माओवादी हमले में अब तक 30 मौत 
जगदलपुर। 
माओवादियों ने छत्तीसगढ़ में सुकमा से केशलूर लौट रही कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर शनिवार शाम 5:30 बजे दरभा-जीरम घाट के पास हमला कर दिया। काफिले पर ब्लास्ट करने के बाद सैकड़ों की संख्या में एकत्र माओवादियों ने कांग्रेस नेताओं पर अंधाधुंध फायरिंग की। 
Cong chief Nand Kumar Patel body foundहमले में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता महेंद्र कर्मा, बस्तर संभाग के प्रभारी व राजनांदगांव के पूर्व विधायक उदय मुदलियार, स्थानीय कार्यकर्ता गोपी माधवानी समेत 30 कांग्रेसियों की मौत हो गई। हमले में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और उनके पुत्र दिनेश पटेल भी मारे गए। दोनों के शव घटनास्थल के पास मिले। 
पुलिस सूत्रों ने कहा कि यहां से 50 किलोमीटर दूर जगदलपुर मार्ग पर रविवार सुबह दोनों के शव मिले। इलाकें में और भी शव मिलने की आशंका के चलते पुलिस सतर्कता के साथ उनकी खोज में जुटी हुई है। अभी भी कांग्रेस के कई कार्यकर्ता लापता बताए जा रहे हैं।

विद्या चरण शुक्ल की हालत गंभीर
पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, कोण्टा विधायक कवासी लखमा समेत कई नेता घायल हुए हैं। शुक्ल व लखमा को गंभीर अवस्था में जगदलपुर के मेडिकल कॉलेज में दाखिल कराया गया है। शुक्ल को तीन गोली लगी थी,उन्हें एयर एम्बुलेंस के जरिए गुडगांव के मेदांता हॉस्पीटल ले जाया गया, जहां आपरेशन के बाद भी उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।

कर्मा को कर दिया छलनी
माओवादियों ने कर्मा के वाहन को घेर लिया। उसके साथ ड्राइवर व छह गार्ड मौजूद थे। माओवादियों ने पहले तो सभी को बंधक बना लिया और गार्डो की गोली मारकर हत्या कर दी। कर्मा ने हाथ खडे कर आत्मसमर्पण करते हुए गोली नहीं चलाने को कहा, पर माओवादियों ने उनकी एक न सुनी और उन पर करीब सौ गोलियां दाग दीं। सूत्रों का कहना है कि उनके सुरक्षा जवानों ने भी जवाबी कार्रवाई की लेकिन गोलियां खत्म हो गई। गोलीबारी में उदय मुदलियार भी मारे गए। विद्याचरण शुक्ल को दाएं हाथ में तीन गोलियां लगी हैं। जगदलपुर से देर रात शुक्ल व अन्य नौ को रायपुर रवाना किया गया। 


पटेल पर गोली चलने की आवाज
मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में भर्ती कोण्टा विधायक कवासी लखमा ने 'पत्रिका' को बताया कि वाहन में उनके साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नंदकुमार पटेल और उनके बेटे के अलावा ड्राइवर दसरूराम थे। माओवादियों ने चारों ओर से उन पर फायरिंग की। वाहन की चादर को पार करती गोली लखमा के बाएं कान के पास लगी। माओवादी कवासी, नंदकुमार पटेल, उनके बेटे व ड्राइवर दसरूराम को अपने साथ पहाड़ी की ओर ले गए। इसके बाद माओवादियों ने लखमा और दसरू को जाने के लिए कह दिया और पटेल व उनके बेटे को अगवा कर ले गए। रविवार सुबह पटेल और उनके बेटे के शव घटनास्थल से बरामद हुए।
लखमा और उनके ड्राइवर जब पहाड़ी से उतर रहे थे, तो उन्होंने चार बार गोलियों के चलने की आवाज सुनी। आवाज उस ओर से आई, जिस ओर पटेल को ले जाया गया था। इससे लखमा का ब्लड प्रेशर बढ़ गया। वे किसी तरह पहाड़ी से उतरे। उन्होंने एक बाइक सवार की मदद मांगी और दरभा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे। वहां से उन्हें एम्बुलेंस से जगदलपुर लाया गया। लखमा बेहोश हो गए थे। अस्पताल में उन्हें होश आया।

ऊंचाई से बनाया निशाना
सुकमा से केशलूर के बीच जीरम घाटी इलाके में माओवादियों ने ऊंचाई वाले इलाकों से काफिले को निशाना बनाया। काफिला जब तोंगपाल से आठ किलोमीटर आगे एक पुलिया से होकर गुजर रहा था तो पांचवें वाहन के समीप एक ब्लास्ट हुआ। इससे पुलिया ध्वस्त हो गई और आगे का रास्ता ब्लॉक हो गया। माओवादियों ने पूरे जीरमघाट इलाके को ब्लॉक कर दिया। ऎसे हालात में काफिले के कई वाहन फंस कर रह गए। फंसे वाहनों पर माओवादियों ने करीब ढ़ाई घंटे तक ताबड़तोड़ फायरिंग की। 

गौतम दुबारा बने निशाना
12 गाडियों के काफिले में पांचवीं कार पर यह हमला हुआ। इसमें पार्टी नेता अवधेश गौतम बैठे थे। गौतम माओवादियों के हिटलिस्ट में हैं। इसके पूर्व में भी नकूलनार में अवधेश गौतम को मारने के लिए माओवादियों ने उनके घर पर हमला किया था। शनिवार को हमले से बच निकले गौतम दरभंगा थाने पहुंचे। पुलिस सुरक्षा के बीच घायलों को मेडिकल कालेज लाया गया। 

स्वागत करने गए,मौत आ गई
परिवर्तन यात्रा जहां सुकमा से आ रही थी, वहीं गोपी माधवानी, ईशवर खंबारी, अजय तिवारी व राजीव नारंग यात्रा का स्वागत करने जीरम घाट पहुंचे थे। ब्लास्ट के बाद कांग्रेसियों ने अपनी कार को वापस केशलूर की ओर मोड़ा। लेकिन वे फायरिंग में फंस गए। राजीव नारंग को बांह के नीचे व गोपी माधवानी को पेट में गोली लगी। माधवानी की बाद में उपचार के दौरान मौत हो गई। 


गृहमंत्री ने की हमले की निंदा
गृह मंत्री ननकीराम कंवर अपनी विकास यात्रा छोड़कर तत्काल रवाना हो गए। उन्होंने दरभा के पास नक्सली हमले की निंदा करते हुए इसे कायराना हरकत करार दिया। उन्होंने भी संकेत दिए कि हमला काफी बड़ा है। हालांकि वह और कुछ नहीं बता पाए हैं। इस हमले के बाद राज्य पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों के मोबाइल फोन की घंटियां घनघनाती रहीं लेकिन वह सिर्फ कुछ ही फोन रिसीव कर रहे हैं। बताया गया है कि मुख्यमंत्री भी राजधानी पहुंचे और उन्होंने वरिष्ठ अधिकारियों और मंत्रिमंडलीय सहयोगियों की बैठक तत्काल बुलाई।

सरकार ने नहीं किए सुरक्षा इन्तजाम-जोगी
छत्तीसगढ़ में नक्सली हमले में दो कांग्रेसी नेताओं की मौत के बाद पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने मुख्यमंत्री रमण सिंह को निशाने पर लेते हुए राज्य सरकार को घटना के लिए जिम्मेदार ठहराया है। जोगी ने यहां पत्रकारों से बातचीत के दौरान आरोप लगाया कि सरकार ने जानबूझ कर यात्रा के दौरान सुरक्षा इन्तजाम नहीं किए थे। 

सभा स्थल पर भी पुलिस की व्यवस्था नहीं की गई थी। उन्होंने यहां घटना के विरोध में कांग्रेसियों से रविवार को छत्तीसगढ़ बंद कराने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि सरकार की अनदेखी के चलते यह घटना हुई। छत्तीसगढ़ में सरकार चलाना अब मुख्यमंत्री रमण सिंह के बस की बात नहीं रही। इस सरकार को बर्खास्त किया जाना चाहिए। राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया जाना चाहिए।

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