जयपुर।
नागरिकों की पहचान के लिए बायोमेट्रिक राष्ट्रीय पहचान पत्र बनाया जाएगा, जिससे स्मार्ट कार्ड की सुविधा मिल सकेगी। इसके लिए राज्य के शहरी क्षेत्र के नागरिकों का विवरण डिजीटल फार्मेट में तैयार करने का काम जयपुर और अजमेर में जारी है। इसके बाद कार्ड बनाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। 5 साल से ऊपर के हर नागरिक के लिए अनिवार्य ये कार्ड जून 2013 से पहले बन जाएंगे। इन बायोमेट्रिक कार्ड के लिए सभी नागरिकों की अंगुली के निशान व आंखों की पुतलियों की स्केनिंग की जाएगी। हालांकि, जिन लोगों के पास यूआईडी कार्ड हैं उनकी बायोमेट्रिक्स नहीं ली जाएगी।
1.60 करोड़ शहरी नागरिकों के बनेंगे कार्ड
राज्य के 1.60 करोड़ शहरी नागरिकों की जानकारी को डिजीटल फार्मेट में तैयार किया जा रहा है। यह जानकारी राष्ट्रीय जनगणना रजिस्टर के लिए जनगणना में लगाए प्रगणकों ने 2010 में घर-घर जाकर जुटाई थी। डिजीटलाइजेशन पर करीब साढे छह करोड़ रूपए खर्च होंगे। शहरी नागरिकों के विवरण के डिजीटलाइजेशन का कार्य मुम्बई की विक्रांगी सॉफ्टवेयर्स लिमिटेड को मिला है। ग्रामीण नागरिकों की जानकारी डिजीटल फार्मेट में तैयार करने के लिए निविदा की प्रक्रिया चल रही है।
सुरक्षा का खास ख्याल
सुरक्षा के लिहाज से इस कार्य में उन्हीं लोगों को लगाया जा रहा है, जो केन्द्र सरकार द्वारा लिए जाने वाली परीक्षा में उत्तीर्ण होंगे। इस परीक्षा के बाद केन्द्र सरकार की ओर से चयनित प्रत्येक डाटा ऑपरेटर को अलग आईडी जारी होगा, जो गोपनीय होगा।
इस जानकारी को किया जा रहा है डिजीटल
नाम, मुखिया से सम्बन्ध, लिंग, जन्म तिथि, वैवाहिक स्थिति, श्ौक्षणिक योग्यता, व्यवसाय, जन्म स्थान, राष्ट्रीयता, वर्तमान पता और वहां निवास की अवघि, स्थायी पता।
यह होगा स्मार्ट कार्ड में
एक ही कार्ड में पासपोर्ट, पेनकार्ड, बीपीएल कार्ड, राशनकार्ड, मतदाता पहचान पत्र, वाहन लाइसेंस और मनरेगा जॉब कार्ड का ब्योरा होगा।
यह होगा फायदा
घुसपैठियों व आतंकियों को पकड़ने में आसानी होगी।
कई तरह के कार्ड रखने का झंझट खत्म होगा।
राशन सामग्री का वितरण स्मार्ट कार्ड से होने पर कालाबाजारी रूकेगी।
स्मार्ट कार्ड से हाजिरी होने पर मनरेगा कार्यो की निगरानी बढ़ेगी।
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