्रालयों से एक साथ जुड़े मामलों में विशेषज्ञता सेक्टोरल, अंतर मंत्रालयी विशेषज्ञता और आकलन व परियोजनाओं की निगरानी का कार्य करेगा. यह सुझाव दिया गया कि नया निकाय उसे भेजे गए मामलों में प्रधानमंत्री को सलाह देगा. इसके अलावा यह ‘शोध संस्थान’ के रूप में काम करेगा और विश्वविद्यालयों व अन्य संस्थानों के साथ उसका नेटवर्क होगा.

सुझाव में कहा गया है कि नया संस्थान विभिन्न मसलों पर राज्यों और केंद्र को आंतरिक सलाहकार सेवाएं दे सकता है. इसके अलावा यह मध्यम और दीर्घावधि की रणनीति की अभिकल्पना भी तैयार कर सकता है.

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री ने स्वतंत्रता दिवस पर अपने संबोधन में योजना आयोग को समाप्त करने और इसकी जगह नया संस्थान स्थापित करने की घोषणा की थी. योजना आयोग का गठन 1950 में किया गया था.

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