आबूरोड आदिवासी महिलाओं में अंग्रेजी का क्रेज

आबूरोड। 
jaipur
आदिवासी बहुल आबूरोड तहसील की आदिवासी महिलाओं में इनदिनों अंग्रेजी का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। इसे बदलती लाइफ स्टाइल के हिस्से में देखा जा सकता है। यूं तो मोबाइल फोन चलन में आने के बाद निरक्षर आदिवासी महिलाओं ने 'मिसकॉल', 'रांग नम्बर' व 'सॉरी' सरीखे अंग्रेजी के कुछ जुमले तथा नम्बर डायल करने के लिए अंग्रेजी के अंक तो याद करने शुरू कर ही दिए थे, अब वे अपनी पहचान भी अंग्रेजी में लिखे नाम से दे रही हैं।महिलाएं जो वस्त्र पहनती हैं उन पर एम्ब्रोयडरी करवाने की परम्परा रही है, लेकिन पहले बेल-बूटे ही बनवाए जाते थे। अब वे झुलकी (कुर्ती) तथा ओढ़नी पर अपना नाम अंग्रेजी में दर्ज करवाती है। खास तौर पर युवतियों में अंग्रेजी में नाम लिखवाने का खासा क्रेज है। बाजार में खरीददारी के लिए समूह में आने वाली युवतियों में से शायद ही कोई ऎसी होगी, जिसकी झुलकी या ओढनी पर अंग्रेजी में नाम की एम्ब्रोयडरी की हुई नहीं हो।
गोदना तक अंग्रेजी में: आदिवासियों में गोदना गुदवाने की परम्परा भी बहुत पुरानी है। युवतियां अक्सर अपना व पति का नाम गुदवाती है। पहले नाम देवनागरी में गुदवाती थी। इनदिनों अंग्रेजी में गुदवाती है। अधिकतर युवतियों के हाथों पर अंग्रेजी में गुदे नाम देखने को मिल जाएंगे।
एम्ब्रोयडरी का खास आग्रह: आदिवासी महिलाओं के वस्त्रों की सिलाई व एम्ब्रोयडरी करने वाले छगनभाई टेलर ने बताया कि पहले युवतियां और महिलाएं हिन्दी के साथ देवनागरी व गुजराती भाषा में नाम लिखने का आग्रह करती थीं। दो-तीन साल से झुलकी व ओढनी पर अंग्रेजी में नाम लिखने का खास आग्रह करती है।
हिन्दी-गुजराती से अंग्रेजी: बाजार में चाय की थड़ी पर बैठी अधेड़ महिला मीरादेवी गरासिया ने बताया कि एम्ब्रोयडरी करवाते समय हिन्दी व गुजराती लिपि में नाम दर्ज करवाने का फैशन तो पहले से ही चल रहा था। अब अंग्रेजी का फैशन निकल पड़ा है।अधिकतर लड़कियां अपनी झुलकी व ओढनी पर एम्ब्रोयडरी करने वाले से अंग्रेजी में नाम लिखवाती है और वह भी एक जगह ही नहीं पूरी ओढनी पर ताकि बढिया डिजायन का अहसास कराए।

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